Move to Jagran APP

उत्तराखंड में फंसे सभी लोग बचाए गए

देहरादून [जागरण न्यूज नेटवर्क]। उत्तराखंड में आई दैवीय आपदा के बाद 16 दिन तक फंसे रहे सभी लोगों को मंगलवार को सुरक्षित निकाल लिया गया। इस प्रकार से सेना, वायुसेना, आइटीबीपी, एनडीआरएफ, बीआरओ सहित कई एजेंसियों के सहयोग से चला देश का सबसे बड़ा बचाव अभियान पूरा हुआ। इस अभियान में करीब एक लाख दस हजार लोग निकाले गए। विभिन्न सरकारी एजेंसियों के लोगों ने जान की बाजी लगाकर श्रद्धालुओं की जिंदगी बचाई। इस दौरान 25 जून को हुए हादसे में हेलीकॉप्टर में सवार 20 बचावकर्मी शहीद भी हुए लेकिन बचाव कार्य पर कोई फर्क नहीं पड़ा।

By Edited By: Published: Wed, 03 Jul 2013 05:41 AM (IST)Updated: Wed, 03 Jul 2013 05:43 AM (IST)
उत्तराखंड में फंसे सभी लोग बचाए गए

देहरादून [जागरण न्यूज नेटवर्क]। उत्तराखंड में आई दैवीय आपदा के बाद 16 दिन तक फंसे रहे सभी लोगों को मंगलवार को सुरक्षित निकाल लिया गया। इस प्रकार से सेना, वायुसेना, आइटीबीपी, एनडीआरएफ, बीआरओ सहित कई एजेंसियों के सहयोग से चला देश का सबसे बड़ा बचाव अभियान पूरा हुआ। इस अभियान में करीब एक लाख दस हजार लोग निकाले गए। विभिन्न सरकारी एजेंसियों के लोगों ने जान की बाजी लगाकर श्रद्धालुओं की जिंदगी बचाई। इस दौरान 25 जून को हुए हादसे में हेलीकॉप्टर में सवार 20 बचावकर्मी शहीद भी हुए लेकिन बचाव कार्य पर कोई फर्क नहीं पड़ा। पूरे जज्बे के साथ बचाव अभियान को अंजाम तक पहुंचाया गया। अब ध्यान स्थानीय लोगों पर केंद्रित रहेगा। चार जिलों के सैकड़ों गांवों में फंसे लोग आपदा के बाद से लगातार संकट में हैं। इसके अतिरिक्त मलबे में दबे शवों का निस्तारण भी एक बड़ी चुनौती है।

loksabha election banner

उत्ताराखंड में स्थित चार धाम में शुमार बदरीनाथ में आपदा से ज्यादा क्षति तो नहीं हुई लेकिन वहां जाने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग सहित अन्य रास्ते बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए। शुरुआत में वहां पर 20 हजार से ज्यादा लोगों के फंसे होने की सूचना आई थी लेकिन उनके सुरक्षित होने की वजह से बचाव अभियान के दौरान वे प्राथमिकता पर नहीं थे। केदारनाथ में फंसे सभी श्रद्धालुओं को निकालने के बाद बचावकर्मियों ने बदरीनाथ की ओर ध्यान किया। लेकिन लगातार मौसम की खराबी के चलते अभियान खिंचता चला गया। सोमवार को जिन डेढ़ सौ लोगों को नहीं निकाला जा सकता था, उन्हें मंगलवार को हेलीकॉप्टर के जरिये निकाला गया। चमोली के जिलाधिकारी एसए मुरुगेसन ने बताया कि बदरीनाथ में कुछ स्थानीय लोग और वहां काम करने वाले बचे हैं, उन्हें सुविधा के अनुसार धीरे-धीरे करके निकाला जाएगा। बचाव अभियान पूरा होने के बावजूद वायुसेना अभी एक और सप्ताह अपने दस हेलीकॉप्टर उत्ताराखंड में बनाए रखेगी।

केदारनाथ इलाके में खड़ा होना भी मुश्किल

आपदा में मारे गए लोगों के शवों का बुरा हाल है। ज्यादातर शव क्षत-विक्षत हो गए हैं और बदबू छोड़ रहे हैं। तमाम शव मलबे के नीचे दबे हैं, दिखाई पड़ने के बावजूद उन्हें नहीं निकाला जा सकता है। केदारनाथ इलाके में तमाम कीटनाशकों के छिड़काव के बावजूद वहां पर किसी का खड़ा रहना मुश्किल है। सोमवार को शवों से डीएनए नमूना लेने गए तीन डॉक्टर की तमाम उपायों के बाद भी तबियत खराब हो गई और वे लौट आए। बारिश के वातावरण में यह स्थिति आसपास के गांवों की आबादी के लिए खासी घातक है। उनके लिए यह स्थिति जानलेवा साबित हो सकती है। खराब मौसम के चलते मंगलवार को भी लावारिस लाशों के अंतिम संस्कार का कार्य नहीं हो सका।

मलबा हटाने की मशीनें नहीं पहुंच पा रहीं केदारनाथ

केदारनाथ पहुंचने के रास्ते बह और रुक जाने से वहां पर मलबा हटाने में काम आने वाली बड़ी मशीनें नहीं पहुंच पा रही हैं। जब तक मलबा नहीं हटेगा, तब तक उनमें दबी लाशें नहीं निकाली जा सकेंगी और न ही स्थिति को सामान्य बनाने की तरफ कदम बढ़ाया जा सकेगा। डीजीपी सत्यव्रत बंसल ने इसे बड़ी चुनौती बताया है।

दस हजार जवानों ने किया लाख से ज्यादा जिंदगी बचाने का पुण्य

देहरादून। देश के इस सबसे बड़े बचाव अभियान में उद्देश्य तक पहुंचना बड़ा दुष्कर था। भारत-तिब्बत सीमा पुलिस [आटीबीपी] ने इस अभियान में एनडीआरएफ [राष्ट्रीय आपदा राहत बल] के साथ सबसे पहले मोर्चा संभाला। इसके बाद सेना और वायुसेना भी आ जुटे। कम क्षतिग्रस्त सड़कों को वाहनों के लिए तैयार करने और पैदल रास्तों को बनाने में सीमा सड़क संगठन [बीआरओ] ने बेहद अहम भूमिका निभायी। इन बलों के दस हजार से ज्यादा जवानों ने कड़ी चुनौती से दो-दो हाथ करते हुए एक लाख दस हजार लोगों के जीवन को बचाने का कार्य किया।

मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.