आरबीआइ गर्वनर उर्जित पटेल क्यों बोले, अर्थशास्त्रियों का काम वित्तीय संकट की भविष्यवाणी करना नहीं, आइये जानें
पटेल ने कहा कि अर्थशास्त्री आम लोगों के व्यवहार का अध्ययन करते हैं ताकि वे संकट पैदा होने की स्थितियों के लिए आगाह कर सकें।
मुंबई, प्रेट्र। वर्ष 2008 में ग्लोबल वित्तीय संकट की भविष्यवाणी करने में विफलता के लिए अर्थशास्त्रियों की आलोचना किए जाने पर भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने कहा है कि अर्थशास्त्रियों का मुख्य काम वित्तीय संकट की भविष्यवाणी करना नहीं है। उनका काम आम लोगों के व्यवहार का आर्थिक विश्लेषण और संकट की स्थितियों के प्रति आगाह करना है।
आज से दस साल पहले इस अप्रत्याशित वित्तीय संकट ने दुनियाभर में भूचाल ला दिया था। समय रहते संकट को भांप नहीं पाने और भविष्यवाणी न करने के लिए अर्थशास्त्रियों की जमकर आलोचना हुई थी। वित्तीय संकट की शुरुआत अमेरिका में सबप्राइम मॉरगेज संकट से हुई। इससे ग्लोबल अर्थव्यवस्था धराशायी हो गई। एक दशक बीत जाने के बाद भी दुनिया इससे पूरी तरह उबर नहीं पायी है।
यहां एक बिजनेस स्कूल में छात्रों को संबोधित करते हुए पटेल ने कहा कि अर्थशास्त्रियों का मुख्य काम संकटों की भविष्यवाणी करने का नहीं है। वे आम लोगों के व्यवहार का अध्ययन करते हैं ताकि वे संकट पैदा होने की स्थितियों के लिए आगाह कर सकें। इससे बचने के लिए रणनीति और असर कम करने के लिए नीतियां बनाने के लिए अर्थशास्त्री सुझाव देते हैं ताकि संकट की स्थिति दूर की जा सके और निगरानी की जा सके।
उन्होंने कहा कि कंपनियों, केंद्रीय बैंकों, सरकारों और बहुराष्ट्रीय कंपनियों में आम धारणा और नीतियां बनाने में उनकी अहम भूमिका हो सकती है। लेकिन उनकी सिफारिशों और सुझावों पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता है। उन्होंने कहा कि नीतियां बनाने में उनका बड़ा योगदान रिसर्च जैसी गतिविधियों के जरिये हो सकता है। इससे नीति निर्धारक आर्थिक समस्याओं और चुनौतियों के बारे में नए तरीके से विचार कर सकते हैं।