बदलाव के साथ-साथ निवेश एवं रेल सेवाओं का फायदे में रहना भी आवश्यक
भारतीय रेल को निवेश की जरूरत है। खासकर बुनियादी ढांचे में विस्तार के लिए। तमाम परिस्थितियां इस बात की तरफ इशारा करती हैं कि निवेश से मदद मिलना जरूरी हो जाएगा। ये भी जरूरी है कि रेलवे को फायदा हो।
विनीता श्रीवास्तव। भारतीय रेल के संपूर्ण रेल मार्ग का स्वामित्व केंद्र सरकार के पास है। अत: कुछ किमी रेल मार्ग की मरम्मत हो या फिर राष्ट्रव्यापी नेटवर्क का पुनरुद्धार हो, इसमें खर्चा तो सरकारी ही है। ऐसे में अहम सवाल यह है कि इस महत्वाकांक्षी परियोजना का खर्चा रेल अपने स्तर पर अर्जति कर पाएगी? खासकर बुनियादी ढांचे में विस्तार के लिए रेलवे में व्यापक निवेश करने की आवश्यकता होगी। तमाम परिस्थितियां इस बात को इंगित करती हैं कि निवेश से मदद मिलना जरूरी हो जाएगा। बदलाव के साथ साथ निवेश एवं रेल सेवाओं का फायदे में रहना भी आवश्यक है।
इस संबंध में हमें यह भी जानना चाहिए कि वर्तमान में जिस प्रकार से भारतीय रेलवे की व्यवस्था है, उससे उसे लाभप्रद नहीं बनाया जा सकता, क्योंकि यात्री परिवहन के मामले में अब भी व्यापक घाटे का सामना करना पड़ता है। ऐसे में यात्री परिवहन के सिस्टम में नए सिरे से बदलाव करना होगा।
नेशनल रेल प्लान 2030 में यह भी अनुमान लगाया गया है कि तमाम कार्यो को अंजाम देने के लिए वर्ष 2051 तक 38,20,516 करोड़ रुपये खर्च होने की संभावना है। इसे चार चरणों में बांटा गया है और वर्ष 2026, 2031 तथा 2041 के बाद इसकी समीक्षा करने का प्रविधान इसमें किया गया है। केंद्र सरकार से बजट सपोर्ट के अलावा विदेशी निवेश की भी इसमें अपेक्षा की गई है। व्यवस्था मजबूत करने के लिए वर्ष 2022 से 2051 तक यानी आगामी 29 वर्षो तक इस प्रयास को निरंतर जारी रखना होगा। बदलते समय और बढ़ते आयाम के साथ रेल यात्र को सुगम बनाने के लिए ट्रैक, टíमनल और रोलिंग स्टॉक यानी खर्चे के ये तीन महत्वपूर्ण ¨बदु होंगे।
इस संदर्भ में खास यह है कि रेल बजट को बनाने में जिन तथ्यों पर विचार करना पड़ता था, उसको नेशनल रेल प्लान 2030 में अब एक लंबी अवधि के दिशानिर्देश के रूप में समेट लिया गया है। वर्तमान स्थिति का राष्ट्रव्यापी जायजा लेकर रेल नेटवर्क की कमजोरियों को मिटाने का दृढ़ निश्चय इसमें किया गया है। सिस्टम अपग्रेड के लिए जरूरी कदम को नेशनल रेल प्लान 2030 में इंगित किया गया है। देश में प्रत्येक पांच वर्षो पर होने वाले चुनावों समेत अन्य अनेक राजनीतिक कारणों से या फिर अन्य प्रकार की मांगों को पूरा करने के लिए रेल की दिशा-दशा बदल दी जाती थी। लेकिन उम्मीद की जा सकती है कि राष्ट्र की प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली भारतीय रेल की सेवाएं अब सुनियोजित ढंग से अपने गंतव्य तक पहुंच पाएंगी।
हालांकि इस मुकाम को हासिल करने की राह में चुनौतियां भी कम नहीं हैं, लेकिन जिस प्रकार से भारतीय रेल कृत संकल्पित है, उसे देखते हुए इन लक्ष्यों को हासिल कर पाना बहुत मुश्किल नहीं होगा। नागरिकों को भी अपनी जिम्मेदारी समझते हुए बाधाओं को दूर करने में अपना सहयोग करना चाहिए। वर्ष 2051 तक के सफर के लिए नेशनल रेल प्लान 2030 एक समय सारणी है।
(एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर (हैरिटेज), भारतीय रेल)