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रेल मंत्री बोले- भारतीय रेल से जुड़ी इन चीजों का कभी नहीं होगा निजीकरण, ट्रेनों में धूम्रपान रोकने को दिए ये निर्देश

रेलवे के आधारभूत ढांचे का कभी भी निजीकरण नहीं किया जाएगा लेकिन रेलवे के विकास के लिए कुछ संसाधनों को बेचा जा सकता है। पीटीआइ के मुताबिक शुक्रवार को राज्यसभा में रेल मंत्री पीयूष गोयल ने यह बात कही।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Fri, 19 Mar 2021 09:17 PM (IST)Updated: Sat, 20 Mar 2021 12:58 AM (IST)
रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि रेलवे के आधारभूत ढांचे का कभी भी निजीकरण नहीं किया जाएगा।

नई दिल्ली, पीटीआइ/आइएएनएस। रेलवे के आधारभूत ढांचे का कभी भी निजीकरण नहीं किया जाएगा लेकिन रेलवे के विकास के लिए कुछ संसाधनों को बेचा जा सकता है। पीटीआइ के मुताबिक शुक्रवार को राज्यसभा में रेल मंत्री पीयूष गोयल ने यह बात कही। वहीं समाचार एजेंसी आइएएनएस के मुताबिक केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को रेलवे के अधिकारियों से ट्रेनों में धूम्रपान के खिलाफ यात्रियों को जागरूक करने की दिशा में सक्रिय कदम उठाने के निर्देश दिए।

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समाचार एजेंसी पीटीआइ के मुताबिक रेल मंत्री ने राज्‍यसभा में कहा कि यात्री ट्रेनों का संचालन निजी क्षेत्र के साथ मिलकर करने की योजना पर कार्य हो रहा है। इससे रेलवे में करीब 30 हजार करोड़ रुपये का निवेश होने की संभावना है। रेल मंत्रालय की योजना संसाधनों को बेचकर विकास के लिए धन एकत्रित करना है। इनमें ईस्टर्न और वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर को सशर्त बेचने की योजना भी शामिल है।

इन दोनों पर निजी क्षेत्र के साथ मिलकर 150 मालगाडि़यां चलाए जाने की योजना है। इसी प्रकार से पार्सल, मल्टी फंक्शनल कॉम्प्लेक्स, रेलवे कॉलोनी और स्टेडियम बनाए जाने की योजना है। निजी क्षेत्र के हाथों में देकर इनके बदले धन की जो प्राप्ति होगी उससे रेलवे की सुविधाएं बढ़ाई जाएंगी।

कांग्रेस सदस्य जयराम रमेश के एक पूरक सवाल के जवाब में रेल मंत्री ने कहा, विपक्ष शायद निजीकरण और मौद्रीकरण के अंतर को नहीं समझ पा रहा है। निजीकरण का अर्थ होता है कि धन की प्राप्ति के लिए पूरी एक व्यवस्था को निजी हाथ में सौंप दिया जाता है। लेकिन मौद्रीकरण में उसी व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए अतिरिक्त संपत्ति को बेचकर धन का इंतजाम किया जाता है। रेल मंत्रालय रेलवे के विकास के लिए मौद्रीकरण की योजना पर कार्य कर रहा है।

गोयल ने साफ किया कि रेलवे के आधारभूत ढांचे (ट्रेन आवागमन में सहायक) का कभी भी निजीकरण नहीं किया जाएगा। कहा कि डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर एक अलग व्यवस्था है जिसे रेल मंत्रालय विकसित करने में सहयोग दे रहा है। रेलवे उस कॉरिडोर में चलने वाली मालगाडि़यों का मालिक नहीं होगा बल्कि उन्हें चलाने में निजी क्षेत्र को सहयोग देगा। गोयल ने सदन को आश्वस्त किया कि सरकार रेलवे के विकास की गति को बनाए रखेगी। उसके लिए आवश्यक धन की पूरी व्यवस्था करेगी।


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