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Indian Railways: श्रमिक स्पेशल ट्रेनों की मांग घटी, मजदूरों की वापसी तक चलेंगी ट्रेनें

Indian Railways Update news ट्रेनें समय से चल रही हैं श्रमिक विश्वास करें रेलवे सबको समय से पहुंचाएगा। बीच में थोड़ा विलंब हुआ था लेकिन अब सारी ट्रेनें समय पर पहुंच रही हैं।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Fri, 29 May 2020 06:30 PM (IST)Updated: Fri, 29 May 2020 07:38 PM (IST)
Indian Railways: श्रमिक स्पेशल ट्रेनों की मांग घटी, मजदूरों की वापसी तक चलेंगी ट्रेनें
Indian Railways: श्रमिक स्पेशल ट्रेनों की मांग घटी, मजदूरों की वापसी तक चलेंगी ट्रेनें

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों की घर वापसी के लिए चलाई गई श्रमिक स्पेशल ट्रेनों की मांग घटने लगी है। पिछले 29 दिनों में कुल 52 लाख से अधिक प्रवासी मजदूरों को श्रमिक स्पेशल ट्रेनों से उनके गतंव्य तक पहुंचाया जा चुका है। भारतीय रेलवे का दावा है कि श्रमिकों की पूरी वापसी और राज्यों की मांग आने तक ट्रेनें चलाई जाएंगी।' श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के भटकाव और ऐसी ही कई खबरों से आहत भारतीय रेलवे बोर्ड के चेयरमैन विनोद कुमार यादव ने पूरे मामले पर अपनी बात रखी।

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उन्होंने कहा कि पिछले एक सप्ताह के दौरान प्रत्येक दिन तीन लाख से अधिक श्रमिकों को उनके गतंव्य तक पहुंचाया गया। श्रमिक स्पेशल ट्रेनों की संख्या जहां एक दिन में अधिकतम 279 तक पहुंची थी, वह अब घटकर 137 रह गई है।' उन्होंने कहा कि केवल 20 मई से 24 मई के बीच उत्तर प्रदेश और बिहार जाने वाली ट्रेनों की संख्या अधिक हो गई है थी। कुल 3849 ट्रेनों में से केवल 71 ट्रेनों का रुट बदला गया था। उन्होंने कहा कि ट्रेनों का भटकाव संभव ही नहीं है।

90 फीसद श्रमिक स्पेशल ट्रेनें उत्तर प्रदेश और बिहार के लिए संचालित की गईं। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर और जौनपुर सबसे व्यस्त स्टेशन रहे। ट्रेनों की लेटलतीफी के सवाल पर उन्होंने स्पष्ट किया कि केवल चार ऐसी ट्रेनें रहीं जिन्होंने 72 घंटे का समय लिया है। बाकी किसी श्रमिक स्पेशल ट्रेन ने अपने निर्धारित गतंव्य पर पहुंचने में इससे अधिक का समय नहीं लिया है। जाना था 'प्रयागराज पहुंच गई लखनऊ' के सवाल पर उन्होंने कहा कि ये नियमित नहीं स्पेशल ट्रेन थी। कानपुर पहुंचने पर राज्य सरकार की सलाह से इस ट्रेन का रुट बदल कर लखनऊ कर दिया गया क्यों कि ट्रेन में लखनऊ के यात्रियों की संख्या अधिक थी।

बहुत जरूरी न हो तो ये लोग न करें यात्रा

ट्रेनों में यात्रियों की हो रही मौत के सवाल पर रेलवे बोर्ड के चेयरमैन यादव ने कहा कि किन विकट परिस्थितियों में लोग यात्रा करने को बाध्य है कि 30 गर्भवती महिलाओं की डिलीवरी रास्ते में करानी पड़ी। इसी के मद्देनजर स्वास्थ्य व गृह मंत्रालय की सलाह पर एडवाइजरी जारी की गई है। इसके तहत गंभीर रुप से बीमार, उच्च रक्तचाप, हृदयरोग से ग्रसित, कैंसर पीडि़त और इम्युन डिफीसिएंसी वाले कमजोर लोग, गर्भवती महिलाएं, 10 साल की आयु से कम उम्र के बच्चे और 65 साल से अधिक आयु के बुजुर्ग बहुत आवश्यक न हो तो यात्रा न करें। यात्रा के दौरान होने वाली मौतें अलग-अलग परिस्थितियों में हुई हैं, जिनकी जांच स्थानीय स्तर पर गवर्नमेंट रेलवे पुलिस (जीआरपी) कर रही है। इसके पहले कुछ भी करना संभव नहीं है। 

72 घंटे से अधिक का समय सिर्फ 4 ट्रेनों में लगा

रेलवे की तरफ से बताया गया कि 12 लाख से अधिक श्रमिक भाई बहन दिन-रात काम कर रहे हैं। खबर आ रही है कि सिवान पहुंचने में ट्रेन को 9 घंटे से अधिक का समय लगा, जबकि ये खबर पूरी तरह गलत है। किसी भी ट्रेन को 9 घंटे नहीं लगे, सिर्फ 4 ट्रेनों को 72 घंटे से अधिक का समय लगा जो मणिपुर, जिरबाम और अगरतला की तरफ जा रही थीं। असम में भूस्खलन की वजह से 12 घंटे तक ट्रैक बंद करना पड़ा। रेलवे ने बताया कि 90 फीसदी यानी लगभग 3500 ट्रेनें मेल एक्सप्रेस की औसत स्पीड से भी अधिक स्पीड से पहुंची हैं। सिर्फ 10 फीसदी में देर लगी है।

30 से अधिक डिलीवरी ट्रेन में हुईं

मेडिकल सुविधाओं पर रेलवे ने कहा कि कुछ गर्भवती महिलाओं ने ट्रेन में यात्रा की और उनकी मदद के लिए भारती रेल के डॉक्टर और नर्स वहां समय से पहुंच गए। कहीं किसी को कोई दिक्कत हुई तो ट्रेन रास्ते में ही रोककर उसके पास डॉक्टर पहंचे।

श्रमिक ट्रेनों में मौत की हो रही है जांच 

रेलवे ने कहा कि कई तरह की खबरें आ रही हैं कि कुछ लोगों की भूख से मौत हो गई, ये सही नहीं है। अभी जांच हो रही है कि आखिर किसी की मौत का कारण क्या था। पूरी जांच के बाद ही मौतों का आंकड़ा दिया जा सकता है।


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