रसोई में अब घरेलू दाल ही गलेगी, देश में रिकॉर्ड दलहन उत्पादन का अनुमान, आयात पर निर्भरता होगी खत्म
ताजा आंकड़ों के मुताबिक चालू फसल वर्ष में रिकॉर्ड 30 करोड़ टन से अधिक खाद्यान्न उत्पादन का अनुमान है जिसमें दलहनी फसलों का उत्पादन 2.44 करोड़ टन है। दलहनी फसलों की यह पैदावार घरेलू खपत 2.40 करोड़ टन के मुकाबले अधिक आंकी गई है।
सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली। आने वाले दिनों में उपभोक्ताओं को दालों की बढ़ी कीमतें नहीं रुलाएंगी। इसके साथ ही रसोई में विलायती दालों की घुसपैठ अब नहीं हो पाएगी। चालू फसल वर्ष (2020-21) में दलहन व तिलहन के बंपर उत्पादन का अनुमान है। इस मामले में तीन-चार वर्षो से दलहनी खेती को दिए गए प्रोत्साहन के साथ ही किसानों की मेहनत रंग लाई है। घरेलू खपत के मुकाबले रिकॉर्ड उत्पादन के अनुमान से आयात निर्भरता खत्म हो सकती है। इससे जहां विलायती बेस्वाद दालों से उपभोक्ताओं को छुटकारा मिलेगा, वहीं सरकारी खजाने को भी राहत मिलेगी।
ताजा आंकड़ों के मुताबिक चालू फसल वर्ष में रिकॉर्ड 30 करोड़ टन से अधिक खाद्यान्न उत्पादन का अनुमान है, जिसमें दलहनी फसलों का उत्पादन 2.44 करोड़ टन है। दलहनी फसलों की यह पैदावार घरेलू खपत 2.40 करोड़ टन के मुकाबले अधिक आंकी गई है। इसे देखते हुए दालों की आयात पर निर्भरता खत्म हो सकती है। दलहनी फसलों की वैश्विक खेती में भारत का रकबा 33 फीसद है, जबकि कुल खपत में हिस्सेदारी 27 फीसद है।
योजनाबद्ध तरीके से दलहनी फसलों की खेती पर सरकार ने दिया जोर
दालों की पैदावार वर्ष 2014-15 में मात्र 1.72 करोड़ टन ही थी। जबकि अगले साल 2015-16 में दलहन उत्पादन घटकर 1.63 करोड़ टन रह गया था। मांग व आपूर्ति के बढ़ते अंतर के चलते अरहर दाल का भाव 200 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गया था। देश को 70-80 लाख टन दालों का आयात करना पड़ता था। आयात निर्भरता घटाने के लिए सरकार ने योजनाबद्ध तरीके से दलहनी फसलों की खेती पर जोर दिया। देशभर में चु¨नदा 5,000 दलहन गांव विकसित किए गए, जहां की दलहनी फसलों के उन्नत बीज तैयार किए गए। बीजों के मिनी किट किसानों तक डाकघरों के माध्यम से पहुंचाए गए।
आयात-निर्यात नीति में किया गया संशोधन
इसके अलावा सरकार के नीतिगत फैसले भी कारगर साबित हुए हैं। इसके तहत दलहनी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में भारी बढ़ोतरी कर किसानों को इसकी खेती के लिए प्रोत्साहित किया गया। सरकार ने इनका बफर स्टॉक बनाया। इसके अलावा आयात-निर्यात नीति में संशोधन किया गया। इसके तहत चना जैसी दाल पर 60 फीसद तक का शुल्क लगाया गया। वहीं, अरहर का आयात कोटा घटाकर सिर्फ चार लाख टन किया गया है, जबकि उड़द, मूंग और मटर का आयात कोटा घटाकर डेढ़-डेढ़ लाख टन कर दिया गया है।