अब मेडिकल उपकरणों की क्वालिटी की होगी पूरी परख
मेडिकल उपकरणों की गुणवत्ता को तय करने के लिए पहलीबार नियम तैयार किए गए हैं जिसके बाद अब आप काफी हद तक इन उपकरणों की गुणवत्ता को लेकर आश्वस्त हो सकते हैं।
मुकेश केजरीवाल, नई दिल्ली। दिल में लगने वाले वॉल्व और स्टेंट से ले कर मरहम-पïट्टी में काम आने वाले सामान तक की गुणवत्ता को ले कर अब आप कुछ आश्वस्त हो सकेंगे। पहली बार सभी मेडिकल उपकरणों की गुणवत्ता तय करने के लिए नियम तैयार कर लिए गए हैं। अब तक मेडिकल उपकरणों के लिए देश में अलग से कोई नियम नहीं हैं और इनकी निगरानी दवा संबंधी नियमों के तहत ही होती है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मेडिकल उपकरणों की क्वालिटी सुनिश्चित करने के संबंध में विस्तृत नियमों का मसौदा तैयार कर इन्हें 29 मार्च को गजट के जरिए अधिसूचित कर दिया है। इसके तहत दवा की श्रेणी में नहीं आने वाले सामानों के निर्माण से ले कर पैकिंग, लेबलिंग, जांच, इंस्टालेशन और सर्विस तक के सभी नियम शामिल किए गए हैं। आंखों में लगने वाले लैंस और हड्डियों से संबंधित इंप्लांट से ले कर कंडोम तक 15 महत्वपूर्ण श्रेणियां इनमें शामिल हैं।
मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी कहते हैं, 'यह बहुत अहम शुरुआत है। जल्दी ही इसमें और बहुत सी श्रेणियां शामिल कर ली जाएंगी। ये बताते हैं कि गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए अमेरिका सहित अधिकांश विकसित देशों में स्वीकृत आइएसओ-13485 मानक को ही अपनाया गया है। इसमें उत्पाद की गुणवत्ता के साथ ही बनाने की प्रक्रिया से जुड़ी सभी चिंताओं का ध्यान रखा गया है।
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औषधि और सौंदर्य प्रसाधन कानून के नियमों में संशोधन का यह मसौदा अधिसूचित किए जाने के बाद 45 दिन का समय दिया गया है, जिस दौरान कोई भी इस पर अपनी प्रतिक्रिया और सुझाव दे सकता है। उसके बाद सरकार इसे अंतिम रूप से तय करेगी। साथ ही इन्हें लागू करने के लिए उद्योग जगत को कुछ महीनों का समय देगी। इस कदम से जहां इन सामान का उपयोग करने वालों को राहत मिलेगी वहीं मेडिकल उपकरण बनाने और बेचने वालों को भी बहुत मदद मिलेगी।
मंत्रालय के अधिकारी बताते हैं कि इसके लागू होने के बाद उद्योग जगत को दवा संबंधी नियमों के तहत अनावश्यक मंजूरियां नहीं लेनी होंगी। नए नियमों में विस्तार से बताया गया है कि किन उपकरण के लिए कौन-कौन सी मंजूरियां जरूरी होंगी। ऐसे में अन्य नियम उन पर लागू नहीं होंगे।
विशेषज्ञ और उद्योग जगत दोनों ही लंबे समय से मांग करते आए हैं कि मेडिकल उपकरणों के लिए अलग से कानून बना कर इनके नियमन के लिए अलग से एजेंसी बनाई जाए। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय भी इस कानून की जरूरत को स्वीकार कर चुका है। लेकिन फिलहाल यह मौजूदा औषधि और सौंदर्य प्रसाधन कानून के नियमों में ही संशोधन कर यह प्रावधान कर रहा है।
किन उपकरणों पर लागू
आंखों में लगने वाले लैंस, ड्रेसिंग और बैंडेज सहित सर्जरी संबंधी सभी सामान, ब्लड और ब्लड कंपोनेंट, कार्डिएक और ड्रग एल्यूटिंग स्टेंट, हर्ट वाल्व, बोन सीमेंट, कैथेटर, विकलांग व्यक्तियों को लगाने वाले इंप्लांट और कंडोम।