बीमा के बीस लाख रुपये के लिए आरएसएस कार्यकर्ता ने रची खुद की हत्या की साजिश
Ratlam murder Case: डीएनए टेस्ट के जरिए पुलिस ने लाश की शिनाख्त की। उसके बाद पता चला कि मृतक ही हत्यारा निकला।
रतलाम, राज्य ब्यूरो। छह दिन पहले कमेड़ गांव में जिस आरएसएस कार्यकर्ता( RSS Worker Murder) की हत्या होना बताया गया था, वह आरएसएस कार्यकर्ता नहीं निकला। डीएनए रिपोर्ट ने पूरा मामला पलट दिया। हत्या आरएसएस कार्यकर्ता हिम्मत पाटीदार की नहीं, बल्कि उसके पूर्व नौकर मदन मालवीय की हुई थी। प्रारंभिक तथ्यों से यह माना गया कि हत्या हिम्मत पाटीदार की हुई है और उसका पूर्व नौकर मदन लापता है। हत्या मदन ने की होगी। पुलिस उसकी सरगर्मी से तलाश कर रही थी।
इसी बीच यह बात उठी कि जो शव मिला था वह हिम्मत का न होकर मदन का है। पुलिस ने डीएनए टेस्ट कराया तो शव मदन का पाया गया। अब माना जा रहा है कि हत्या हिम्मत ने की है और पहचान छिपाने के लिए उसने मदन को अपने कपड़े पहनाकर उसका चेहरा जला दिया था। यह हत्या उसने 20 लाख के बीमे का फायदा उठाने और बाजार से लिया कर्ज न चुकाने की नीयत से की है। पुलिस अब इस पहलू पर जांच कर रही है।
ऐसे रची गई हत्या की पूरी साजिश
मदन दो साल पहले हिम्मत पाटीदार के खेत पर काम करता था और 22 जनवरी की रात से लापता था। घरवालों से जब पुलिस ने पूछताछ कि तो पता चला कि वो खेत पर जाने का बोलकर घर से निकला था। लेकिन तब से वापस नहीं लौटा। इसके बाद पुलिस ने बड़ी बारीकी से जांच शुरू की और उस खेत पर जाकर जांच कि जहां मदन काम करता था। पुलिस ने खेत के आस-पास, मदन के घर जाने के रास्ते पर सबूत तलाशे तो उसे कई अहम सुराग मिले। पुलिस को घटनास्थल से 500 मीटर की दूरी पर एक जोड़ी जूते मिले, जिस पर मिट्टी लगी हुई थी।
पुलिस ने कपड़े और जूते मदन के पिता को दिखाए तो उन्होंने इसे पहचान लिया। इसके बाद पुलिस ने जो लाश मिली थी, उसका डीएनए टेस्ट कराने का फैसला किया। इसके लिए आरएसएस कार्यकर्ता हिम्मत पाटीदार और मदन के परिजनों के ब्लड सैंपल लिए गए। जिसे सागर फॉरेंसिक लैब भेजा गया। रिपोर्ट से पुलिस का शक यकीन में तब्दील हो गया कि लाश हिम्मत की नहीं बल्कि उसके खेत पर काम करने वाले मदन की ही थी।
बीमा की रकम हासिल करने के लिए की हत्या
आरएसएस कार्यकर्ता हिम्मत पाटीदार ने बड़े ही शातिर अंदाज में हत्या की ये साजिश रची थी। दऱअसल उस पर लाखों का कर्जा था। उसे उतारने के लिए हिम्मत ने दिसंबर महीने में अपना 20 लाख का बीमा कराया था। उस पर पहले से ही दस लाख का कर्जा था। उसे उतारने की नीयत से ही हिम्मत ने ये पूरी साजिश रची। इसके बाद उस शख्स की तलाश शुरू की, जिसे मारकर वो बीमा की रकम हासिल करता। उसकी तलाश मदन पर आकर रुकी। क्योंकि मदन से उसकी पहचान थी, वो दो साल पहले उसके खेत पर काम कर चुका था।
दोनों की कद-काठी भी एक सी ही थी। इसी का सहारा लेकर उसने मदन को मारने का प्लान बनाया। हत्या वाले दिन हिम्मत उसे काम के बहाने अपने खेत पर ले गया और फिर मौका देखकर उस पर धारदार हथियार से हमला कर दिया। हमले में उसकी मौत हो गई। अपने इस प्लान को फूलप्रूफ बनाने के लिए हिम्मत ने मृतक मदन की जेब में अपना मोबाइल, सिम कार्ड और डायरी रख दी। इतना ही नहीं उसे अपने कपड़े पहना दिए। इतना ही नहीं पुलिस मरने वाले शख्स की पहचान न कर ले, इससे बचने के लिए उसने मदन का चेहरा भी जला दिया। लेकिन हिम्मत के तमाम हथकंडे भी उसके काम नहीं आए और पुलिस ने डीएनए टेस्ट के सहारे असली हत्यारे की पहचान कर ली।
10 हजार रुपए का इनाम घोषित
एसपी गौरव तिवारी ने बताया कि हिम्मत की तलाश में अलग-अलग टीमें लगाई गई है। उसकी गिरफ्तारी पर दस हजार रुपए का इनाम घोषित किया गया है। शव के शरीर पर जो अंडर गारमेंट मिले थे, वे मदन के पाए गए। हिम्मत का मोबाइल फोन घटना वाली रात सुबह साढ़े चार बजे तक चलना पाया गया और लगातार उसका उपयोग किया गया। परंतु साइबल सेल से जांच कराने पर पाया गया कि मृतक के पास से मिले मोबाइल फोन का कॉल रिकॉर्ड, व्हाट्सऐप मैसेज व गैलरी के फोटो, वीडियो डिलीट होना पाया गया है।