Move to Jagran APP

सेना में महिलाओं को स्थायी कमीशन के SC के फैसले को महिला सैन्य अधिकारियों ने बताया ऐतिहासिक

महिला सैन्य अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर खुशी जाहिर करते हुए इसे एक प्रगतिशील और ऐतिहासिक निर्णय बताया है।

By Shashank PandeyEdited By: Published: Mon, 17 Feb 2020 12:17 PM (IST)Updated: Mon, 17 Feb 2020 03:17 PM (IST)
सेना में महिलाओं को स्थायी कमीशन के SC के फैसले को महिला सैन्य अधिकारियों ने बताया ऐतिहासिक
सेना में महिलाओं को स्थायी कमीशन के SC के फैसले को महिला सैन्य अधिकारियों ने बताया ऐतिहासिक

नई दिल्ली, एएनआइ।  सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए सेना में महिलाओं को स्थायी कमीशन दिए जाने पर अपनी मुहर लगा दी। कोर्ट ने इसके लिए एक समय सीमा भी निश्चित कर दी है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को तीन महीने के अंदर सेना में महिलाओं के लिए स्थायी कमीशन का गठन करने का आदेश दिया है।

loksabha election banner

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर महिला सैन्य अधिकारियों ने खुशी जताई है। भारतीय सेना की लेफ्टिनेंट कर्नल सीमा सिंह ने फैसले पर कहा कि सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि सेना में सभी महिला अधिकारियों की सेवा में स्थाई कमीशन लागू होगा, चाहे उनकी सेवा कितने भी साल की हो। यह एक प्रगतिशील और ऐतिहासिक निर्णय है।महिलाओं को समान अवसर दिए जाने चाहिए।

सेना में महिलाओं को स्थायी कमीशन दिए जाने पर कांग्रेस की प्रियंका गांधी ने ट्वीट कर सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर खुशी जताई है। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले ने देश की महिलाओं की उड़ान को नए पंख दिए हैं।महिलाएँ सक्षम हैं - सेना में, शौर्य में और जल, थल, नभ में। पूर्वाग्रह से ग्रस्त हो नारी शक्ति का विरोध करने वाली मोदी सरकार को ये करारा जवाब है।

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र को निर्देश दिया कि वह तीन महीने के भीतर सेना में सभी महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन गठित करे। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र के शारीरिक सीमाओं और सामाजिक मानदंडों के तर्क को नकारते हुए इसे विचलित करने वाला बताया है।

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि उन्हें कमांड पोस्टिंग देने पर कोई पूर्ण प्रतिबंध नहीं होगा। इसमें कहा गया है कि अतीत में महिला अधिकारियों ने देश की प्रशंसा की है और सशस्त्र बलों में लैंगिक पूर्वाग्रह को समाप्त करने के लिए सरकार की ओर से मानसिकता में बदलाव की आवश्यकता है।

शीर्ष अदालत ने कहा कि 2010 के दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले पर कोई रोक नहीं होने के बावजूद सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन दिए जाने पर केंद्र ने पिछले एक दशक में निर्देश को लागू करने के लिए बहुत कम चिंता दिखाई है।

दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले के अनुसार भारत के संघ के कार्य नहीं करने का कोई कारण और औचित्य नहीं है। 2 सितंबर, 2011 को सुप्रीम कोर्ट ने इस पहलू को स्पष्ट किया और कहा कि हाईकोर्ट के फैसले पर कोई रोक नहीं है।पीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद इस फैसले का पालन नहीं किया।

इसे भी पढ़ें: सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, सेना में महिलाओं के लिए होगा कमांड पोस्ट और स्थायी कमीशन


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.