दिल्ली गैंगरेप: पीड़िता की हालत बेहद नाजुक, भेजी जा सकती है विदेश
गुरुवार को गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनावों के नतीजों के चलते रविवार की रात गैंगरेप की शिकार हुई लड़की सुर्खियों में नीचे चली गई है। पर उसके बारे में ताजा जानकारी यह है कि उसे अब भी वेंटीलेटर पर ही रखा गया है। अगर वह बच भी जाती है तो उसे ताउम्र खाना खाने में दिक्कत होगी। इस बीच खबर है कि बेहतर इलाज के लिए उसे विदेश भेजा जा सकता है।
नई दिल्ली। गुरुवार को गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनावों के नतीजों के चलते रविवार की रात गैंगरेप की शिकार हुई लड़की सुर्खियों में नीचे चली गई है। पर उसके बारे में ताजा जानकारी यह है कि उसे अब भी वेंटीलेटर पर ही रखा गया है। अगर वह बच भी जाती है तो उसे ताउम्र खाना खाने में दिक्कत होगी। इस बीच खबर है कि बेहतर इलाज के लिए उसे विदेश भेजा जा सकता है।
उधर, तिहाड़ जेल में गुरुवार को आरोपी की पहचान परेड कराई गई। पीड़ित लड़की के दोस्त ने आरोपी मुकेश सिंह की पहचान की। मुकेश को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजा जा चुका है। हिरासत में लिए गए चार आरोपियों में से मुकेश इकलौता ऐसा आरोपी है, जिसकी पहचान करवाई गई।
जरूरत पड़ी तो इलाज को विदेश भेजी जाएगी युवती
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली: दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित गैंगरेप पीड़िता की हरसंभव मदद करने को तैयार हैं। उनका कहना है कि जरूरत पड़ी तो सरकारी खर्चे पर युवती का इलाज विदेश में कराया जाएगा। इस घटना के मद्देनजर मुख्यमंत्री कार्यालय ने एक विशेष हेल्पलाइन नंबर शुरू करने का फैसला किया है, जो मुसीबत में फंसी महिलाओं की हिफाजत के लिए काम करेगा। इसे 31 दिसंबर से पहले चालू कर दिया जाएगा। सरकार ने महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों की रोकथाम के लिए एक सख्त कानून बनाने की भी तैयारी शुरू कर दी है।
शीला ने बुधवार रात सफदरजंग अस्पताल जाकर पीड़िता से मुलाकात की और डॉक्टरों से उसके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली। डॉक्टरों का कहना है कि युवती का दिल, दिमाग व किडनी ठीक काम कर रहे हैं। वह बिना उपकरण के सांस लेने का प्रयास भी कर रही है। हालांकि वह अभी भी वेंटिलेटर पर है। अस्पताल प्रशासन ने दावा किया कि अब उसकी हालत स्थिर है। बावजूद इसके उसके शरीर में संक्रमण बढ़ा है। इस वजह से प्लेटलेट्स 48 हजार से गिरकर 41 हजार रह गया है। एंटीबायोटिक्स संक्रमण रोक पाने में बेअसर साबित हो रही हैं व युवती को पीलिया भी हो गया है। इस वजह से डॉक्टर पीड़ित की हालत अभी गंभीर बता रहे हैं। वह बात करने का प्रयास कर रही है। वेंटिलेटर लगा होने के कारण बोल नहीं पा रही। फिर भी इशारों-इशारों में उसने अपनी मां व भाई से बातचीत की।
गैंगरेप के दोषियों को कड़ी सजा पर विचार: शिंदे
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। सरकार जघन्य गैंगरेप के आरोपियों को सख्त सजा दिलाने की कोशिश में जुटी है, जो भविष्य में अपराधियों के लिए सबक का काम करे। केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कहा कि तीन बेटियों का पिता होने के नाते मैं ऐसी सबक देनी वाली सजा के पक्ष में हूं और मैं इसके लिए प्रयास कर रहा हूं।
शिंदे ने कहा कि इस जघन्य अपराध को भुलाया नहीं जा सकता। यह किसी के साथ कभी भी हो सकता है। उन्होंने आश्वासन दिया कि भविष्य में पुलिस ऐसी घटनाओं को ज्यादा संवेदनशीलता से निपटेगी।
गौरतलब है कि बुधवार को शिंदे ने दिल्ली पुलिस व गृह मंत्रालय के आला अधिकारियों के साथ बैठक की थी। इसके बाद उन्होंने संसद में दिल्ली में ऐसे ऐसे अपराधों को रोकने के लिए उठाए जाने वालों उपायों की घोषणा की थी।
बलात्कारी को नपुंसक बना दिया जाए
नई दिल्ली। राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष ममता शर्मा ने बलात्कारियों को फांसी की सजा देने की वकालत करने के साथ ही ऐसे मुजरिमों को नपुंसक बनाने की अजीबोगरीब सलाह दी है। इससे पहले शर्मा ने एक विवादास्पद बयान में लड़कियों को ऐसी पोशाक पहनने का सुझाव दिया था जिससे वे सेक्सी दिखें।
यहां एक सेमिनार में गुरुवार को शर्मा ने कहा, 'दुष्कर्म के दोषियों को नपुंसक बना देना चाहिए ताकि उन्हें जिंदगी भर पछतावा रहे। जब तक ऐसी सजा मुजरिमों को नहीं मिलेगी, महिलाएं खुद को महफूज नहीं महसूस करेंगी।'
निष्क्रियता के आरोपों का जवाब देते हुए शर्मा ने कहा कि महिला आयोग के पास कोई जादुई छड़ी नहीं है। समन्वित प्रयास और प्रभावी कानूनों के जरिये ही ऐसे मामलों पर अंकुश संभव है। शर्मा का सुझाव था कि डीएसपी के नीचे के स्तर के अधिकारी को दुष्कर्म का मामला नहीं सौंपना चाहिए। साथ ही ऐसे अपराध की विस्तृत रिपोर्ट एक माह में पेश की जाए। उन्होंने दुष्कर्म के मामलों में पुलिस को और ज्यादा संवेदनशील होने की सलाह भी दी।
आयोग अध्यक्ष ने कहा कि दुष्कर्म पीड़िता के लिए जिंदगी बहुत कठिन हो जाती है। हत्या के मामले में जहां मामला अपराध के साथ खत्म हो जाता है, दुष्कर्म के मामले में कठिनाई अपराध घटित होने के बाद शुरू होती है। कार्यक्रम में महिला आयोग और नौ राज्यों के एनजीओ ने यहां एक संयुक्त प्रस्ताव के जरिये दिल्ली की घटना के दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग की।
सुप्रीम कोर्ट की पहले सुन लेते तो रुक सकती थी घटना
नई दिल्ली [माला दीक्षित]। गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे दिल्ली में चलती बस में गैंग रेप की घटना के बाद चेते और महिलाओं को सुरक्षित करने के लिए उठाए जाने वाले कदमों की संसद में घोषणा की, लेकिन सुप्रीम कोर्ट तो 20 दिन पहले ही इस बारे में आदेश दे चुका था। सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि सार्वजनिक स्थलों और सार्वजनिक वाहनों पर सादी वर्दी में महिला पुलिसकर्मी तैनात हों और महत्वपूर्ण स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे लगें ताकि महिलाओं के साथ बदतमीजी न हो और अगर हो तो अपराधी तुरंत पकड़ा जाए। कोर्ट के इन निर्देशों का पालन हुआ होता तो शायद गैंग रेप की घटना रुक जाती, क्योंकि कोर्ट तो छेड़खानी तक को घिनौनी हरकत करार देकर उसे रोकने के लिए दिशानिर्देश जारी कर चुका है।
शीर्ष अदालत का यह आदेश 30 नवंबर का हैं। कोर्ट ने आदेश तो सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को दिया है, लेकिन अमल उसकी नाक के नीचे दिल्ली में भी नहीं हुआ जहां छेड़खानी तो छोड़ो 16 दिन के भीतर चलती बस में गैंग रेप हो गया। बताते हैं कि दिल्ली पुलिस को सुप्रीम कोर्ट के आदेश की प्रति अभी नहीं मिली है। हालांकि आदेश समाचार पत्रों में छपा था।
कोर्ट ने कहा था कि स्कूल जाने वाली लड़कियों और नौकरी पर जाने वाली महिलाओं को सुरक्षा मिलनी ही चाहिए। भीड़ भरी बसों, मेट्रो और ट्रेन आदि में महिलाओं और च्च्चियों को पीड़ादायक अनुभवों से गुजरना पड़ता है। इससे बचाने के लिए कोर्ट ने दिशानिर्देश जारी किए, लेकिन हुआ कुछ नहीं, सिस्टम जैसा था वैसा ही रहा। तभी तो मुनीरका-महिपालपुर रूट पर इतनी बड़ी वारदात होती रही और पुलिस को भनक नहीं लगी। सादी वर्दी में महिला पुलिस और सीसीटीवी कैमरे तो छोड़ो पीसीआर तक का पता नहीं था।
क्या हैं दिशानिर्देश
1- बस स्टाप, बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन, मेट्रो स्टेशन, सिनेमाघर, शॉपिंग मॉल, पार्क, समुद्र तट, धर्मस्थलों और सार्वजनिक वाहनों पर सादे वस्त्रों में महिला पुलिस तैनात हो
2- महत्वपूर्ण बिंदुओं और स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं। सार्वजनिक स्थलों और वाहनों पर छेड़खानी से आगाह करने वाले बोर्ड लगाए जाएं
3- शिक्षण संस्थानों, धर्मस्थलों, सिनेमाघरों, रेलवे स्टेशनों और बस स्टैंड के मुखिया अपने परिसरों में छेड़खानी रोकने के लिए कदम उठाएं। शिकायत मिलने पर नजदीकी थाने या महिला सहायता केंद्र को सूचना दें
4- अगर सार्वजनिक वाहन पर छेड़खानी होती है, चाहें वह किसी सवारी ने की हो या वाहन मुखिया ने, चालक दल शिकायत मिलने पर वाहन को नजदीकी थाने ले जाएगा। ऐसा नहीं होने पर वाहन का परमिट रद कर दिया जाएगा।
5- सरकारें छेड़खानी रोकने के लिए तीन माह में शहरों और कस्बों में महिला सहायता केंद्र स्थापित करें
6- राहगीर को अगर घटना का पता चलता है तो वह इसकी सूचना पुलिस को देगा
8- सरकारें उचित कार्यवाही के लिए जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक व अन्य संबंधित अफसरों को निर्देश जारी करें।
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