धार्मिक संस्थानों के लिए भी जारी हों यौन उत्पीड़न रोकने की गाइडलाइन
धार्मिक संस्थानों और स्थानों में भी महिलाओँ का यौन उत्पीड़न रोकने के वैसे ही दिशानिर्देश जारी किये जाएं
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट से मांग की गई है कि धार्मिक संस्थानों जैसे आश्रम, मदरसे और कैथोलिक संस्थान जहां किसी भी तरह की धार्मिक शिक्षा या उपदेश होते हैं, महिलाओं का यौन उत्पीड़न रोकने के दिशानिर्देश लागू किये जाएं। वकील मनीष पाठक ने हाल में ऐसे स्थानों पर यौन उत्पीड़न की आ रही शिकायतों का मुद्दा उठाते हुए गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में यह जनहित याचिका दाखिल की।
दाखिल याचिका में कहा गया है कि धार्मिक संस्थानों और स्थानों में भी महिलाओँ का यौन उत्पीड़न रोकने के वैसे ही दिशानिर्देश जारी किये जाएं जैसे कि सुप्रीम कोर्ट ने कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न रोकने के लिए विशाखा मामले में जारी किये थे। याचिका में कहा गया है कि धार्मिक संस्थान या स्थान जैसे आश्रम, मदरसा और कैथोलिक संस्थाएं भी महिलाओं के जीवन के अभिन्न हिस्से हैं वहां वे काम भी करती हैं और कई बार आध्यात्मिक और मानसिक शांति के लिए वहां ध्यान या उपदेश लेने जाती हैं।
याचिका मे कहा गया है कि ऐसी जगहों पर बहुत सी महिलाएं स्वेच्छा से भी काम करती हैं ऐसे मे इन स्थानों को भी कार्यस्थल माना जाएगा और कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न रोकने की विशाखा मामले में जारी किये गए दिशा निर्देश इन जगहों पर भी लागू हों। महिलाओं की सुरक्षा के लिए ऐसा किया जाना जरूरी है साथ ही ऐसा न होना महिलाओं के जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार का हनन है।
मांग की गई है कि सरकार को निर्देश दिया जाए कि वह सभी धार्मिक संस्थानों आश्रम, मदरसा व अन्य संस्थानों के आंकड़े एकत्र करे जहां पर महिलाएं अपनी आस्था और पूजा अर्चना के लिए रहती हैं, और वहां पर उन महिलाओं को किसी भी तरह के यौन उत्पीड़न की शिकायत होने पर मदद आदि मुहैया कराई जाए तथा वहां ऐसे अपराधों को रोकने की व्यवस्था हो। यौन उत्पीड़न के अपराध रोकने के लिए वहां स्वतंत्र कमेटी बनाई जाए जिसमे महिलाएं भी शामिल हों। यह भी मांग है कि समय समय पर ऐसे धार्मिक संस्थानों की जहां महिलाएं भी रहती हों राष्ट्रीय महिला आयोग के सदस्यों द्वारा मुआयना किया जाए ताकि भविष्य में ऐसी कोई अप्रिय घटना न घटे।