मोदी सरकार पर हमला करने के लिए राहुल गांधी ने फिर चुनी विदेशी धरती
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक बार फिर विदेशी धरती से देश के मुद्दों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार को घेरने की कोशिश की है। जानें क्या है पूरा मुद्दा...
नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी तीन दिन के सिंगापुर और मलेशिया दौरे पर हैं। गुरुवार को सिंगापुर में उन्होंने यहां की नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर के ली क्वां यू स्कूल ऑफ पब्लिक पॉलिसी में छात्रों को संबोधित किया। इससे पहले उन्होंने सिंगापुर में भारतीय पृष्ठभूमि के सीईओ से नौकरी, निवेश और आर्थिक हालातों पर बात की। यहां उनके सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली हसेन लूंग और मलेशिया में वहां के प्रधानमंत्री नजीब रजाक से भी मुलाकात का कार्यक्रम है। राहुल गांधी ने सिंगापुर के आईएनए मेमोरियल में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की तस्वीर का माल्यार्पण कर उनके प्रति सम्मान प्रकट किया। लेकिन हम यहां बात उनके सिंगापुर-मलेशिया दौरे की नहीं, बल्कि यहां छात्रों से उन्होंने जो कुछ कहा उस पर करेंगे। एक्सपर्ट से यह भी जानेंगे कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को आत्मज्ञान विदेशी धरती पर ही क्यों होता है?
जजों की प्रेस कॉन्फ्रेंस पर सिंगापुर में बोले राहुल
कांग्रेस अध्यक्ष ने एक बार फिर देश की अंदरूनी व्यवस्था पर उंगली उठाने और केंद्र सरकार पर हमला करने के लिए विदेशी धरती चुनी। सिंगापुर में राहुल गांधी ने भारतीय सुप्रीम कोर्ट के चार जजों की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बारे में बात की। उनसे इस संबंध में सवाल पूछ गया तो उन्होंने कहा, लोग इंसाफ के लिए न्यायपालिका के पास जाते हैं, लेकिन पहली बार चार जज इंसाफ के लिए लोगों के पास आए। बता दें कि पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट के चार न्यायाधीशों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाकर सुप्रीम कोर्ट के हालात के बारे में बताया था, जो उनके अनुसार ठीक नहीं थे।
देश के लोकतंत्र और धार्मिक सौहार्द पर भी उठायी उंगली
राहुल गांधी ने सिंगापुर में छात्रों के बीच मिले मंच को केंद्र की मोदी सरकार पर हमला बोलने के लिए इस्तेमाल किया। उन्होंने कहा, स्वतंत्र भारत में हमारे द्वारा बनाए गए आईआईटी जैसे शैक्षणिक संस्थानों के कारण ही शायद आप में से कई लोग यहां बैठे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा- हमने इस विचार को अस्वीकार कर दिया कि आप एक अरब लोगों को एक साथ लेकर लोकतांत्रिक रास्ते पर आगे नहीं बढ़ सकते। उन्होंने कहा, महात्मा गांधी की कल्पना का भारत वह था, जहां हर कोई अपने धर्म, जाति और भाषा के आधार पर घर जैसा महसूस करता था। उन्होंने मौजूदा सरकार पर हमला बोलते हुए कहा, अब महात्मा गांधी के उस विचार को चुनौती दी जा रही है।
राहुल गांधी ने हिंसा की बात भी की
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि हम देश में हिंसा के कई स्तर देख रहे हैं। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी के अनुसार स्वराज का असली अर्थ अंतिम व्यक्ति तक शक्ति के विकेन्द्रीकरण में ही है। राहुल ने कहा, भारत की परिकल्पना ही इसमें है कि भले ही व्यक्ति किसी भी धर्म, जाति या भाषा से संबंध क्यों न रखता हो, उसे अपने घर जैसा महसूस होना चाहिए। उन्होंने कहा, कुछ लोग चुनाव जीतने के लिए नफरत और हिंसा का सहारा ले रहे हैं। जबकि हमारा दृष्टिकोण लोगों को जोड़ने का है।
ऐसा नहीं है कि राहुल गांधी ने केंद्र की मोदी सरकार पर हमला करने के लिए पहली बार विदेशी धरती का इस्तेमाल किया हो। इससे पहले भी वह कई बार विदेशी धरती से मोदी सरकार और मौजूदा व्यवस्था को खरी-खोटी सुना चुके हैं। आइए अब राहुल गांधी के उन्हीं विदेशी दौरों की बात करें, जिन पर उन्होंने विदेश में जाकर देश की बुराई की है।
बहरीन की धरती से पीएम मोदी पर निशाना
जनवरी में राहुल गांधी बहरीन गए थे। यहां उन्होंने कहा कि देश में आज विचित्र स्थिति है। सरकार नौकरियों का सृजन करने में नाकाम रही है। लोगों में बेहद गुस्सा है। सरकार इससे बचने के लिए जातीय व धार्मिक उन्माद पैदा करवा रही है। देश में विघटन की स्थिति पैदा हो रही है। उनका विश्वास है कि आम चुनाव में कांग्रेस, भाजपा को हराकर फिर नया भारत बनाएगी। उनकी इस बहरीन यात्रा का उद्देश्य प्रवासी भारतीयों तक पहुंच बनाना था। खाड़ी के देशों में सबसे ज्यादा करीब 35 लाख प्रवासी भारतीय रहते हैं। दिसंबर 2017 में पार्टी अध्यक्ष बनने के बाद उनकी यह पहली विदेश यात्रा थी।
बहरीन में आयोजित हुए ग्लोबल ऑर्गेनाइजेशन ऑफ पीपुल ऑफ इंडियन ओरिजिन (जीओपीआइओ) के तीन दिवसीय समारोह में राहुल गांधी मुख्य अतिथि थे। यहां उन्होंने माना, उन्होंने पहले गलतियां की हैं, लेकिन अब देश को एक नई कांग्रेस देने का इरादा भी उन्होंने जताया था।
क्या कहते हैं एक्पर्ट
जनवरी में जब राहुल गांधी ने बहरीन की धरती से मोदी सरकार पर हमला बोला था उस वक्त वरिष्ठ पत्रकार शिवाजी सरकार ने दैनिक जागरण से खास बातचीत की थी। शिवाजी सरकार ने उस वक्त कहा कि अगर कोई राजनेता आत्मचिंतन करता है तो वो अच्छी बात है। लेकिन हकीकत में आत्मचिंतन का असर जमीन पर भी दिखाई देना चाहिए। कांग्रेस के नेताओं की सबसे बड़ी बात ये रही है कि वो अपने विरोधियों की खामी की बात तो करते हैं। लेकिन भारतीय जनांकाक्षाओं को पूरी करने में नाकाम रहे, जिसका असर उनके सिकुड़ते आधार में भी दिखाई दे रहा है। आज बहुत तेजी से बदलाव हो रहा है। लोग सकारात्मक उपायों पर भरोसा कर रहे हैं लिहाजा अतीत में आप से क्या कुछ गलतियां हुई उसे सार्वजनिक प्लेटफॉर्म से बोलने से बेहतर है कि जमीन पर उन खामियों को सुधारने की कोशिश की जाए।
इससे पहले भी सितंबर 2017 में अमेरिका के बर्कले विश्वविद्यालय में तत्कालीन कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने अपनी खामियों के बारे में गिनाया था और ये कहा कि 2014 के चुनाव से पहले कांग्रेस नेताओं में दंभ आ चुका था।
दंभ में चूर थी कांग्रेस
उस वक्त कांग्रेस उपाध्यक्ष रहे राहुल गांधी ने बर्कले विश्वविद्यालय में जाकर माना था कि साल 2012 के आसपास कांग्रेस दंभ में चूर थी, इसलिए काफी नुकसान उठाना पड़ा। जिस कालखंड की राहुल गांधी बात कर रहे थे, उस दौरान सोनिया गांधी की पार्टी पर मजबूत पकड़ थी। इसके बाद धीरे-धीरे राहुल गांधी का कद पार्टी में बढ़ते चला गया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के दिग्गज नेताओं ने गलतियां की थीं। 2012 में हमने जनता के साथ बातचीत करनी बंद कर दी थी। इसके बाद हमें पार्टी का पुनर्निर्माण करने की आवश्यकता थी, हमें एक ऐसा विजन तैयार करने की जरूरत है जो हमें आगे बढ़ने में मदद करे। देखिए, भाजपा इस समय जो कुछ भी कर रही है, वो सब हम पहले ही कह चुके हैं, जैसे कि मनरेगा और जीएसटी।
मोदी मुझसे ज्यादा अच्छे वक्ता हैं- राहुल गांधी
बर्कले में भाषण के दौरान राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक चीज के लिए जमकर तारीफ भी की थी। राहुल ने कहा कि मोदी के पास कुछ स्किल्स हैं। वह काफी अच्छे वक्ता हैं, मुझसे काफी अच्छे। वह जानते हैं कि भीड़ में जो तीन-चार तरह के अलग-अलग समूह हैं उन तक संदेश को कैसे पहुंचाया जाए। इस वजह से उनका संदेश ज्यादा लोगों तक पहुंच पाता है। इसके बाद राहुल ने मोदी पर चुटकी भी ली। राहुल ने कहा मुझे लगता है कि मोदी अपने साथ काम करने वालों से बातचीत नहीं करते, सांसद और भाजपा के लोगों ने मुझे यह बताया।
नोटबंदी के फैसले की आलोचना की
राहुल गांधी ने नोटबंदी के फैसले की जमकर निंदा की थी। उन्होंने कहा कि नोटबंदी लागू करने के लिए चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर या संसद की राय भी नहीं ली गई। राहुल ने बताया कि नोटबंदी की वजह से जीडीपी में 2 फीसद की गिरावट आई। भारत में नई नौकरियां बिलकुल पैदा नहीं हो रही हैं। वहीं आर्थिक विकास की रफ्तार भी नहीं बढ़ रही है। अर्थव्यवस्था को लेकर किए गए कुछ गलत फैसलों की वजह से किसानों की आत्महत्या के मामले बढ़ रहे हैं। इसके साथ ही राहुल गांधी ने चेतावनी दी कि हाल में सरकार की ओर से लिए गए आर्थिक फैसलों से पूरी की पूरी अर्थव्यवस्था के पटरी से उतर जाने का खतरा है।