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Rising India: गांव से शहर तक डिमांड, सुपर हिट 'लोकल' ब्रांड!

लॉकडाउन के दौरान जहां प्रधानमंत्री ने आत्मनिर्भर भारत का लक्ष्य दिया वहीं वोकल फॉर लोकल का नारा भी दिया। इस मंत्र ने कैसे काम किया आपदा को अवसर में कैसे बदला सफलताओं की कहानी उप्र से। आपदा को अवसर में बदल देने के ऐसे अनेक किस्से यहां बिखरे पड़े हैं।

By Manish MishraEdited By: Published: Sun, 06 Dec 2020 07:00 AM (IST)Updated: Sun, 06 Dec 2020 07:33 AM (IST)
Rising India: गांव से शहर तक डिमांड, सुपर हिट 'लोकल' ब्रांड!
फर्रुखाबाद मे अपने कारखाने में काम करते पवन। जागरण

टीम जागरण, लखनऊ। लॉकडाउन के दौरान जहां प्रधानमंत्री ने आत्मनिर्भर भारत का लक्ष्य दिया, वहीं वोकल फॉर लोकल का नारा भी दिया। इस मंत्र ने कैसे काम किया, आपदा को अवसर में कैसे बदला, सफलताओं की कहानी उप्र से। कानपुर से शशांक शेखर भारद्वाज के साथ फर्रुखाबाद से विजय प्रताप सिंह, इटावा से मधुर शर्मा और प्रयागराज से राजनारायण शुक्ला राजन की रिपोर्ट।

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उत्तर प्रदेश के गांव-कस्बों में भी अब छोटे-बड़े तमाम उद्यम तेजी से उत्पादन करते दिखाई दे रहे हैं। कहीं लोगों ने खुद पूंजी जुटाई, कहीं संस्थाएं आगे आईं, तो सरकार ने भी ऋण उपलब्ध कराया। आपदा को अवसर में बदल देने के ऐसे अनेक किस्से यहां बिखरे पड़े हैं। 

(कानपुर में उन्नति मास्क तैयार करतीं महिलाएं। जागरण)

पहली कहानी है कानपुर के छह गांवों की 50 महिलाओं की। एक दिन में 500 तक मास्क तैयार कर रही हैं। भारत ही नहीं, अमेरिका, कनाडा, सेशल्स तक से ऑनलाइन आर्डर मिल रहे हैं। लॉकडाउन के दौरान आइआइटी कानपुर की टीम इनकी सहायक बनी। प्रो. संदीप संगल, डा. रीता सिंह और अन्य फैकल्टी ने छात्रों के साथ मिलकर सामाजिक संस्थाओं- परिवर्तन और फिक्की फ्लो को जोड़कर इन्हें उन्नति की राह दिखाई। 

बिठूर के ईश्वरीगंज, हिंगूपुर, चिरान, बनियापुरवा, सक्सूपुरवा और सिंहपुर गांवों की इन महिलाओं को मास्क बनाने का प्रशिक्षण दिया। फिर आइआइटी के पूर्व छात्र संदीप पाटिल की अरनियानी कंपनी से मास्क में लगाने वाले फिल्टर उपलब्ध कराए गए, जबकि संस्थान ने कपड़ा इत्यादि मुहैया कराया। पूर्व आइआइटीयन की ही कंपनी ने सबसे पहले खरीदारी भी की। डा. रीता सिंह ने बताया कि महिलाओं के सेल्फ फाइनेंस ग्रुप को डिस्ट्रिक्ट रूरल डेवलपमेंट एजेंसी (डीआरडीए) से पंजीकृत करा लिया गया है। उन्नति ब्रांड नामक के इस मास्क की नार्मल, प्रीमियम और सुपर प्रीमियम वैरायटी हैं। 

(प्रतापगढ़ में नागेंद्र धर दुबे की फैक्ट्री में काम करते श्रमिक। जागरण)

अब चलते हैं प्रयागराज। प्रतापगढ़ के नजियापुर निवासी नागेंद्र धर दुबे मुंबई में ट्रांसपोर्ट कंपनी में नौकरी करते थे। लॉकडाउन में नौकरी चली गई। घर लौट कर साबुन बनाने का कारखाना खोला। यह काम चल निकला। आज 50 लोगों को रोजगार दे रहे हैं। फिलहाल प्रदेश के 15 जिलों में साबुन और वाशिंग पाउडर की सप्लाई करते हैं। 

फर्रुखाबाद के गांव जल्लापुर निवासी 28 वर्षीय पवन कुमार की कहानी भी ऐसी ही है। अब अपने फुटवियर कारखाने के मालिक हैं। जुटाए गए चार लाख रुपये से मशीनें लगाईं। जिले समेत आसपास के बाजारों में बिक्री करके प्रतिमाह 70 हजार रुपये अर्जित कर लेते हैं। पांच-पांच हजार रुपये पर छह युवकों को रोजगार भी दे रहे हैं।

इटावा के गांव बनकटी खुर्द निवासी गजेंद्र कुमार ने भी ऐसा कारखाना खोला है। जहां बेरोजगार हो गए थे, अब पांच युवाओं को रोजगार दे रहे हैं। वर्तमान में 300 जोड़ी चप्पल प्रतिदिन तैयार कर स्थानीय बाजारों में सप्लाई कर रहे हैं।

उत्तर प्रदेश के  उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि यह बेहद सुखद अवसर है कि युवाओं ने अपने गांव और शहरों में आत्मनिर्भरता की इबारत लिखना शुरू कर दिया है। सरकार हर कदम पर सहयोग के लिए खड़ी है। जागरण-फेसबुक की राइजिंग इंडिया पहल भी ऐसे प्रयासों को प्रोत्साहित कर अन्य को प्रेरणा देने का काम कर रही है। 


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