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Blood Pressure और Diabetes के मरीज अगर रखते हैं रोजा तो ये खबर जरूर पढ़ें

जो व्यक्ति डायबिटीज हदय रोग व हाई ब्लड प्रेशर से ग्रस्त हैं उन्हें रोजा रखने से पूर्व कुछ सजगताएं बरतनी चाहिए।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sat, 04 May 2019 01:52 PM (IST)Updated: Mon, 06 May 2019 07:42 AM (IST)
Blood Pressure और Diabetes के मरीज अगर रखते हैं रोजा तो ये खबर जरूर पढ़ें
Blood Pressure और Diabetes के मरीज अगर रखते हैं रोजा तो ये खबर जरूर पढ़ें

विवेक शुक्ला। रमजान का मुकद्दस महीना शुरू हो रहा है। लोग रोजा रखेंगे, लेकिन जो व्यक्ति डायबिटीज, हदय रोग व हाई ब्लड प्रेशर से ग्रस्त हैं, उन्हें रोजा रखने से पूर्व कुछ सजगताएं बरतनी चाहिए। भारत कई संस्कृतियों का समागम है। सभी संस्कृतियों की अपनी मान्यताएं हैं और उन्हें निभाने के तरीके भी अलग-अलग हैं। इसलिए भारत में कई त्योहार मनाए जाते हैं। एक से अधिक कैलेंडर भी हमारे देश में मौजूद हैं।

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रमजान भी इन परंपराओं का एक महत्वपूर्ण अंग हैं, जो इस्लामिक कैलेंडर के नौवें महीने में मनाया जाता है। मुस्लिम समुदाय में इस महीने को परम पवित्र माना जाता है। रमजान के महीने में सुबह सूरज निकलने से पहले सहरी के वक्त खाने की परंपरा है और फिर शाम को सूरज ढलने के बाद एक तय समय पर इफ्तार किया जाता है। इस बीच किसी भी प्रकार का अन्न ग्रहण करना या पानी पीने की सख्त मनाही होती है।

रोजे का डायबिटीज पर प्रभाव
रोजा रखने का निर्णय व्यक्तिगत है, लेकिन डायबिटीज (मधुमेह) वाले व्यक्तियों को रोजे रखने का निर्णय धार्मिक दिशा-निर्देशों में दी गई छूट को ध्यान में रखकर ही लेना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि रोजे के दौरान आहार और जीवनशैली में काफी परिवर्तन आ जाता है। इस कारण डायबिटीज से ग्रस्त व्यक्तियों में रक्त शर्करा (ब्लड शुगर) सामान्य से कम (70 एमजी / डीएल या इससे कम) होने का खतरा बढ़ जाता है, जिसे हाइपोग्लाइसीमिया कहते हैं।

ध्यान दें
हाइपोग्लाइसीमिया में कुछ लक्षण महसूस हो सकते हैं। जैसे अचानक पसीना आना, शरीर में कमजोरी या कंपन होना, दिल की धड़कनें तेज होना आदि। अगर ध्यान न दिया जाए तो बेहोशी या कोमा में जाने की स्थिति आ सकती है। इसके अलावा यह भी देखा जाता है कि रोजे के दौरान उपवास की समाप्ति अक्सर अधिक कैलोरी युक्त, तले हुए और मीठे भोजन से होती है। इस कारण रक्त शर्करा काफी बढ़ सकती है। रोजे के दौरान लंबे समय तक तरल पदार्थों का सेवन न करने के कारण डीहाइड्रेशन की समस्या भी उत्पन्न हो सकती है। खासकर उन लोगों में जो हाई ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने के लिए ऐसी दवाएं लेते हैं, जो शरीर से पानी निकालती हैं।

इन सुझावों पर करें अमल

  • डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर से ग्रस्त व्यक्ति रोजे के दौरान कुछ सजगताएं बरतकर अपने स्वास्थ्य का ध्यान रख सकते हैं।
  • जिन व्यक्तियों को डायबिटीज को नियंत्रित करने के लिए दवा की आवश्यकता नहीं पड़ती, वे उसे संतुलित आहार और नियमित व्यायाम से ही नियंत्रण में रखते है और रोजे के दौरान परिवर्तनशील जीवनशैली के साथ सामंजस्य स्थापित कर सकते है, वे रोजा रख सकते हैं।
  • ऐसे व्यक्ति जो डायबिटीज को नियंत्रित करने के लिए दवाएं या इंसुलिन लेते हों, वे रोजा रखने से पूर्व डॉक्टर की सलाह अवश्य लें क्योंकि रोजे के दौरान दवाओं की खुराक एवं समय में परिवर्तन करना पड़ सकता है। यह जरूरी है कि आप दवाएं बंद न करें। इस दौरान दवा की बड़ी खुराक इफ्तार (सूर्यास्त भोजन) पर लें क्योंकि यह दिन का प्रमुख भोजन कहलाता है, सहरी (सुबह के भोजन) में दवा की खुराक कम करना ज्यादा लाभदायक है।
  • दवा में परिवर्तन। जो व्यक्ति डायबिटीज को नियंत्रित करने के लिए मेटफोर्मिन या ग्लिप्टिन (सीटाग्लिप्टिन, विल्डाग्लिप्टिन, लीनाग्लिप्टिन, टेनलीग्लिप्टिन) ग्रुप की दवाएं लेते हैं, वे सुरक्षित तौर पर रोजे रख सकते हैं क्योंकि इन दवाओं से हाइपोग्लाइसीमिया होने का खतरा कम होता है, सल्फोनिलयूरिया (ग्लीमीपराइड,ग्लाइक्लाजाइड) ग्रुप की दवाएं लेने वाले व्यक्तियों में रक्त शर्करा सामान्य से नीचे जा सकती है। इसलिए इस दवा की खुराक और समय में परिवर्तन के लिए डॉक्टर से सलाह अवश्य लें। उसी प्रकार एस जी एल टी 2 गु्रप (एम्पाग्लिफ्लोजिन, डेपाग्लिफ्लोजिन) की दवा लेने वाले व्यक्तियों में रोजे के दौरान डीहाइड्रेशन (शरीर में पानी की कमी) होने का खतरा बढ़ सकता है। इसलिए रोजे से पूर्व डॉक्टर से परामर्श करके दवाओं में बदलाव करना अनिवार्य है।
  • डायबिटीज के अलावा हाई ब्लड प्रेशर से ग्रस्त व्यक्ति (जो डाइयुरेटिक जैसी दवा ले रहे हों) रोजे से पूर्व इसकी खुराक में परिवर्तन जरूर करवाएं, क्योंकि गर्मी और पानी न पीने की वजह से इस दौरान डीहाइड्रेशन होने की आंशका बढ़ जाती है।
  • सहरी और इफ्तार के समय आवश्यकता से अधिक न खाएं। अक्सर ऐसा देखा गया है कि गर्मी और थकान भरे दिनों के बाद इफ्तार के समय लोग अधिक कैलोरी वाला चिकनाई और कार्बोहाइड्रेट युक्त आहार लेते हैं। जैसे तले हुए कबाब, मीट, कचौड़ी, शर्बत, कोल्ड ड्रिंक आदि जिसे खाने से रक्त शर्करा काफी बढ़ जाती है।
  • रक्त शर्करा और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने के लिए धीरे-धीरे अवशोषित होने वाले फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन ज्यादा लाभदायक है। जैसे सब्जियां, सूखे मेवे (बादाम, अखरोट, पिस्ता आदि), फल, चोकर युक्त रोटी, दाल, तंदूरी चिकन या मछली आदि।
  • छाछ, नारियल पानी, नींबू पानी का सेवन करें।
  • व्यायाम करें। रोजे के दौरान व्यायाम के सामान्य स्तर को बनाए रखा जा सकता है। उपवास व आहार के अनुसार व्यायाम की अवधि और समय में परिवर्तन करके रक्त शर्करा के स्तर को बेहतर तरीके से नियंत्रित किया जा सकता है।
  • रोजे के दौरान रक्त शर्करा को नियमित रूप से जांचना भी अनिवार्य है। दिन में 3 से 4 बार रक्त शर्करा की जांच अवश्य करें। खून में ग्लूकोज की मात्रा 70एमजी / डी एल से कम या 300 से अधिक होने पर तुरंत उपवास समाप्त करें और डॉक्टर द्वारा दी गयी स्वास्थ्य संबंधी सलाह का अनुसरण करें।

ये लोग न रखें रोजा
धार्मिक उपवासों में से रमजान के उपवास कहीं ज्यादा चुनौतीपूर्ण होते हैं। ऐसा इसलिए, क्योंकि रोजा रखने के नियम काफी सख्त हैं और रमजान का महीना भीषण गर्मियों के दौरान पड़ रहा है। इस दौरान इस्लाम के अनुयायी भोर (सहरी) से सूर्यास्त (इफ्तार) तक भोजन, पेय पदार्थ और दवाओं का सेवन नहीं करते हैं। इसलिए यह सलाह दी जाती है कि डायबिटीज से ग्रस्त ऐसे व्यक्ति जो रोजा रखना चाहते हैं, वे रोजा शुरू होने से पूर्व डॉक्टर की सलाह जरूर लें और अपनी दवाओं की खुराक और समय में परिवर्तन करवाएं। मैं बुजुर्ग या गर्भवती महिलाओं को रोजा रखने की सलाह नहीं देता, इसके अतिरिक्त ऐसे व्यक्ति जिनकी डायबिटीज नियंत्रण में न हो उन्हें रोजा नहीं रखना चाहिए। ऐसे लोग जो किडनी, लिवर या हृदय रोग जैसी जटिलताओं से पीड़ित हैं, उनके लिए रोजे रखना सही नहीं है। टाइप 1 डायबिटीज से ग्रस्त व्यक्ति जो पूरी तरह से इंसुलिन पर निर्भर हों, उनके लिए भी रोजा रखना सही नहीं है।
[प्रख्यात एंडोक्राइनोलॉजिस्ट अंबरीश मित्तल]

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