रेलवे भी बनेगा इको फ्रेंडली, लकड़ी की बजाए अब इस मैटीरियल से बनेंगे नए स्लीपर
इको-फ्रेंडली बनने के लिए रेलवे लकड़ी के स्लीपरों को हटाकर अब कंपोजिट स्लीपर का इस्तेमाल करेगा। यह न सिर्फ हल्का, बल्कि मजबूत भी होता है।
By Prateek KumarEdited By: Published: Sat, 13 Oct 2018 08:45 PM (IST)Updated: Sat, 13 Oct 2018 08:54 PM (IST)
नई दिल्ली, आइएएनएस। इको-फ्रेंडली बनने के लिए रेलवे लकड़ी के स्लीपरों को हटाकर अब कंपोजिट स्लीपर का इस्तेमाल करेगा। यह न सिर्फ हल्का, बल्कि मजबूत भी होता है। रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि फिलहाल सीमित तौर पर कंपोजिट स्लीपर लगाने का फैसला किया गया है।
इसका निर्माण इस्पात और फाइबर प्लास्टिक से होता है। फिलहाल इसका इस्तेमाल गार्डर पुलों में किया जाता है। स्लीपर मुख्य रूप से रेल पटरियों के बीच अंतर और रेल के डिब्बों का दबाव गिट्टी तक भेजकर संतुलन बनाए रखता है।
रेलवे के अधिकारी ने बताया कि सबसे पहले 2003 में मुरादाबाद डिविजन में कंपोजिट स्लीपर का इस्तेमाल किया गया था। 2016 से 10 से ज्यादा जोन में इसका इस्तेमाल किया जा रहा है।
अब तक इसकी कोई शिकायत सामने नहीं आई है। अधिकारी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा पेड़ काटने पर रोक लगाए जाने के चलते लकड़ी के स्लीपरों का इस्तेमाल नहीं करने का फैसला लिया गया है।
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