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Economic Survey 2023: आर्थिक प्रगति को गति देगा रेलवे, कोविड के झटके से पूरी तरह उबरने की उम्मीद

कोरोना महामारी का सबसे ज्यादा असर रेलवे पर देखा गया था। देश भर में ट्रेनों के पहिए थम गए थे। आर्थिक सर्वेक्षण में अनुमान लगाया गया है कि तमाम मुश्किलों से आगे बढ़ते हुए रेलवे अगले वित्त वर्ष में सारी मुश्किलों से उबर जाएगा।

By Jagran NewsEdited By: Shashank MishraPublished: Tue, 31 Jan 2023 07:29 PM (IST)Updated: Tue, 31 Jan 2023 07:29 PM (IST)
आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि 2014 से रेलवे के विकास पर फोकस बढ़ाया गया है।

अरविंद शर्मा, नई दिल्ली। कोराना काल की दुश्वारियों को पीछे छोड़ते हुए रेलवे फिर से पटरी पर आने लगा है। यह देश की अर्थव्यवस्था को सहारा देने वाला सबसे बड़ा तंत्र है। इसीलिए केंद्र सरकार की प्राथमिकताओं में रेलवे का स्थान अग्रणी है। अभी बुलेट ट्रेन और वंदे भारत जैसे कई प्रोजेक्ट चलाए जा रहे हैं। कई और चलाए जाने हैं। आर्थिक गतिविधियों को बढ़ाने के लिए फ्रेट कोरिडोर के काम को तेज करना है।

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यात्री के साथ-साथ माल ढुलाई को भी नया आयाम देना है। बजट से पहले मंगलवार को सदन में पेश की गई आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट का संकेत है कि प्रगति को गति और शक्ति देने के लिए इस क्रम को 2023 तक इसी संकल्प से आगे बढ़ाया जाता रहेगा।

पूंजीगत व्यय का अनुमान तीन लाख करोड़ से ज्यादा

आर्थिक सर्वेक्षण में रेलवे के विकास को सतत प्रक्रिया बताते हुए पिछले नौ वर्षों के दौरान की रफ्तार का खास तौर पर उल्लेख किया गया है। कहा गया है कि 2014 से इस पर फोकस बढ़ाया गया है। नौ वर्ष पहले तक रेलवे का पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) सिर्फ 45 हजार 980 करोड़ रुपये था, जिसे वर्षवार बढ़ाकर दो लाख 45 हजार आठ सौ करोड़ कर दिया गया।

2014 के पहले तक रेलवे संसाधनों की कमी, पुरानी नीतियों, कई मोर्चे पर अक्षमता जैसी समस्याओं से जूझ रहा था। इससे रेलवे की आय पर भी असर पड़ रहा था। किंतु सरकार का ध्यान जब इस ओर गया तो पिछले वर्ष की तुलना में पूंजीगत व्यय में 29 प्रतिशत वृद्धि कर दी। ऐसे में अब सभी चालू और आने वाले प्रोजेक्टों को देखते हुए अगले बजट में इस राशि को तीन लाख करोड़ रुपये से ऊपर पहुंच जाने का अनुमान व्यक्त किया गया है।

कोरोना के झटके को किया दरकिनार

कोरोना महामारी का सबसे ज्यादा असर रेलवे पर देखा गया था। देश भर में ट्रेनों के पहिए थम गए थे। पटरियां वीरान हो गई थीं। इसके चलते रेलवे का विकास दो वर्ष पीछे चला गया था। आर्थिक सर्वेक्षण में अनुमान लगाया गया है कि तमाम मुश्किलों से आगे बढ़ते हुए रेलवे अगले वित्त वर्ष में सारी मुश्किलों से उबर जाएगा। 2019-20 में यात्रियों की संख्या 809 करोड़ थी, जो कोरोना के दौरान 125 करोड़ तक पहुंच गया था। फिर से यह संख्या पांच सौ करोड़ के पार पहुंच गई है।

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आर्थिक सर्वेक्षण में उम्मीद जताई गई है कि अगले वित्त वर्ष में रेलवे पुराने दौर में पहुंच जाएगा। हालांकि माल ढुलाई के मामले में रेलवे ने कोरोना के झटके को दरकिनार कर दिया है। चालू वित्त वर्ष में अभी तक आठ प्रतिशत से ज्यादा की वृद्धि बरकरार रखी है। अगले सात वर्षों के दौरान माल ढुलाई की मात्रा में 45 प्रतिशत तक की वृद्धि की तैयारी है।

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