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शक्ति प्रदर्शन के नए स्वरूप में गणतंत्र दिवस समारोह, मोदी की कूटनीति अब हर मोर्चे पर सक्रिय

गणतंत्र दिवस भारत के शक्ति प्रदर्शन तक सीमित नहीं रहा है। मोदी सरकार ने इस अहम दिन को अंतरराष्ट्रीय जगत में हो रहे बदलावों और भविष्य के मजबूत भारत से जोड़ दिया है। गणतंत्र दिवस पर बांग्लादेश सेना का परेड में हिस्सा लेना बहुत कुछ कहता है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sun, 24 Jan 2021 09:20 PM (IST)Updated: Sun, 24 Jan 2021 09:20 PM (IST)
मित्र देशों की सैन्य टुकड़ी को परेड के लिए किया जा रहा आमंत्रित।

आशुतोष झा, नई दिल्ली। ऐसे वक्त में जब विश्व की नजरें एशिया पर आकर टिकने लगी हैं तो सक्रिय और सार्थक कूटनीति ही भविष्य की राह तय करेगी। शासकीय, प्रशासकीय क्षमता के साथ अपनी राजनीतिक कुशलता का लोहा मनवाते आ रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे शायद काफी पहले ही समझ लिया था। यही कारण है कि भारतीय कूटनीति अब बंद कमरों में दो नेताओं की वार्ता के दायरे से निकलकर हर मोर्चे पर सक्रिय है। यहां तक कि गणतंत्र दिवस भी अब राजपथ पर भारत के शक्ति प्रदर्शन तक सीमित नहीं रहा है। वर्तमान सरकार ने इस अहम दिन को अंतरराष्ट्रीय जगत में हो रहे बदलावों और भविष्य के मजबूत भारत से जोड़ दिया है। यह कूटनीतिक संदेश और संकेत का मैदान बन गया है। 2021 पाकिस्तान से बांग्लादेश की स्वतंत्रता का 50वां वर्ष है और ऐसे में गणतंत्र दिवस पर बांग्लादेश सेना का परेड में हिस्सा लेना बहुत कुछ कहता है।

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अतिथि के चयन के जरिये मोदी ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दिए कई संकेत

मोदी सरकार के लिए पहले दिन से ही कूटनीति बहुत अहम रही है। मोदी ने अपने पहले शपथग्रहण में सार्क देशों के मुखिया को आमंत्रित किया था और नवाज शरीफ समेत सभी नेता उपस्थित भी हुए थे। दूसरे शपथग्रहण में बिम्सटेक देशों के मुखिया को आमंत्रित किया गया था। पड़ोसी देशों के साथ संबंध मजबूत कर भारत के कुछ अन्य कटु पड़ोसी समेत विश्व बिरादरी को संदेश देने का यह एक अवसर था। मोदी सरकार की यह कूटनीति फिलहाल कोविड वैक्सीन के वितरण में भी दिख रही है। कई पड़ोसी देशों को मुफ्त वैक्सीन उपलब्ध कराई गई है।

2015 में ओबामा और इसके अगले साल ओलांद बने थे विशेष मेहमान

इसी क्रम में गणतंत्र दिवस एक महत्वपूर्ण दिन साबित हो रहा है। वर्ष 2014 में पहली सरकार गठन के बाद से विशेष मेहमान के चुनाव और राजपथ पर मित्र देशों की सेना के परेड तक में बहुत कुछ बताने की कोशिश होती रही है। वर्ष 2015 में अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा आए थे। इसके अगले साल फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद विशेष मेहमान बने थे। यहीं से गणतंत्र दिवस पर एक नई शुरुआत हुई थी। राजपथ पर फ्रांसीसी सेना की एक टुकड़ी ने परेड किया था। अगले साल विशेष अतिथि संयुक्त अरब अमीरात के क्राउन ¨प्रस शेख मोहम्मद बिन जायेद अल नाहयान की मौजूदगी में यूएई की सेना ने परेड किया। इस बार बांग्लादेश की सेना की टुकड़ी गणतंत्र दिवस परेड का हिस्सा होगी। पिछले वर्षों में भारत से कभी दूर कभी पास भटकते रहे बांग्लादेश की जनता को यह परेड शायद याद दिलाएगा कि उसकी स्वतंत्रता में भारत की बहुत बड़ी भूमिका थी।

सैन्य और रक्षा पर आधारित मित्रता

दरअसल अंतरराष्ट्रीय मित्रता के कई आधार हो सकते हैं। सामान्यतया इसे आर्थिक सहयोग से जोड़ा जाता रहा है। लेकिन सैन्य और रक्षा पर आधारित मित्रता खास मानी जाती है। हाल के दिनों में चीन के साथ बढ़ रही कटुता के बीच मोदी सरकार सैन्य संबंधों को प्राथमिकता के स्तर पर लेकर जाती दिखी है। क्वाड (ऑस्ट्रेलिया, जापान, अमेरिका और भारत) के बीच हाल के दिनों में सैन्य सहयोग का दौर शुरू हो रहा है। प्रशांत महासागर क्षेत्र में भारत इंडोनेशिया, वियतनाम जैसे देशों के साथ सहयोग बढ़ा रहा है।

गणतंत्र दिवस को मोदी सरकार ने दिया विस्तृत दायरा

वर्ष 2018 में गणतंत्र दिवस समारोह को बहुत बड़ा रूप दिया गया था। उस वक्त एक दो नहीं बल्कि दक्षिणपूर्व एशियाई (आसियान) देशों के 10 प्रमुखों को विशेष अतिथि के रूप में बुलाया गया था। इसके जरिये भारत ने बहुत नरमी से समानता और जिम्मेदारी का संकेत दे दिया। इसी अवसर पर सभी आसियान देशों में प्रधानमंत्री मोदी का लेख भी प्रकाशित हुआ था, जिसमें उन्होंने कहा था कि सभी का संबंध भविष्य के लिए एक सोच पर टिका है, जिसमें भौगोलिक आकार से परे एक दूसरे की संप्रभुता के प्रति श्रद्धा है। बताने की जरूरत नहीं कि आसियान देशों के साथ चीन के व्यापारिक संबंध हैं, लेकिन रणनीतिक मुद्दों पर तीखे मतभेद भी हैं। गणतंत्र दिवस को मोदी सरकार ने समारोह से निकालकर विस्तृत दायरा दे दिया है।


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