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कंप्यूटर क्रांति के अगुवा व कद्दावर नेता राजीव गांधी के बारे में सबकुछ

भारत में कंप्यूटर क्रांति की शुरुआत करने वाले राजीव गांधी भारत की राजनीति में सबसे शक्तिशाली और प्रभावी नेहरू-गांधी परिवार से थे। आज उनका जन्मदिन है। राजीव गांधी ने प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए देश में होने वाले सरकारी घोटालों जैसे आरोपों को स्वीकार किया था। भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के ब

By Edited By: Published: Tue, 20 Aug 2013 09:12 AM (IST)Updated: Tue, 20 Aug 2013 11:38 AM (IST)

नई दिल्ली। भारत में कंप्यूटर क्रांति की शुरुआत करने वाले राजीव गांधी भारत की राजनीति में सबसे शक्तिशाली और प्रभावी नेहरू-गांधी परिवार से थे। आज उनका जन्मदिन है। पूरे देश में कांग्रेस के नेता व कार्यकर्ता उनका जन्मदिन मना रहे हैं। कहीं कपड़े बांटे जा रहे हैं तो कहीं गरीबों को भोजन कराया जा रहा है। राजीव गांधी ने प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए देश में होने वाले सरकारी घोटालों जैसे आरोपों को स्वीकार किया था।

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भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बड़े बेटे और 21वीं सदी के लिए भारत की नींव रखने वाले पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 21 मई, 1991 को श्रीपेरुंबदूर में हत्या कर दी गई थी। 40 साल की उम्र में देश के सबसे युवा और नौवें प्रधानमंत्री होने का गौरव हासिल करने वाले राजीव गांधी आधुनिक भारत

के शिल्पकार कहे जा सकते हैं।

यह पहले ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने देश में तकनीक के प्रयोग को प्राथमिकता देकर कंप्यूटर के व्यापक प्रयोग पर जोर डाला। भारत में कंप्यूटर को स्थापित करने के लिए उन्हें कई विरोधों और आरोपों को भी झेलना

पड़ा, लेकिन अब वह देश की ताकत बन चुके कंप्यूटर क्रांति के जनक के रूप में भी जाने जाते हैं।

20 अगस्त, 1944 को जन्में राजीव गांधी इंदिरा गांधी के बड़े बेटे थे। सन 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद वह भारी बहुमत से प्रधानमंत्री बने।

राजीव गांधी और उनके छोटे भाई संजय गांधी की प्रारंभिक शिक्षा देहरादून के प्रतिष्ठित दून स्कूल में हुई थी। आगे की पढ़ाई के लिए उन्होंने लंदन के इम्पीरियल कॉलेज में दाखिला लिया साथ ही कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से इंजीनीयरिंग का पाठ्यक्रम भी पूरा किया। भारत लौटने के बाद राजीव गांधी ने लाइसेंसी पायलट के तौर पर इंडियन एयरलाइंस में काम करना शुरू किया। कैम्ब्रिज में पढ़ाई के दौरान राजीव गांधी की

मुलाकात एंटोनिया मैनो से हुई, विवाहोपरांत जिनका नाम बदलकर सोनिया गांधी रखा गया।

राजनीतिक पृष्ठभूमि होने के बावजूद राजीव गांधी ने कभी भी राजनीति में रुचि नहीं ली। भारतीय राजनीति और शासन व्यवस्था में राजीव गांधी का प्रवेश केवल हालातों की ही देन था। दिसंबर 1984 के चुनावों में कांग्रेस को जबरदस्त बहुमत हासिल हुआ। इस जीत का नेतृत्व भी राजीव गांधी ने ही किया था। अपने शासनकाल में

उन्होंने प्रशासनिक सेवाओं और नौकरशाही में सुधार लाने के लिए कई कदम उठाए।

कश्मीर और पंजाब में चल रहे अलगाववादी आंदोलनकारियों को हतोत्साहित करने के लिए राजीव गांधी ने कड़े प्रयत्‍‌न किए। भारत में गरीबी के स्तर में कमी लाने और गरीबों की आर्थिक दशा सुधारने के लिए एक अप्रैल 1989 को राजीव गांधी ने जवाहर रोजगार गारंटी योजना को लागू किया जिसके अंतर्गत इंदिरा आवास योजना और दस लाख कुआं योजना जैसे कई कार्यक्रमों की शुरुआत की।

पुरस्कार

राजीव गांधी को समाज और राजनीति में अपने उत्कृष्ट योगदान के लिए देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्‍‌न से अलंकृत किया गया।

उनका शासनकाल कई आरोपों से भी घिरा रहा जिसमें बोफोर्स घोटाला सबसे गंभीर था। इसके अलावा उन पर कोई ऐसा दाग नहीं था जिसकी वजह से उनकी निंदा हो। पाक दामन

होने की वजह से ही लोगों के बीच राजीव गांधी की अच्छी पकड़ थी।

श्रीलंका में चल रहे लिट्टे और सिंघलियों के बीच युद्ध को शांत करने के लिए राजीव गांधी ने भारतीय सेना को श्रीलंका में तैनात कर दिया। जिसका प्रतिकार लिट्टे ने तमिलनाडु में चुनावी प्रचार के दौरान राजीव गांधी पर आत्मघाती हमला करवा कर लिया। 21 मई, 1991 को सुबह 10 बजे के करीब एक महिला राजीव गांधी से

मिलने के लिए स्टेज तक गई और उनके पांव छूने के लिए जैसे ही झुकी उसके शरीर में लगा आरडीएक्स फट गया। इस हमले में राजीव गांधी की मौत हो गई। देश में राजीव गांधी की मौत के बाद बहुत बड़ा रोष देखने को मिला।

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