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Rising India: कोरोना काल में खोज निकाला आइडिया और दौड़ने लगा बिजनेस

हालात कितने भी कठिन हों सूझबूझ और इच्छाशक्ति से समाधान हासिल किया जा सकता है। जैसा कि जालंधर पंजाब के दो युवा व्यावसायियों ने कर दिखाया।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Thu, 04 Jun 2020 06:00 AM (IST)Updated: Thu, 04 Jun 2020 08:00 AM (IST)
Rising India: कोरोना काल में खोज निकाला आइडिया और दौड़ने लगा बिजनेस

नई दिल्ली। अक्स उभरेगा गर्द हटा दे पहले, धुंधले आईने में चेहरा नहीं देखा जाता...। हालात कितने भी कठिन हों, सूझबूझ और इच्छाशक्ति से समाधान हासिल किया जा सकता है। जैसा कि जालंधर, पंजाब के दो युवा व्यावसायियों ने कर दिखाया। फोटोग्राफी का व्यवसाय था। कोरोनाकाल में बिजनेस ठहर गया। पर हार नहीं मानी। ऐसा आइडिया खोज निकाला कि बिजनेस दौड़ने लगा। कस्टमाइज्ड-पर्सनलाइज्ड मास्क का नया कॉन्सेप्ट ले आए। इसी तरह सिद्धार्थनगर, उप्र के स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने किया। मूक-बधिर दिव्यांगों के लिए कस्टमाइज्ड मास्क तैयार कर रही हैं। साबित कर दिखाया कि जहां चाह-वहां राह...। पढ़ें और शेयर करें- जालंधर से प्रियंका सिंह और सिद्धार्थनगर से प्रशांत सिंह की रिपोर्ट।

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जालंधर निवासी दो युवा फोटोग्राफर्स ने जहां मास्क के पीछे पहचान खो रहे चेहरे को पहचान देने का काम कर अपने मंद पड़ते बिजनेस को नई रफ्तार दे दी, वहीं सिद्धार्थनगर के स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने मूक-बधिर दिव्यांगों को उनकी जरूरत के मुताबिक, सुविधाजनक मास्क देने का काम कर अपने लिए रोजी का इंतजाम किया। यह उदाहरण वक्त के साथ ढलने का हुनर सिखाते हैं और अनुकूलन का पाठ पढ़ाते हैं कि वक्त की जरूरत के मुताबिक चले तो इंसान अपनी मंजिल पा लेता है।

आइये पहले बात करते हैं फोटोग्राफर अनुज कपूर और राजीव की। दोनों ने वक्त की जरूरत को कैसे समझा और मुश्किलों के बीच कैसे नई राह बनाई, इनका यह कारनामा प्रेरणा से भर देने वाला है। दोनों बताते हैं, हमने महसूस किया कि लोगों को मास्क के कारण चेहरा पहचानने में मुश्किल हो रही है, वहीं मास्क के पीछे छिपे चेहरे भी अपनी पहचान खो रहे हैं। हमने सोचा कि क्यों न ऐसा मास्क बनाएं, जिससे चेहरे की पहचान न खोने पाए। चेहरे वाला मास्क तैयार करने की ठानी। यह आपके चेहरे पर तो होगा, लेकिन इसके बावजूद आपकी पहचान बरकरार रहेगी। क्योंकि मास्क लगाने पर चेहरे का जो हिस्सा ढंक जाता है, वह इस मास्क पर हू-ब-हू प्रिंट होगा। इस तरह मास्क लगाने पर हर कोई आपको आसानी से पहचान सकता है, क्योंकि उसे आपका पूरा चेहरा नजर आएगा।

अनुज और राजीव ने दैनिक जागरण से कहा, जब हमारा फोटोग्राफी का काम कोरोना के कारण बंद हो गया तो हमने बहुत सोचा कि क्या नया कर सकते हैं, जो हमारे बिजनेस को बचा सके। इस तरह हमने इस आइडिया पर काम किया। मास्क की मांग तो बाजार में थी ही, पर फोटोग्राफी का धंधा बंद था। हमने मास्क और फोटोग्राफी को जोड़ दिया। बात बन गई। लोगों के लिए जब हम पर्सनलाइज्ड मास्क का आइडिया लेकर आए, तो इसे लोगों ने हाथोंहाथ लिया। लोगों को यह बहुत पसंद आ रहे हैं और हमारा बिजनेस रफ्तार पकड़ चुका है।

जालंधर के दोआबा चौक और सोढल नगर में राजीव और अनुज की फोटोग्राफी की दुकान है। दोनों के पास मास्क बनाने के धड़ाधड़ ऑर्डर आ रहे हैं और वह बाजार से आ रही मांग को भी पूरा करने में जुटे हैं। ऑनलाइन ऑर्डर भी आ रहे हैं, तो लोग स्टूडियो पर पहुंचकर अपनी पसंद के मुताबिक, मास्क तैयार करने का ऑर्डर दे रहे हैं। अनुज और राजीव ने बताया कि संबंधित व्यक्ति की फोटो लेने के बाद फोटो में से चेहरे के उस हिस्से को मास्क पर प्रिंट करने के लिए कट किया किया जाता है जो मास्क लगाने पर ढंक जाता है। प्रेसिंग मशीन के जरिये फोटो के उस हिस्से को मास्क पर प्रिंट किया जाता है। मास्क बनाने के लिए विशेष कपड़े का उपयोग करते हैं, जो मानकों पर खरा हो और फोटो भी उस पर प्रिंट हो जाए, साथ ही इसे धोया भी जा सके। मास्क की कीमत में अतिरिक्त पैसा सिर्फ फोटो का ही लिया जाता है।

एनएचएस अस्पताल जालंधर के मनोविज्ञानी अतुल कुमार इस आइडिये को वक्त की जरूरत करार देते हैं। कहते हैं, मास्क के कारण पहनने व देखने वाले, दोनों को असुविधा होती है। ऐसे में अगर मास्क ही ऐसा हो, जिससे पहचान नहीं छिपे, तो दोनों को असुविधा नहीं होगा, जो मानसिक तनाव को कम करने में सहायक है।

इसी सोच और जज्बे की जरूरत...

कोविड-19 के इस दौर ने अर्थव्यवस्था को बड़ी ठेस पहुंचाई है। इस दौर में नए आविष्कार समय की जरूरत हैं। लोगों को नए आइडिया पर सोचने और आगे बढ़ने की जरूरत है। सरकार भी प्रयास कर रही है और मुझे उम्मीद है कि हम जल्द ही इस बुरे दौर से बाहर आएंगे। इंडस्ट्री ने भी काम करने के तरीके को बदला है, नए उत्पाद बनाने की तरफ कदम बढ़ाया है। जालंधर के इन युवाओं ने नए आइडिया पर काम करते हुए उन सभी लोगों को राह दिखाने का काम किया है, जो इस समय कोरोना के कारण अपने काम-धंधे में हो रहे नुकसान को लेकर चिंतित हैं। मुझे यकीन है कि युवाशक्ति इसी सोच और जज्बे के साथ आगे बढ़ती रहेगी तो हम जल्द ही इस विकट स्थिति से बाहर आ जाएंगे। दैनिक जागरण का यह अभियान निश्चित ही युवाओं को प्रेरणा देने का काम करेगा।

-कैप्टन अमरिंदर सिंह, मुख्यमंत्री पंजाब।

युवा अपने काम करने के तरीके में ला रहे परिवर्तन

मास्क आपकी पहचान को छिपने नहीं देगा, यह आश्चर्य में डालने वाली बात है। यह युवा पंजाब ही नहीं, बल्कि देश के अन्य युवाओं की सोच बदलने का काम भी करेंगे। यह वाकई एक सकारात्मक पहल है कि इस मुश्किल दौर में किसी पर आश्रित होने की बजाए युवा अपने काम करने के तरीके में परिवर्तन ला रहे हैं। मुझे अगर जालंधर जाने का मौका मिला तो जरूर इन प्रतिभाओं से मिलकर अपने लिए भी ऐसा मास्क तैयार करवाऊंगा। इन्हें मेरी शुभकामनाएं। दैनिक जागरण ने ऐसे प्रयासों को सार्थक मंच देकर प्रशंसनीय कार्य किया है। यह देश को प्रेरित करने में सफल होगा।

- सोनू सूद, बॉलीवुड अभिनेता।

मूक-बधिर दिव्यांगों के लिए विशेष मास्क...

सिद्धार्थनगर, उप्र के परसा शाह आलम मोहल्ला निवासी स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने मूक-बधिर दिव्यांगों के लिए विशेष मास्क तैयार किया है। इसमें कान की मशीन लगाने का भी विकल्प है और आधा हिस्सा पारदर्शी है, ताकि पता चल सके कि दिव्यांग क्या कहना चाहता है। प्रशासन ऐसे मास्क जिले के मूक-बधिरों को नि:शुल्क प्रदान करेगा। नौ महिला सदस्यों वाले महिमा ज्योति स्वयं सहायता समूह की इस पहल और बेहतर कार्य को देखते हुए प्रशासन भी नियमित ध्यान दे रहा है और सहयोग कर रहा है। समूह प्रतिदिन 200 मास्क तैयार कर रहा है। अब तक 11 हजार मास्क तैयार हो चुके हैं। दिव्यांग के एक मास्क पर 35 से 40 रुपये की लागत आ रही है। यह मास्क बाजार में तो उतरेंगे ही, प्रशासन भी दिव्यांगों को निश्शुल्क बांटने के लिए समूह से लेगा। महिमा ज्योति स्वयं सहायता समूह की अध्यक्ष सुनीता व सचिव कृष्णावती हैं। सदस्य के रूप में अराजुन्निशां, रेखा, महिमा, गुड़िया आदि हैं।

 

 महिलाएं सराहनीय कार्य कर रही

स्वयं सहायता समूह की महिलाएं सराहनीय कार्य कर रही हैं। इनके द्वारा समाज के सामने उदाहरण प्रस्तुत किया गया है। दिव्यांगों के लिए तैयार इस मास्क को नि:शुल्क वितरित करने के लिए पात्रों की सूची तैयार की जा रही है। इनके उत्पाद बाजार में भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं।

-पुलकित गर्ग, सीडीओ, सिद्धार्थनगर

(अस्वीकरणः फेसबुक के साथ इस संयुक्त अभियान में सामग्री का चयन, संपादन व प्रकाशन जागरण समूह के अधीन है।)


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