उल्टा पड़ सकता है 'डेटा लोकलाइजेशन' पर आरबीआइ का दांव
गुरुमूर्ति स्वदेशी जागरण मंच में रहे हैं और बताया जाता है कि नोटबंदी सहित मोदी सरकार के अहम आर्थिक फैसलों पर उनका प्रभाव रहा है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। 'मास्टर', 'वीजा' और 'अमेरिकन एक्सप्रेस' जैसी कार्ड कंपनियों पर 'डेटा लोकलाइजेशन' यानी यूजर्स की सूचनाएं भारत में ही स्टोर करने संबंधी नियमों को लागू करने में रिजर्व बैंक ने जो रुख अख्तियार किया है उसका विपरीत असर भी हो सकता है। आरबीआइ की इस पहल के जवाब में अगर अमेरिका कदम उठाता है तो उससे देश के सेवा निर्यात खास कर सूचना प्रौद्योगिकी सेवाओं और आउटसोर्सिग से जुड़े कारोबार पर विपरीत असर पड़ सकता है।
विशेषज्ञों के अनुसार अमेरिकी सांसदों ने आरबीआइ के इस कदम के बारे में असहज रुख जाहिर भी कर दिया है। उन्होंने इस संबंध में प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र लिखकर अमेरिकी कंपनियों के भारत में कारोबार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की आशंका भी जतायी है। ऐसे में माना जा रहा है कि आरबीआइ के कदम के बाद अमेरिका अगर जवाबी कार्रवाई करता है तो इसका भारत के सेवा निर्यात पर विपरीत असर पड़ेगा। भारत से सेवाओं का निर्यात लगभग सवा सौ अरब डालर है।
विशेषज्ञों ने 'डेटा लोकलाइजेशन' पर अचानक से आरबीआइ के रुख कड़ा करने पर आश्चर्य भी जताया है। आरबीआइ ने छह महीने पहले इस संबंध में नियमों को लागू करने की घोषणा की थी और माना जा रहा था कि अंतिम तिथि निकट आने के समय आरबीआइ इस समयसीमा को आगे बढ़ा सकता है। लेकिन अचानक से पांचवां महीना बीतते-बीतते आरबीआइ का रुख और कड़ा हो गया।
आरबीआइ ने इस संबंध में संबंधित पक्षों से परामर्श किए बगैर समयसीमा न बढ़ाने का फैसला किया। बताया जाता है कि आरबीआइ के रुख में यह बदलाव ऐसे समय आया है जब हाल ही में दक्षिणपंथी विचारक और वैश्वीकरण के धुर विरोधी एस गुरुमूर्ति आरबीआइ के बोर्ड में शामिल हुए हैं।
गुरुमूर्ति स्वदेशी जागरण मंच में रहे हैं और बताया जाता है कि नोटबंदी सहित मोदी सरकार के अहम आर्थिक फैसलों पर उनका प्रभाव रहा है।