रेलवे ने बेच दिया हजार साल बाद 3013 का यात्रा का टिकट, अब लगा जुर्माना
भारतीय रेलवे ने यात्री को थमाया 1000 साल बाद यात्रा का टिकट। मामला कोर्ट तक पहुंचा तो 5 साल बाद कोर्ट ने यात्री के पक्ष में सुनाया फैसला।
मेरठ (जेएनएन)। हम और आप, सभी घूमने-फिरने के लिए प्लान बनाते हैं। ट्रेन से यात्रा करनी हो तो इसके लिए आपको अधिकत्तम चार महीने पहले प्लान बनाना होता है। खासकर छुट्टियों के वक्त के लिए ऐसी प्लानिंग करनी पड़ती है। ज्यादा से ज्यादा आप एक साल पहले किसी यात्रा का प्लान बना लेते होंगे, लेकिन टिकट तो 120 दिन से पहले नहीं ले सकते। क्या आपने कभी ऐसी कोई प्लानिंग की है कि यात्रा पर जाएंगे 1000 साल बाद, लेकिन टिकट आज कटवा लें...
जाहिर है आपका जवाब ना ही होगा और ऐसा प्रश्न करने के लिए आप प्रश्न करने वाले की बौद्धिक क्षमता पर भी सवालिया निशान खड़ा कर सकते हैं। लेकिन यकीन मानिए भारतीय रेलवे के साथ ऐसा हुआ है। यह भी आज नहीं आज से करीब 5 साल पहले हुआ है। भारतीय रेलवे ने पांच साल पहले यानी 2013 में एक यात्री को साल 3013 में यात्रा का टिकट थमा दिया था।
जाहिर है यह एक गलती थी, भारतीय रेलवे से ऐसी गलती की उम्मीद नहीं की जाती। ऐसी गलती करने के बाद रेलवे को कोर्ट का सामना करना पड़ गया। मामला मेरठ का है। सहारनपुर की एक उपभोक्ता अदालत में यात्री ने रेलवे के खिलाफ शिकायत कर दी, जिस पर अब पांच साल बाद कोर्ट का फैसला आया है। फैसले में कोर्ट ने यात्री के पक्ष में न्याय करते हुए रेलवे पर जुर्माना लगाया है और मुआवजा देने का आदेश दिया है। जानते हैं क्या है पूरा मामला...
ये है पूरा मामला
विष्णु कांत शुक्ला नाम के यात्री 2013 में हिमगिरी एक्सप्रेस से सहारनपुर से जौनपुर का सफर कर रहे थे। उन्होंने जो टिकट ली उस पर 2013 की जगह पर 1000 साल आगे की डेट यानि 3013 लिखी थी। जिसके बाद शुक्ला टीसी के निशाने पर आ गए। टिकट न होने के आरोप में उन्हें मुरादाबाद स्टेशन पर ट्रेन से नीचे उतार दिया गया। इस घटना से क्षुब्ध शुक्ला ने उपभोक्ता अदालत में इसकी शिकायत कर दी। शुक्ला पेशे से एक प्रोफेसर हैं।
प्रोफेसर शुक्ला के अनुसार ट्रेन में टीसी ने उन्हें सभी यात्रियों के सामने अपमानित किया। एक अंग्रेजी अखबार से बात करते हुए उन्होंने कहा, 'टीसी ने मुझे 800 रुपये पेनल्टी देने को कहा और मुरादाबाद स्टेशन पर ट्रेन से उतार दिया। मैं उस दौरान अपने मित्र के घर जा रहा था।'
सहारनपुर लौटने के बाद शुक्ला ने रेलवे के खिलाफ उपभोक्ता फोरम कोर्ट में जाकर शिकायत की। केस का फैसला आने में 5 साल लग गए। लेकिन 5 साल के लंबे समय के बाद कोर्ट ने फैसला बुजुर्ग यात्री के पक्ष में दिया और रेलवे पर 10 हजार रुपये का जुर्माना और 3 हजार रुपये अतिरिक्त मुआवजे के तौर पर शुक्ला को देने का आदेश दिया।