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इसरो के मिसाइलों जैसे थे राम के तीर: विजय रुपाणी

गुजरात के मुख्‍यमंत्री विजय रुपाणी ने शनिवार को भगवान राम की तीरों से इसरो के मिसाइल की तुलना करते हुए उन्‍हें सामाजिक इंजीनियरिंग का श्रेय दिया।

By Monika minalEdited By: Published: Sun, 27 Aug 2017 01:21 PM (IST)Updated: Sun, 27 Aug 2017 01:21 PM (IST)
इसरो के मिसाइलों जैसे थे राम के तीर: विजय रुपाणी
इसरो के मिसाइलों जैसे थे राम के तीर: विजय रुपाणी

अहमदाबाद (जेएनएन)। गुजरात के मुख्‍यमंत्री विजय रुपाणी ने भगवान राम के तीरों से इसरो की मिसाइलों की तुलना करते हुए कहा कि जिस राम राज्‍य की भगवान राम ने बात कही थी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वैसा ही रामराज्‍य स्‍थापित करने में जुटे हैं।

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गुजरात सरकार द्वारा स्‍थापित इंस्टीट्यूट ऑफ इंफ्रास्ट्रक्चर टेक्नोलॉजी रिसर्च एंड मैनेजमेंट (IITRAM) के दीक्षांत समारोह के दौरान मुख्‍यमंत्री ने गुजराती भाषा में ही इंजीनियरिंग छात्रों को संबोधित किया। उन्‍होंने कहा, ‘राम का हर तीर एक मिसाइल था। इसरो जो काम आज कर रहा है, भगवान राम ने उन लोगों को आजाद कराने के लिए इस्तेमाल किया था। इस अवसर पर इसरो के स्‍पेस एप्‍लीकेशन सेंटर के निदेशक तपन मिश्रा भी मौजूद थे। भगवान राम के इंजीनियरिंग कुशलता की प्रशंसा करते हुए उन्‍होंने कहा, अगर बुनियादी ढांचा भगवान राम और रामायण से जुड़ा है तो कल्पना कीजिए राम किस तरह के इंजीनियर थे, जिन्होंने भारत और श्रीलंका को जोड़ने के लिए पुल का निर्माण किया। यहां तक कि गिलहरी ने भी पुल के निर्माण में मदद की पेशकश की थी। आज भी लोगों का मानना है कि कि राम सेतु के अवशेष समुद्र में हैं। राम सेतु राम की कल्पना थी, और इंजीनियरों ने तब अस्थायी पुल बनाया था।

दर्शकों की सराहना के बीच रुपानी ने रामायण के और भी संदर्भों का उल्‍लेख किया। उन्होंने कहा कि जब लक्ष्मण युद्ध में बेहोश हो गए, तो विशेषज्ञों को पता था कि उत्तर में एक जड़ी बूटी थी जो उन्हें ठीक कर सकती थी, यानी तब शोध मौजूद था। जब हनुमान भूल गए कि किस जड़ी बूटी को चुनना है तो वह पूरे पहाड़ को ले आए। तब किस तरह की तकनीक थी, जो पूरे पर्वत को लाने में मदद कर सकती थी? यह भी बुनियादी ढांचे के विकास की एक कहानी है। उन्होंने आगे बताया कि हथियारों और बुनियादी ढांचे के अलावा राम ने सोशल इंजीनियरिंग में भी काम किया। उन दिनों सभी जातियों को एक साथ लाने का काम भगवान राम ने किया। तथ्य यह है कि उन्होंने शबरी के बेर भी खाए, जो दिखाता है कि उन्होंने आदिवासियों का विश्वास अर्जित किया था। सुग्रीव, हनुमान और बंदरों की सेना को सोशल इंजीनियरिंग का उदाहरण बताते हुए उन्‍होंने कहा, महात्मा गांधी ने इस राम राज्य के बारे में कहा था और प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई (मोदी) इसके लिए काम कर रहे हैं।


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