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ट्रैक पर मवेशियों के आने से 15 मिनट तक रुकती हैं ट्रेनें, करोड़ों रुपये का नुकसान झेलती है रेलवे; जानें

अब तक ट्रैक पर पशुओं के आने से 4000 से अधिक ट्रेनें प्रभावित हुई हैं। केवल अक्टूबर की बात करें तो केवल 9 दिनों में मवेशियों ने 200 ट्रेनों के आवागमन को प्रभावित किया था। देश में बीते दिनों रेलवे ट्रैक पर पशुओं/मवेशियों के टकराने की अनेक घटनाएं हुईं हैं।

By Monika MinalEdited By: Published: Thu, 17 Nov 2022 01:23 PM (IST)Updated: Thu, 17 Nov 2022 01:23 PM (IST)
ट्रैक पर मवेशियों के आने से 15 मिनट तक रुकती हैं ट्रेनें, करोड़ों रुपये का नुकसान झेलती है रेलवे; जानें
रेलवे को उठाना पड़ता है करोड़ों रुपये का नुकसान; जानें

नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। पिछले दिनों पशुओं/मवेशियों के रेलवे ट्रैक पर आने और ट्रेन से टकराने के अनेक मामले सामने आए। ऐसे मामलों के कारण रेलवे को करोड़ों रुपये का नुकसान होता है, इसलिए भारतीय रेलवे ने एक अहम फैसला लिया है। अब ऐसी संवेदनशील रेलवे ट्रैक के पास बाउंड्री वाल बनाया जाएगा। 

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ट्रैक पर अचानक मवेशी के आ जाने पर ट्रेन कम से कम 15 मिनट तक रुकतीं हैं और इस दौरान डीजल  पेट्रोल का खर्च बढ़ जाता है।  इसी नुकसान से बचने के लिए भारतीय रेलवे काम कर रही  है। बता दें कि इस साल अब तक ट्रैक पर पशुओं के आने से 4000 से अधिक ट्रेनें प्रभावित हुई हैं। केवल अक्टूबर की बात करें तो केवल 9 दिनों में मवेशियों ने 200 ट्रेनों के आवागमन को प्रभावित किया था। देश में बीते दिनों रेलवे ट्रैक पर पशुओं/ मवेशियों के टकराने की अनेक घटनाएं हुईं हैं।

प्रति मिनट इतना होता है नुकसान

  • ट्रैक पर अचानक आए पशुओं के ट्रेन से कटने पर रेलवे को 10 हजार रुपये से अधिक का नुकसान होता है, यह आंकड़ा 13,400 से लेकर 20,459 रुपये प्रति मिनट तक जा सकता है।
  • एक RTI की मानें तो एक मिनट रुकने पर डीजल से चलने वाली पैसेंजर ट्रेन को 20,401 रुपये का नुकसान होता है। 
  • इलेक्ट्रिक ट्रेन यदि एक मिनट रुकती है तो उसे 20,459 रुपये का नुकसान होता है। 
  • एक मिनट रुकने पर डीजल से चलने वाली गुड्स ट्रेन को 13,334 रुपये का नुकसान होता है।
  • वहीं एक मिनट रुकने पर इलेक्ट्रिक ट्रेन को 13,392 रुपये का नुकसान होता है।
  • 2022 में ट्रैक पर मवेशियों के आने से होने वाली घटनाएं।

2021 में आए थे 26000 मामले

उत्तर मध्य रेलवे के अंतर्गत आने वाले जोन में साल 2020-21 में मवेशियों के रन ओवर ट्रैक की 6,500 मामले सामने आए। जोनों पर ऐसे कुल 26,000 मामले दर्ज हुए थे। बता दें कि उत्तर मध्य रेलवे जोन के अंतर्गत दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा कारिडोर के 3,000 किमी ट्रैक व अन्य हिस्से आते हैं, जिसमें आगरा, झांसी और प्रयागराज शामिल हैं।

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रेलवे के सूचना और प्रसार विभाग के कार्यकारी निदेशक अमिताभ शर्मा ने इस मामले पर बताया कि मवेशी रन ओवर (CRO) में कमी के लिए रेलवे की ओर से हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।

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