मौलिक अधिकार नहीं है निजता का अधिकार - केंद्र
केंद्र सरकार ने आधार योजना की तरफदारी करते हुए एक बार फिर सुप्रीमकोर्ट में दलील दी कि निजता का अधिकार मौलिक अधिकार के तहत नहीं आता। यह संवैधानिक महत्व का मुद्दा है इसलिए यह मामला विचार के लिए संविधानपीठ को भेजा जाना चाहिए। केंद्र सरकार की ओर से ये दलीलें
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। केंद्र सरकार ने आधार योजना की तरफदारी करते हुए एक बार फिर सुप्रीमकोर्ट में दलील दी कि निजता का अधिकार मौलिक अधिकार के तहत नहीं आता। यह संवैधानिक महत्व का मुद्दा है इसलिए यह मामला विचार के लिए संविधानपीठ को भेजा जाना चाहिए। केंद्र सरकार की ओर से ये दलीलें आज अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने सुप्रीमकोर्ट में दीं।
सुप्रीमकोर्ट आजकल आधार कार्ड की अनिवार्यता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा है। याचिका में आधार योजना को चुनौती देते हुए कहा गया है कि इसमें नागरिकों के निजी ब्योरे और बायोमेट्रिक पहचान ली जाती है जो कि निजता के अधिकार का हनन है। याचिकाकर्ताओं की यह भी दलील है कि सरकार ने आधार कार्ड के लिए एकत्रित नागरिकों की सूचना को लीक होने से रोकने के चाक चौबंद प्रबंध नहीं किये हैं।
आज केंद्र सरकार की ओर से याचिकाओं का विरोध करते हुए अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि निजता का अधिकार मौलिक अधिकार नहीं है। निजता का अधिकार मौलिक अधिकार है या नहीं यह एक संवैधानिक मुद्दा है और इसे तीन न्यायाधीशों की पीठ नहीं तय कर सकती। इसे तय करने के लिए मामला पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ को भेजा जाना चाहिए। रोहतगी ने कहा कि इस मामले को संविधान पीठ को भेजे जाने में आखिर दिक्कत क्या है। उन्होंने आधार योजना की तरफदारी करते हुए कहा कि इस पर सरकार काफी आगे बढ़ चुकी है और अब इस योजना को निरस्त नहीं किया जा सकता। कल याचिकाकर्ताओं की ओर से सरकार की दलीलों का जवाब दिया जाएगा।