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मुफ्ती का फरमान, सभी दलों को करें खारिज

मुस्लिम धर्म गुरुओं ने सोमवार को कहा कि अभी हो रहे विधानसभा चुनावों में इस मजहब के लोग सभी राजनीतिक दलों का बहिष्कार करें। उन्होंने नेताओं पर इस समुदाय को वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल करने का आरोप लगाया।

By Edited By: Published: Tue, 26 Nov 2013 01:41 AM (IST)Updated: Tue, 26 Nov 2013 01:44 AM (IST)

नई दिल्ली। मुस्लिम धर्म गुरुओं ने सोमवार को कहा कि अभी हो रहे विधानसभा चुनावों में इस मजहब के लोग सभी राजनीतिक दलों का बहिष्कार करें। उन्होंने नेताओं पर इस समुदाय को वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल करने का आरोप लगाया।

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पढ़ें: मुल्ला मुलायम और मुसलमान

मुफ्ती इश्तियाक हुसैन कादरी ने इस्लामिक संस्थानों के यहां जुटे एक हजार से अधिक धार्मिक प्रमुखों को संबोधित करते हुए कहा, 'हम मुसलमानों से आग्रह करतें हैं कि वे कथित धर्मनिरपेक्ष दलों को वोट न दें और अपनी नाराजगी का इजहार करने के लिए सभी राजनीतिक दलों के खिलाफ 'नोटा' विकल्प का इस्तेमाल करें।' वह बरेलवी संप्रदाय के 'आल इंडिया तंजीम उलेमा-ए-इस्लामी' को संबोधित कर रहे थे।

इसमें रामपुर के मनान राज खान शाह फरहत अहमद जमाली, दारुल उलूम रायपुर के प्रधान मौलाना अकबर अली फारूक और उत्तर प्रदेश, बिहार, दिल्ली, राजस्थान और पश्चिम बंगाल के बड़ी संख्या में मजहबी नेता शामिल थे।

मुफ्ती इश्तियाक ने कहा कि कांग्रेस के कई दशकों के शासन के बावजूद मुसलमान अब भी सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े हैं। भारतीय जनता पार्टी ने भी मुसलमानों को अलग-थलग करने की नीति की शुरुआत की। इसलिए मुसलमानों के पास कोई और विकल्प नहीं है। भारत का सबसे बड़ा अल्पसंख्यक वर्ग होते हुए भी मुसलमान इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन या मतदान में सबको खारिज करते हुए नोटा (नन ऑफ एवब) चुनेंगे। इससे यह संदेश जाएगा कि मुसलमानों को कोई हल्के में नहीं ले सकता। अल्पसंख्यकों के हाथ में नोटा सबसे अच्छा हथियार है। हमें हर हाल में इसका इस्तेमाल करना चाहिए।

मौलाना मजहर अली कादरी ने कहा कि अल्पसंख्यकों को कांग्रेस शासन में भी बहुत अधिक कष्ट उठाना पड़ा है।

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