पदोन्नति में आरक्षण: सुप्रीम कोर्ट में पीठ गठित, दो नवंबर से होगी सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने पदोन्नति में आरक्षण मामले की सुनवाई के लिए दो सदस्यीय पीठ का गठन कर दिया है।
नईदुनिया, भोपाल। सुप्रीम कोर्ट ने पदोन्नति में आरक्षण मामले की सुनवाई के लिए दो सदस्यीय पीठ का गठन कर दिया है। अब इस मामले को जस्टिस कुरियन जोसेफ और जस्टिस अब्दुल नजीर सुनेंगे। मामले में दो नवंबर से नियमित सुनवाई संभावित है। केंद्र सरकार सहित सभी राज्यों की याचिकाएं एक ही पीठ को गई हैं, जिन पर अलग-अलग सुनवाई होगी। इस कारण मध्य प्रदेश के मामले में सुनवाई में देरी हो सकती है।
मध्य प्रदेश, बिहार, उत्तर प्रदेश, त्रिपुरा, पंजाब, केंद्र शासन सहित 82 याचिकाओं पर पीठ सुनवाई करेगी। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की नियुक्ति के बाद इस मामले की सुनवाई के लिए नई पीठ का गठन किया गया है। पहले सुनवाई कर रही पीठ ने एम. नागराज मामले में पुनर्विचार की मांग के चलते इस मामले को संविधान पीठ को भेज दिया था।
पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 29 सितंबर 2018 को फैसला सुनाते हुए 2006 के एम. नागराज मामले में आए फैसले पर पुनर्विचार की संभावना से इन्कार कर दिया था। कोर्ट ने यह भी कहा था कि अनुसूचित जाति, जनजाति के पिछड़ेपन को साबित करने के लिए आंकड़े जुटाने की जरूरत नहीं होगी, लेकिन क्रीमीलेयर निर्धारित करना होगा।
उल्लेखनीय है कि 30 अप्रैल 2016 को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की जबलपुर पीठ ने 'मप्र लोक सेवा (पदोन्नति) अधिनियम 2002' को खारिज कर दिया था। कोर्ट ने इस नियम के तहत पदोन्नत अनुसूचित जाति, जनजाति वर्ग के सरकारी कर्मचारियों की पदोन्नति को गलत मानते हुए उन्हें पदावनत करने और वर्ष 2002 की वरिष्ठता के आधार पर पदोन्नतियां करने के निर्देश सरकार को दिए थे।
हाई कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की है। 12 मई 2016 को मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने प्रकरण में यथास्थिति के आदेश दिए थे।