इस रेलवे स्टेशन में जरा संभाल कर रखना कदम? यहां हमलावर हुए चूहे, कुतर रहे हैं पैर
टाटानगर रेलवे स्टेशन पर चूहों के आंतक से रेल कर्मचारी परेशान हैं। रेल यात्रियों की शिकायतों को देखते हुए उनकी जिम्मेदारी और बढ़ गई है।
जमशेदपुर [गुरदीप राज]। टाटानगर रेलवे स्टेशन पर चूहों के आंतक से रेल कर्मचारी परेशान हैं। वहीं चूहे रेल ट्रैक को खोखला तो कर ही रहे हैं। केबुल तार को भी काट रहे हैं। अगर कोई यात्री निश्िचत बैठा है तो उनके पांव तक कुतर कर चूहा फरार होने में सफल हो रहा है। इतना ही नहीं पार्सल विभाग में रखे सामान को भी कुतर रहे है। दर्जनों की संख्या में चूहे टाटानगर स्टेशन में आतंक मचा रहे हैं।
चूहों की संख्या इतनी बढ़ गई है कि रेल यात्री के सामानों को भी कुतरने से पीछे नहीं हट रहे है। इन चूहों ने एक प्लेटफार्म से दूसरे प्लेटफार्म तक जाने के लिए प्लेटफार्म के नीचे ही लंबी सुरंग खोद डाली है। सुरंग के साथ ही साथ ट्रेक के निचले हिस्से को भी खोखला बनाते जा रहे हैं। चूहों के आंतक का खात्मा करने के लिए रेलवे केमिकल युक्त पेस्ट कंट्रोल का इस्तेमाल बदल बदल कर रह रहा है ताकि चूहे और कीड़े उसके आदि न हो।
लगातार दो वर्षो से प्रयास जारी है लेकिन चूहे भी अपनी जनसंख्या लगातार बढ़ा रहे है। पेस्ट कंट्रोल का उपयोग तो रेलवे ट्रेक पर ही हो रहा है लेकिन चूहों ने ट्रेक व प्लेटफार्म के नीचे बनाई सुरंग में अपने आप को सुरक्षित कर रखा है। रेलवे ने दो वर्षो में करीब दो से ढाई लाख से ज्यादा रुपये चूहों की संख्या कम करने में समाप्त कर दिए। लेकिन चूहों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। चूहों से यात्रियों और रेलवे को होने वाले नुकसान से बचाने के लिए सफाई ठेका एजेंसी को जिम्मेदारी दी गई है।
ट्रेन में चूहा, कॉक्रोच व चिटियों से परेशान
ट्रेन की धुलाई के समय व ट्रेन के ट्रेक में खड़े होने पर चूहा व कॉक्रोच ट्रेन में चढ़ जाते हैं और कोच में लगे रबर लकड़ी ही नहीं यात्रियों के सामान को भी कुतर रहे हैं। वहीं चिटियां से भी रेलयात्री परेशान है। यहां बता दें कि चूहे ने पार्सल में रखी अनाज की बोरियां भी कुछ माह पहले काट दी थी। इस मामले की शिकायत भी की गई थी। इसके पूर्व 2011 में चूहे ने क्लॉक रूम में रखे लगेज बैग को कुतर दिया था। इसमें कपड़े और गहने भी थे। चूहों ने सभी कपड़ों को कुतर डाला और आभूषण को भी नुकसान पहुंचाया था। यह मामला उपभोक्ता फोरम तक गया था। रेलवे को हर्जाना देना पड़ा था।
सफाई ठेकाकर्मी को चूहों को भगाने की जिम्मेदारी
टाटानगर में चूहों को भगाने की जिम्मेदारी सफाई ठेका एजेंसी को है। सफाई का ठेका तीन वर्ष के लिए दिया गया है। इसमें चूहों को मारने के लिए अलग से कोई फंड नहीं है। लेकिन सफाई ठेका एजेंसी से जुड़े स्टॉफ के अनुसार प्रतिमाह 6 से 8 हजार रुपए चूहों के सफाया करने में खर्च किए जाते हैं। टाटानगर के प्लेफार्म नंबर दो में बैठी महिला यात्री गीता देवी ने बताया कि वह प्लेटफार्म की जमीन पर बैठी थी और उसकी आंख लग गई। उसी दौरान एक चूहा आया और उसके पांव को कुतरने लगा। डर से जब उसने पांव झटका तो चूहा दूर जा गिरा।
चूहों को नियंत्रित करने के लिए पेस्ट कंट्रोल को बदल बदल कर इस्तेमाल किया जा रहा है। दवा छिड़काव सफाई ठेका एजेंसी द्वारा किया जाता है। फिलहाल काफी हद तक चूहों पर कंट्रोल किया गया है :
एच के बालमुचू स्टेशन निदेशक