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जानिए कैसे फिल्मी तर्ज पर दस के नोट से दी गई 50 लाख की घूस, तत्कालीन रेल मंत्री का भतीजा भी रहा शामिल

1975 बैच के इंडियन रेलवे सर्विस ऑफ सिग्नल इंजीनियर्स (आइआरएसएसई) महेश कुमार के लिए रिश्वत का प्रबंध किए जाने के गवाह के दर्ज बयान के अनुसार उन्हें यह रिश्वत रेलवे बोर्ड के सदस्य (इलेक्टि्रकल) पद पर नियुक्ति के लिए दी जा रही थी।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Sun, 13 Dec 2020 11:05 PM (IST)Updated: Mon, 14 Dec 2020 07:20 AM (IST)
जानिए कैसे फिल्मी तर्ज पर दस के नोट से दी गई 50 लाख की घूस, तत्कालीन रेल मंत्री का भतीजा भी रहा शामिल
दस के नोट के नंबर को बनाया गया था पहचान कोड

नई दिल्ली, आइएएनएस। वर्ष 2013 का रेलवे घूस घोटाला बॉलीवुड की पुरानी फिल्मों से प्रेरित है। इन फिल्मों में विलेन को एक रुपये के आधे नोट को उसके नंबर के कोड से उसी नोट के दूसरे टुकड़े से मिलाया जाता था। दूसरा टुकड़ा लाने वाला व्यक्ति ही डील के तहत सामान देकर उसके बदले में रकम देता है। रेलवे के रिश्वत घोटाले को भी दस रुपये के नोट के साथ इसी तर्ज पर अंजाम दिया गया है।

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प्रवर्तन निदेशालय (ED) को जांच में पता चला है कि दस रुपये के नोट के जरिये ही सारा नकद लेनदेन होता था। ईडी ने अपने आरोपपत्र में विशेष पीएमएल अदालत को बताया है कि घोटाले में तत्कालीन रेल मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पवन कुमार बंसल का भतीजा विजय सिंगला शामिल है। ईडी ने पश्चिमी रेलवे के तत्कालीन जनरल मैनेजर महेश कुमार और गैर सरकारी क्षेत्र के कई लोगों को नामजद किया है।

दस रुपये के नोट के नंबर का कोड के रूप में इस्तेमाल किया गया

1975 बैच के इंडियन रेलवे सर्विस ऑफ सिग्नल इंजीनियर्स (आइआरएसएसई) महेश कुमार के लिए रिश्वत का प्रबंध किए जाने के गवाह के दर्ज बयान के अनुसार उन्हें यह रिश्वत रेलवे बोर्ड के सदस्य (इलेक्टि्रकल) पद पर नियुक्ति के लिए दी जा रही थी। इस मामले में दस रुपये के नोट के नंबर का कोड के रूप में इस्तेमाल किया गया।

ईडी ने यह बयान वर्ष 2017 और 2018 में दर्ज किए थे। ईडी ने 10 जनवरी, 2019 को सुभाष भरतिया का बयान दर्ज किया है जो अपने दोस्त की पत्नी मिनाती तूफानी की कंपनी विंड ट्रेडिंग चला रहा था। भरतिया ने बयान में दावा किया है कि वह रघुवीर भुवल्का को 10-15 सालों से जानता है। 2 मई, 2013 को भुवल्का ने उसे दिल्ली में 50 लाख रुपये का इंतजाम करके उसे एक संदेश में एक नंबर फार्वर्ड किया। साथ ही नकद उस नंबर पर मौजूद व्यक्ति को देने को कहा। उसके बाद उसने दिल्ली के महावीर प्रसाद पारीख से संपर्क किया। इसके लिए उसने कोलकाता के श्यामलाल की मदद ली थी।


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