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सुरक्षा के नाम पर रेलयात्रियों की जेब ढीली करने की तैयारी कर रहे प्रभु

अब तक जो सुझाव प्राप्त हुए हैं उनमें लोअर बर्थ के लिए पचास रुपये का अतिरिक्त शुल्क लेना अथवा संरक्षा अधिभार लगाने के विकल्प प्रमुख हैं।

By Tilak RajEdited By: Published: Wed, 17 May 2017 08:59 AM (IST)Updated: Wed, 17 May 2017 08:59 AM (IST)
सुरक्षा के नाम पर रेलयात्रियों की जेब ढीली करने की तैयारी कर रहे प्रभु

नई दिल्ली, प्रेट्र। बढ़ते ट्रेन हादसों पर अंकुश लगाने के लिए रेलवे यात्री टिकटों पर संरक्षा अधिभार यानी सेफ्टी सेस लगा सकता है। इस बात के संकेत रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने दिए। वह रेलभवन से वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए मुंबई के चुनिंदा रेलवे स्टेशनों पर नवनिर्मित विभिन्न यात्री सुविधाओं का उद्घाटन कर रहे थे।

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प्रभु ने मंगलवार को कहा कि 2017-18 के रेल बजट में एक लाख करोड़ रुपये का संरक्षा कोष बनाने का एलान किया गया है। इसके लिए धन जुटाने के वास्ते हमें कुछ उपाय तो करने ही होंगे। इस क्रम में विभिन्न विकल्पों पर विचार किया जा रहा है। संरक्षा अधिभार इनमें से एक है। रेलमंत्री से विभिन्न माध्यमों पर चल रही उस खबर पर प्रतिक्रिया मांगी गई थी जिसमें कहा गया है कि आमदनी बढ़ाने के लिए रेलवे ट्रेन की निचली बर्थों के लिए 50 रुपये अतिरिक्त शुल्क वसूलने पर विचार का रहा है।

प्रभु ने इस खबर का खंडन करने के बजाय सेफ्टी सेस के विकल्प की बात कर एक नया शिगूफा छोड़ दिया। यही नहीं, बाद में रेलवे बोर्ड के अधिकारियों ने अन्य विकल्पों का ब्योरा दे मामले को और उलझा दिया। अधिकारियों की माने तो एक लाख करोड़ रुपये के संरक्षा कोष में से पचास हजार करोड़ रुपये रेलवे को सड़क निधि से मिलेंगे, जबकि बाकी पचास हजार करोड़ रुपयों का इंतजाम उसे आंतरिक संसाधनों से करना है। इस तरह रेलवे को हर साल दस हजार करोड़ रुपये की रकम अपने बूते जुटानी है। यह कैसे हो, इसके लिए पूरा रेलवे बोर्ड दिमाग के घोड़े दौड़ाने में जुटा है।

अब तक जो सुझाव प्राप्त हुए हैं उनमें लोअर बर्थ के लिए पचास रुपये का अतिरिक्त शुल्क लेना अथवा संरक्षा अधिभार लगाने के विकल्प प्रमुख हैं। इनके अलावा सभी दर्जों में प्रतिशत (15--20 फीसदी) के हिसाब से एकमुश्त बढ़ोतरी करने, फ्लेक्सी फेयर स्कीम को सभी ट्रेनों में लागू करने, साधारण दर्जे में दस, स्लीपर व फ‌र्स्ट एसी में पंद्रह, थर्ड एसी में 25 तथा सेकेंड एसी में 20 फीसदी की बढ़ोतरी करने के सुझाव भी मिले हैं।

इतना ही नहीं, उपनगरीय ट्रेनों के मामले में कुछ असाधारण और रोचक सुझाव भी सामने आए हैं। मसलन एक सुझाव यह है कि टिकट को पूरी तरह मुफ्त कर दिया जाए, परंतु यात्रियों को 10 रुपेय में वड़ा-पाव उपलब्ध कराकर किराये से ज्यादा कमाई की जाए।

दिल्ली में मेट्रो रेल के किरायों में भारी-भरकम बढ़ोतरी के बावजूद जिस तरह लोगों ने सब्र का परिचय दिया है, उससे इस बात को लेकर रेलवे का हौसला बढ़ा है कि यदि बेहतर सुविधाएं मिलें तो लोग किराये में वृद्धि का बड़ा दंश भी झेल लेते हैं।

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