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वोटबैंक की फिक्र में मोदी पर बरस रहे राज ठाकरे

मुंबई [ओम प्रकाश तिवारी]। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना [मनसे] के अध्यक्ष राज ठाकरे भाजपा के पीएम पद प्रत्याशी नरेंद्र मोदी पर फिर बरसे। इस बार उन्होंने मुंबई में सिंह गर्जना रैली में मोदी के भाषण में बाल ठाकरे का जिक्र न होने को लेकर रोष जाहिर किया। दरअसल, राजग में शामिल न हो पाने की खीज और मराठी वोट बैंक की फिक्र में राज ठाकरे उ

By Edited By: Published: Mon, 03 Feb 2014 08:46 PM (IST)Updated: Mon, 03 Feb 2014 08:57 PM (IST)

मुंबई [ओम प्रकाश तिवारी]। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना [मनसे] के अध्यक्ष राज ठाकरे भाजपा के पीएम पद प्रत्याशी नरेंद्र मोदी पर फिर बरसे। इस बार उन्होंने मुंबई में सिंह गर्जना रैली में मोदी के भाषण में बाल ठाकरे का जिक्र न होने को लेकर रोष जाहिर किया। दरअसल, राजग में शामिल न हो पाने की खीज और मराठी वोट बैंक की फिक्र में राज ठाकरे उन्हीं मोदी पर हमला बोल रहे हैं, जिनके विकास एजेंडे के वह कायल थे।

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मोदी ने हाल ही में मुंबई में सिंह गर्जना रैली के दौरान 50 मिनट के भाषण में एक बार भी शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे का नाम नहीं लिया था। गुजरात-महाराष्ट्र के रिश्तों की मजबूती प्रदर्शित करते हुए मुंबई को गुजरातियों का मायका बताया था।

राज ठाकरे ने बुजुर्गो के एक सम्मेलन में मोदी के इसी भाषण का हवाला देते हुए सवाल किया है कि यदि मुंबई गुजरातियों का मायका है, तो क्या गुजरात उनकी ससुराल है?

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ज्ञात हो,1960 तक गुजरात-महाराष्ट्र एक ही राज्य थे। भाषाई आधार पर राज्य बनने के बाद मुंबई महाराष्ट्र के हिस्से में आया। इसके बावजूद मुंबई में गुजरातियों की अच्छी-खासी तादात है। मोदी के पीएम प्रत्याशी बनने से इस वर्ग का स्वाभाविक झुकाव भाजपा की ओर है। बाल ठाकरे के निधन के बाद कंट्टर हिंदुत्ववादी नेता की चाहत रखने वाला मराठी युवा भी मोदी की ओर आकर्षित हो रहा है, जबकि यही वर्ग मनसे का जनाधार माना जाता था।

राज कुछ समय पूर्व तक मोदी के विकास मॉडल के प्रशंसक थे लेकिन अब महाराष्ट्र के अपने वोट बैंक में मोदी की सेंध देख राज की त्यौरियां तन गई हैं। राज ठाकरे की नाराजगी का एक और वजह राजग में प्रवेश न हो पाना भी है। उन्हें उम्मीद थी कि भाजपा में मोदी का प्रभाव बढ़ने पर महाराष्ट्र में भाजपा अपनी पुरानी सहयोगी शिवसेना से नाता तोड़कर मनसे से दोस्ती करेगी। भाजपा नेताओं ने राज व उद्धव में सुलह कराने की कोशिश की, लेकिन शिवसेना से संबंध तोड़ने का जोखिम नहीं उठाया, बल्कि रिपब्लिकन पार्टी व स्वाभिमानी शेतकरी संगठन जैसे दलों को राजग में शामिल करके कुनबा बढ़ा लिया। माना जा रहा है कि ये दोनों दल राज द्वारा राजग को पहुंचाए जाने वाले नुकसान की भरपाई कर देंगे।

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