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    रेख़्ता ट्राईलिंगुअल डिक्शनरी: उर्दू ज़बान की तरक्क़ी में एक तारीख़ी वाक़या

    By Vineet SharanEdited By:
    Updated: Thu, 13 May 2021 09:48 AM (IST)

    उर्दू ज़बान डिक्शनरी के मामले में ग़रीब ज़बान रही है। उर्दू ज़बान से मुहब्बत करने वाली बेशतर आबादी उर्दू की लिपि से वाक़फ़ियत नहीं रखती। रेख्ता फाउंडेशन की वर्चुअल डिक्शनरी इस क़िस्म का पहला ऐसा काम है जो तीन ज़बानों और लिपियों में उपलब्ध है।

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    रेख़्ता डिक्शनरी में हमें बस उस शब्द पर क्लिक करना होता है जिसे हम तलाश करना चाहते हैं।

    नई दिल्ली, जेएनएन। पिछले कुछ सालों में हिन्दुस्तान में उर्दू ज़बान और शायरी के चाहने वालों की तादाद में एक हैरत अंगेज़ उछाल दर्ज हुआ है, जिसकी लहर पूरी दुनिया तक फैली है। जहां कई लोग उर्दू ज़बान से बतौर पाठक और श्रोता जुड़े हुए हैं वहीं कई ऐसे भी हैं जिनकी उर्दू की ओर दिलचस्पियाँ, ज़बान और लिपि को सीखने समझने, शायरी करने, रिसर्च और कई दूसरी वजहों से हैं। ऐसा समय किसी भी ज़बान के लिए बहुत अहम होता है और एक विस्तृत डिक्शनरी उसकी ज़रूरत बन जाती है।

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    उर्दू ज़बान डिक्शनरी के मामले में ग़रीब ज़बान रही है। उर्दू ज़बान से मुहब्बत करने वाली बेशतर आबादी उर्दू की लिपि से वाक़फ़ियत नहीं रखती| ये हैरत की बात है कि इस हक़ीक़त को मद्द ए नज़र रखते हुए अब तक कोई भी विस्तृत काम नहीं किया गया था। रेख्ता फाउंडेशन की वर्चुअल डिक्शनरी इस क़िस्म का पहला ऐसा काम है जो तीन ज़बानों और लिपियों में उपलब्ध है| दुनिया के किसी कोने से बग़ैर शुल्क इस्तेमाल की जा सकने वाली इस डिक्शनरी का पता है rekhtadictionary.com।

    रेख़्ता फाउंडेशन, जिसकी दाग़बेल उर्दू शायरी और ज़बान से मुहब्बत के सबब पड़ी थी अब एक व्यवस्थित ढांचा इख्तियार कर चुकी है, और हिन्दुस्तानी तहज़ीब की चेतना को जीवंत करने की कोशिशों में नित नए आयाम तलाश कर रही है। रेख़्ता डिक्शनरी- जिसे हम ऊर्दू, हिन्दी और अंग्रेज़ी की डिक्शनरी कह सकते हैं- में हमें बस उस शब्द पर क्लिक करना होता है जिसे हम तलाश करना चाहते हैं। किसी भी लफ्ज़ पर महज़ एक क्लिक करने से यूज़र के सामने उस लफ्ज़ की दुनिया खुल जाती है जहां तीन ज़बानों- उर्दू, हिंदी, अंग्रेजी और तीन लिपियों- नस्तालीक़, देवनागरी, रोमन, में उनके मानी उपलब्ध हैं। डिजिटल होने के सबब इस डिक्शनरी में सभी लफ़्ज़ों का साफ़ साफ़ उच्चारण सुना जा सकता है और उनके उर्दू, हिन्दी और रोमन लिपियों में स्पेलिंग्स भी मौजूद हैं। उर्दू में आम तौर पर मात्राओं के इस्तेमाल का रिवाज कम है जिससे नए सीखने वालों को उच्चारण में परेशानी होती है लेकिन हिन्दी और अंग्रेज़ी लिपियों की मदद से वो साफ़ लहजे में शब्द को अदा कर सकते हैं

    ज़िन्दा ज़बानें पारे की तरह मचलती रहती हैं, उनकी डिक्शनरी के किसी भी एडिशन को आख़िरी और पूरा नहीं माना जा सकता। हर घर में, हर कंप्यूटर पर और स्मार्ट फ़ोन पर आसानी से मिल जाने वाली इस डिक्शनरी का दामन इतना बड़ा है कि इसमें हर दिन नई-नई चीज़ें शामिल की जा सकती हैं।

    इस डिक्शनरी में तलाश किए जाने वाले शब्दों के न सिर्फ़ उर्दू, बल्कि हिन्दी और अंग्रेज़ी ज़बानों में मानी भी शामिल हैं। इसमें पुरानी परम्परा की तरह तलाश किया जाने वाला शब्द शाइरों ने किस तरह बाँधा है, उसकी आधुनिक और क्लासीकी मिसालें भी लिखी गई हैं। शब्द की उत्पत्ति कहाँ से हुई, वह कहाँ से चला और वक़्त के साथ उसने कैसे-कैसे रूप बदले, इनकी भी जानकारी इस डिक्शनरी पर तफ़सील से मौजूद है । तलाश किए जाने वाले शब्द से मिलते-जुलते अल्फ़ाज़ या बिल्कुल उनके उलट मानी देने वाले शब्द भी लिखे गए हैं। ज़बान में तीखापन घोल देने वाली कहावतें, लोकोत्तियां और रोज़मर्रा के रंग-ढंग भी इस डिक्शनरी में लिखे गए हैं। इतना ही नहीं, शायरी करने वालों की सहूलत के लिए हमवज़्न और हम-क़ाफ़िया लफ़्ज़ों की फ़ेहरिस्त भी इस डिक्शनरी में मौजूद है ।रेख़्ता डिक्शनरी में हर लफ्ज़ के विभिन्न परतों पर काम किया गया है जहां समाज के विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े लोग अपनी ज़रूरतों और दिलचस्पियों के मुताबिक़ इससे लाभ उठा सकते हैं।

    दुनिया की हर ज़िन्दा ज़बान वक़्त के साथ बदलना जानती है| अंग्रेजी, अरबी, फ़ारसी और न जाने कितनी ही ज़बानों की इन्टरनेट पर पुख्ता मौजूदगी इस बात की दलील है| रेख़्ता फाउंडेशन की वर्चुअल ट्राईलिंगुअल डिक्शनरी इस बात की मिसाल है कि नई तकनीक और पुरानी परम्परा के संयोग से किस तरह हर इंसान के हाथ में उर्दू अदब के ख़ज़ानों की चाभी थमाई जा सकती है। उर्दू ज़बान इन्टरनेट की दुनिया में भले ही देर से दाख़िल हुई मगर इसका हर क़दम सोचा परखा और नई दुनिया की राहों से बा-ख़बर है।