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चेन्नई-सलेम नेशनल एक्सप्रेसवे मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ रिव्यू पिटीशन दायर

चेन्नई-सलेम नेशनल एक्सप्रेसवे के आठ लेन वाले प्रोजेक्ट को सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने हरि इंडी दे दी थी। अब उसके इस फैसले के खिलाफ रिव्यू पिटीशन दायर की गई है। यह परियोजना 10 हजार करोड़ रुपये की है।

By TaniskEdited By: Published: Fri, 08 Jan 2021 12:07 PM (IST)Updated: Fri, 08 Jan 2021 12:07 PM (IST)
चेन्नई-सलेम नेशनल एक्सप्रेसवे मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ रिव्यू पिटीशन दायर
चेन्नई-सलेम नेशनल एक्सप्रेसवे मामले में सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटीशन ।

नई दिल्ली, एएनआइ। चेन्नई-सलेम नेशनल एक्सप्रेसवे के आठ लेन वाले प्रोजेक्ट को सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने हरि इंडी दे दी थी। अब उसके इस फैसले के खिलाफ रिव्यू पिटीशन दायर की गई है।  कोर्ट ने 10 हजार करोड़ रुपये की लागत वाली इस परियोजना के लिए केंद्र और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) को भूमि अधिग्रहण की अनुमति दे दी थी। पिछले महीने आठ दिसंबर को जस्टिस एएम खानविल्कर की अध्यक्षता वाली पीठ ने भूमि अधिग्रहण की अधिसूचना को बरकरार रखा और केंद्र सरकार को सभी पर्यावरण मानदंडों का अनुपालन करने के बाद ही भूमि अधिग्रहण की एक नई अधिसूचना जारी करने की अनुमति दी।

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सुप्रीम कोर्ट ने इस दौरान मामले में 2019 में मद्रास हाईकोर्ट द्वारा दिए गए आदेश को पलट दिया। हाईकोर्ट ने भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया को रद करने का आदेश दिया था। बता दें कि मद्रास हाई कोर्ट के इस आदेश को चुनौती देने वाली अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना यह फैसला सुनाया था। 8 अप्रैल, 2019 को, मद्रास हाई कोर्ट की एक खंडपीठ ने कि पर्यावरण मंजूरी को अनिवार्य करार देते हुए भूमि अधिग्रहण को रद कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि परियोजना का जल निकायों सहित पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। कोर्ट ने यह फैसला अधिवक्ताओं, किसानों और राजनेताओं द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनाया था।

चेन्नई-सलेम आठ लेन का ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे परियोजना 277.300 किलोमीटर के मार्ग पर प्रस्तावित है, जो कृषि और आरक्षित वन भूमि से होकर गुजरता है । यह परियोजना केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी 'भारतमाला परियोजना - I' का हिस्सा है।इसके तहत 2022 से पहले लगभग 35 हजार किलोमीटर का राष्ट्रीय राजमार्ग बनाने का काम शामिल है। एनएचएआइ और केंद्र ने मद्रास हाई कोर्ट के आदेश को रद करने की याचिका के साथ सुप्रीम का रुख किया था, जिसमें कहा गया था कि संवेदनशील परियोजना के लिए पूर्व में पर्यावरणीय मंजूरी लेना अनिवार्य है।


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