कश्मीर में हिंसक भीड़ पर इस्तेमाल होगा पावा शेल,सरकार ने दी मंजूरी
पावा शैल को सिंथेटिक चिली के जरिए तैयार किया जाता है। ये सिंथेटिक चिली वहीं मिर्ची होती है जिसका घर या रेस्टोरेंट में खाने में तड़का लगाने में काम आती है।
श्रीनगर, प्रेट्र। जम्मू-कश्मीर में उपद्रवियों को काबू करने के लिए सरकार ने पैलेट गन के विकल्प के तौर पर पावा शैल का इस्तेमाल करने की योजना बनाई है। पिछले दिनों घाटी में हिंसक भीड़ को काबू करने के लिए सुरक्षाबलों द्वारा पैलेट गन इस्तेमाल किए जाने की वजह से घाटी में कई लोगों की आंखों की रोशनी जाने की शिकायत आई थी।
जानकारी के मुताबिक पावा शेल को बीएसएफ के ग्वालियर स्थित टीयर स्मोक यूनिट में बनाया जा रहा है।
क्या होता है पावा शेल ?
'पावा' का मतलब है Pelargonic Acid Vanillyl Amide इसको 'Nonivamide' भी कहते हैं। ये आर्गेनिक है जोकि शुद्ध चिली पेपर से बनाया जाता है। मिर्ची की ताकत को स्कोविले स्केल पर नापा जाता है मगर पावा इसमें बहुत ऊपर आता है।
पावा शेल दरअसल चिली-बम या मिर्ची-बम होता है, जो पैलेट गन के मुकाबले शरीर के लिए कम घातक होता है। पैलेट गन से जहां शरीर छर्रों से छलनी हो जाता है, मिर्ची बम से शरीर पर जबरदस्त खुजली होने लगती है, आंखों से पानी आना लगता है और गला भर आता है। इसके अलावा जोर की खांसी आने लगती है। जिस जगह ये बम गिरता है वहां मौजूद लोगों के पास वहां से भागने के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचता है।
कैसे तैयार होता है पावा शेल?
पावा शेल को सिंथेटिक चिली के जरिए तैयार किया जाता है। ये सिंथेटिक चिली वहीं मिर्ची होती है जिसका घर या रेस्टोरेंट में खाने में तड़का लगाने में काम आती है। इस मिर्ची में केमिकल भी मिलाया जाता है। इस पावा शेल के लिए दुनिया भर में सबसे तीखी माने जाने वाली मिर्ची, भोट-झोलकिया या जिसे नागा-चिली कहा जाता है इस्तेमाल किया जाता है।
कुछ पावा शेल सिर्फ चिली-पाउडर को स्मोक के साथ छोडे जाते हैं। ये धुएं से ही अपना असर छोड़ देता है। कुछ शेल हवा में जोरदार धमाके के साथ अपना असर करते हैं। ये आवाज भीड़ को डराने के लिए की जाती है ताकि शेल के नीचे गिरने से पहले और अपना असर दिखाने से पहले ही भीड़ तितर बितर हो जाए।
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