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रक्षा मंत्री ने कहा- पड़ोसियों से अच्छे संबंधों की जरूरत, लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता नहीं

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत के पड़ोसी देशों से मित्रतापूर्ण संबंध हैं और वह मित्रतापूर्ण संबंध बनाए भी रखना चाहता है। लेकिन ऐसा राष्ट्रीय सुरक्षा की कीमत पर कतई नहीं किया जाएगा। Photo- Rajnath Singh Twitter

By Jagran NewsEdited By: Devshanker ChovdharyPublished: Fri, 30 Dec 2022 06:17 PM (IST)Updated: Fri, 30 Dec 2022 06:17 PM (IST)
रक्षा मंत्री ने कहा- पड़ोसियों से अच्छे संबंधों की जरूरत, लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता नहीं
रक्षा मंत्री ने कहा- पड़ोसियों से अच्छे संबंधों की जरूरत, लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता नहीं

तिरुवनंतपुरम, पीटीआइ। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत के पड़ोसी देशों से मित्रतापूर्ण संबंध हैं और वह मित्रतापूर्ण संबंध बनाए भी रखना चाहता है। लेकिन ऐसा राष्ट्रीय सुरक्षा की कीमत पर कतई नहीं किया जाएगा। सिवगिरी मठ के 90वें वार्षिक तीर्थ पर शुक्रवार को रक्षा मंत्री ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के वक्तव्य को याद करते हुए कहा कि हम दोस्त बदल सकते हैं लेकिन पड़ोसी नहीं। इसलिए हमें हमारे पड़ोसियों से अच्छे और मित्रवत संबंधों की जरूरत है। लेकिन पड़ोसी देशों से अच्छे संबंध बनाने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता नहीं किया जा सकता है।

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रक्षा मंत्री ने गिनाई देश की उपलब्धियां

रक्षा मंत्री ने केरल के समाज सुधारक श्री नारायण गुरु की शिक्षाओं जैसे-'उद्योग से समृद्धि' को भारत सरकार की 'आत्मनिर्भर भारत' नीति का आधार बताया। राजनाथ सिंह ने कहा कि इसी का नतीजा है कि विश्व हमारी अर्थव्यवस्था को विश्व की पांच सर्वोच्च अर्थव्यवस्थाओं में शुमार कर रहा है। साथ ही हमारी सेनाएं भी शूरवीरता के लिए मान्य हैं। वह प्रधानमंत्री मोदी के दिशा-निर्देश में सशस्त्र बलों की मदद से भारत के शरीर यानी देश की सीमाओं की रक्षा के लिए काम कर रहे हैं। इसी तरह मठ के संत देश की आत्मा की रक्षा करने पर काम कर रहे हैं।

देश में मठों के योगदान पर बोले राजनाथ सिंह

राजनाथ सिंह ने कहा कि वह उनके कार्य की सराहना करते हैं। हम एक देश की तरह तभी जीवंत रह सकते हैं। उन्हें उम्मीद है कि इस साल सालाना तीर्थाटन में भी बड़ी सफलता मिलेगी। इससे पहले उन्होंने अपने भाषण में कहा कि यह गलत धारणा है कि भारतीय परंपराओं और आदर्शों में समानता, स्वतंत्रता और बंधुत्व का भाव फ्रेंच रेव्यूल्यूशन के बाद आया। हमारी भारतीय संस्कृति में समानता, स्वतंत्रता, बंधुत्व और विश्व शांति की भावना प्राचीन काल से है। हमारे प्राचीन ग्रंथों में इस सबका उल्लेख है।

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