सोना लौटाओ.. बंगाल जाने की एनओसी ले जाओ, जानिए कैसे स्वर्णकारों और पुलिस ने संयुक्त रूप से निकाला उपाय
मार्च में लॉकडाउन शुरू हुआ तो 100 से ज्यादा आभूषण कारोबारियों का सोना कारीगरों के पास अटक गया।
मुकेश मंगल, इंदौर। लॉकडाउन होते ही मध्य प्रदेश के इंदौर में सराफा के 100 से ज्यादा स्वर्णकारों का करोड़ों रुपये का सोना बंगाली कारीगरों के पास फंस गया। जैसे ही ई-पास की सुविधा शुरू हुई, आभूषण कारोबारियों में घबराहट शुरू हो गई। उन्हें लगा कि यदि कारीगर सोना लेकर चले गए तो लॉकडाउन में बड़ा नुकसान हो जाएगा। इससे बचने के लिए स्वर्णकारों और पुलिस ने मिलकर यह व्यवस्था की कि यदि कारीगर बंगाल जाना चाहते हैं तो उन्हें प्रशासन से एनओसी (अनापत्ति प्रमाण पत्र) तभी मिलेगी, जब वे व्यापारियों को उनका सोना लौटाएंगे। इस सिस्टम के बाद दो दिन में ही कारीगर लौट आए और डेढ़ करोड़ रपये से ज्यादा का सोना कारोबारियों को लौटा दिया।
इंदौर सराफा में ज्यादातर कारोबारी बंगाली कारीगरों से आभूषण बनवाते हैं। बंगाल के हुबली, कोलकाता और चौबीस परगना क्षेत्र से आए सैकड़ों बंगाली बड़ा सराफा, मोरसली गली और छोटा सराफा में तय मजदूरी के हिसाब से आभूषण तैयार करते हैं। स्वर्णकार उन पर विश्वास कर लाखों रुपये का सोना जेवर बनाने के लिए बिना किसी जमानत के दे देते हैं। मार्च में लॉकडाउन शुरू हुआ तो 100 से ज्यादा आभूषण कारोबारियों का सोना कारीगरों के पास अटक गया। कुछ कारीगर कोरोना संक्रमित हो गए तो पुलिस-प्रशासन ने उनके साथियों को क्वारंटाइन कर दिया।
बंगाल जाने की कवायद में जुटे कारीगर
लॉकडाउन के अगले चरणों में जैसे ही प्रशासन ने ई-पास की सुविधा दी, कारीगर भी बंगाल जाने की कवायद में जुट गए। स्वर्णकारों को लगा कि कारीगरों के पास जमा सोना अब मिलना मुश्किल है। इसके पहले भी सराफा से कई बार कारीगरों द्वारा सोना लेकर लापता होने की घटनाएं हो चुकी हैं। इस बार तो शादियों के सीजन में आभूषण तैयार करवाने के लिए स्वर्णकारों ने पहले से ज्यादा सोना कारीगरों को दिया था। स्वर्णकारों और कारीगर के फोटो लगाकर बनाई एनओसी थाना प्रभारी अमृता सोलंकी के मुताबिक इंदौर सोना-चांदी जवाहरात व्यापारी एसोसिएशन के उपाध्यक्ष बसंत सोनी और मंत्री अविनाश शास्त्री ने सोशल मीडिया पर उन स्वर्णकारों की सूची तैयार की जिन्हें कारीगरों से सोना लेना था। बाद में बंगाली कारीगर एसोसिएशन से संपर्क साधा।
लॉकडाउन में दुकान खोलना नहीं था संभव
कारीगर एसोसिएशन के पदाधिकारी पुलिस के पास पहुंचे और कहा कि वह खुद सोना लौटाना चाहते हैं, लेकिन लॉकडाउन और कंटेनमेंट एरिया के कारण दुकान खोलना संभव नहीं था। कारीगर और स्वर्णकारों ने सादे कागज पर लिखा-पढ़ी की और कागज पर दोनों के फोटो चस्पा कर साइन किए। एक-एक कॉपी बंगाली कारीगर और सराफा एसोसिएशन ने रखी। जबकि एक कॉपी थाने में जमा करवाई। टीआइ के मुताबिक हिसाब दोनों एसोसिएशन ने रजामंदी से किया है। बाद में एक-दूसरे की शिकायत न करें, इसलिए लिखा-पढ़ी की एक कॉपी जमा कर जाने की अनुमति दे दी गई।
सोना-चांदी जवाहरात व्यापारी एसोसिएशन के उपाध्यक्ष बसंत सोनी ने बताया कि एसोसिएशन के माध्यम से उन सभी स्वर्णकारों तक सूचना भिजवा दी जिनका बंगाली कारीगरों के पास सोना था। दोनों पक्षों ने बैठकर हिसाब कर लिखा-पढ़ी कर ली।
इंदौर बंगाली स्वर्णकार लोकसेवा समिति के अध्यक्ष कमलेश बेरा ने कहा कि करीब 13 हजार कारीगर बंगाल चले गए हैं। वे खुद भी जाने के पहले सोना लौटाना चाहते थे। दोनों संगठनों ने एकमत होकर समाधान निकाला और हिसाब कर लिया।