रिसर्च में आया सामने भारत की अर्थव्यवस्था पर कोरोना संकट का पड़ेगा सबसे कम प्रभाव
लॉकडाउन के दौरान बंद पड़े उद्योग धंधों ने करीब सभी देशों की अर्थव्यवस्था को गंभीर नुकसान पहुंचाया है। हालांकि ऐसे दौर में भी भारत की अर्थव्यवस्था बेहद कम प्रभावित हुई है।
नई दिल्ली। कोरोना काल में पूरी दुनिया दो मोर्चों पर एक साथ युद्ध लड़ रही है। पहला लोगों के स्वास्थ्य को लेकर और दूसरा देश की अर्थव्यवस्था को लेकर। लॉकडाउन के दौरान बंद पड़े उद्योग धंधों ने करीब सभी देशों की अर्थव्यवस्था को गंभीर नुकसान पहुंचाया है।
हालांकि, ऐसे दौर में भी भारत की अर्थव्यवस्था बेहद कम प्रभावित हुई है। ऑर्गेनाइजेशन फॉर इकोनॉमिक को-ऑपरेशन एंड डेवलपमेंट (ओईसीडी) ने हाल ही में विभिन्न देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर कोरोना संकट के प्रभाव का आकलन किया है, जिसमें सामने आया है कि भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया की दूसरी ऐसी अर्थव्यवस्था है जिस पर कोरोना संकट का सबसे कम प्रभाव पड़ेगा।
सबसे कम प्रभाव वैश्विक जीडीपी में छह फीसद गिरावट का अनुमान ओईसीडी का अनुमान है कि वैश्विक स्तर पर 2020 में पिछले साल की तुलना में जीडीपी में छह फीसद की गिरावट आएगी। यह अनुमान उस आधार पर है जब कोरोना वायरस के संक्रमण का दूसरा दौर सामने नहीं आएगा। वहीं, यदि कोरोना संक्रमण का दूसरा दौर शुरू होता है तो यह अनुमान बताता है कि वैश्विक जीडीपी में 7.6 फीसद की गिरावट आ सकती है।
सबसे बड़ी र्आिथक मंदी ओईसीडी ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए लिखा है कि कोविड-19 महामारी वैश्विक स्वास्थ्य संकट है। इसने पिछली करीब एक सदी के दौरान सबसे बड़ी र्आिथक मंदी को जन्म दिया है और यह लोगों के स्वास्थ्य, उनकी नौकरियों और उनके हितों को नुकसान पहुंचाया है। किन देशों में कितना प्रभाव कोरोना वायरस के कारण दुनिया के कई देशों की जीडीपी पर प्रभाव देखने को मिलेगा।
हालांकि, सर्वाधिक प्रभाव ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था पर होने का अनुमान है। जहां जीडीपी में 11.5 फीसद के गिरावट का अनुमान है। इसके बाद फ्रांस और इटली जैसे देश भी इसके करीब हैं। हालांकि, इस संकट से यदि कोई देश सबसे कम प्रभावित होंगे तो वो चीन और भारत हैं। कोरोना वायरस का शुरुआती केंद्र रहे चीन की जीडीपी में महज 2.6 फीसद की गिरावट आ सकती है।
यह ऐसे वक्त में है, जब चीन में कोरोना वायरस के मामले लगभग थम चुके हैं। वहीं, इसके बाद भारत का नंबर आता है। भारत की जीडीपी में 3.7 फीसद की गिरावट का अनुमान है। हालांकि, चीन से तुलना करें तो यह काफी बड़ा अंतर लगता है, लेकिन कोरोना संक्रमण के इतने मामले और लॉकडाउन के दौरान पूरी तरह ठप पड़ी अर्थव्यवस्था के बावजूद यह गिरावट बताती है कि भारतीय अर्थव्यवस्था कितनी मजबूत है।
सबसे अहम बात यह है कि ये चीजें उस समय लिखी गईं थी जब दुनिया में कोविड के सिर्फ 2,800 मामले सामने आए थे। इनमें से लगभग सारे के सारे वुहान में ही थे। उस समय तालेब एंड कंपनी ने जो कुछ भी कहा था, उसमें से लगभग सब कुछ हर देश को करना पड़ा लेकिन तब तक शायद देर हो चुकी थी। नुकसान को शुरुआत में ही नियंत्रित करने की बात स्टॉक इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटेजी जैसी लगती है लेकिन यह एक ऐसा सबक है जिसे दुनिया ने बहुत बड़ी कीमत चुकाकर सीखा है।
जीडीपी और कंपनियों के आंकड़ों को देखना बेकार है क्योंकि आज नहीं तो कल कोई आपदा आपके सामने आएगी और आपको ग्रोथ में कई अंकों की कटौती करनी पड़ेगी। यह चीज प्राकृतिक है। लेकिन इसे तब तक नजरअंदाज किया जाता है जब तक कि कोई आपदा न आ जाए।