पुष्कर मेले की रंगत लगातार हो रही है कम, राज्य में कम हो रही है ऊटों की संख्या
पुष्कर मेला की रंगत अब धीरे-धीरे कम होती जा रही है। इसकी एक वजह कहीं न कहीं सरकार के नियम भी हैं।
नई दिल्ली जागरण स्पेशल। राजस्थान का पुष्कर दो चीजों के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है। इनमें से पहला है यहां स्थित ब्रहृमा जी का एकमात्र मंदिर। दूसरा, यहां पर लगने वाला ऊटों का मेला। यहां पर ये मेला वर्षों से लग रहा है। यहां पर इन ऊटों के खरीददारों के अलावा बड़ी संख्या में देशी-विदेशी सैलानी भी आते हैं। पुष्कर का यह मेला हर किसी को आकर्षित करता रहा है। इसको स्थानीय लोग कार्तिक मेला या ऊंटों का मेला भी कहते हैं। इस मेले की गिनती दुनिया के बड़े पशु मेले में की जाती है। यहांं केवल ऊटों या अन्य पशुओं की खरीद-फरोख्त ही नहीं होती है बल्कि कई तरह की विभिन्न प्रतियोगिताएं भी होती हैं। इनमें पुरुष और महिलाएं हिस्सा लेती हैं।
पुष्कर मेले की शुरुआत
इस बार इस मेले की शुरुआत 4 नवंबर को हुई थी। यह मेला 12 नवंबर तक चलेगा। लेकिन इस बार इस मेले की रंगत में कुछ कमी आई है। दरअसल, इस बार यहां पर आने वाले ऊटों की संख्या में कमी आई है। आंकड़े बताते हैं कि 1951 से लेकर 1977 तक लगातार यहां पर ऊटों की संख्या बढ़ी थी, लेकिन, इसके बाद से अब तक इसमें लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है। इसका सीधा असर यहां पर आने सैलानियों की संख्या पर भी पड़ रहा है। इसकी बड़ी वजह राजस्थान में लगातार गिर रही ऊटों की संख्या है। आपको बता दें कि राजस्थान के लोगों के लिए ऊंंट के बड़े मायने हैं। लेकिन, वक्त के साथ अब इनकी जनसंख्या में लगातार गिरावट दर्ज की गई है।
मेले में कम होती गई ऊटों की खरीद-फरोख्त
1991 में ऊटों की संख्या के हिसाब से भारत दुनिया का सातवां था। उस वक्त भारत में दस लाख से अधिक ऊंट थे। लेकिन अब भारत इस फहरिस्त में 20वें नंबर पर पहुंंच गया है। अब भारत में ऊंटों की संख्या महज ढाई लाख रह गई है। अब बात कर लेते हैं पुष्कर मेले में ऊटों की खरीद-फरोख्त की। 2014-15 में इस मेले में 9934 ऊंट खरीदे गए और 3349 ऊंट बेचे गए थे। 2015-16 के दौरान 10048 ऊंट खरीदे गए और 3030 बेचे गए। 2016-17 यहां पर खरीदे जाने वाले ऊंटों की संख्या 8735 थी जबकि इस दौरान 2554 बेचे गए थे। 2017-18 में खरीदे गए ऊंटों की संख्या 4200 थी जबकि 827 ऊंट इस दौरान बेचे गए थे।
ऊंटों की संख्या में गिरावट की ये हैं वजह
- राजस्थान ने ऊंटों को बचाने के लिए नियम पास करा है। इसके तहत ऊंटों को स्टेट एनिमल का दर्जा दिया गया है। 2014 में राज्य में ऊंटों का वध करने और उनकी खरीद-फरोख्त और उन्हें अवैध रूप से दूसरी जगह पर ले जाने रोक लगा दी थी।
- ऊटों के राजस्थान के बाहर बेचे जाने पर रोक है। ऐसा केवल इनके कृषि में उपयोग के लिए ही किया जा सकता है। इस नियम की वजह से भी इसके व्यापार में कमी आई है।
- 2016 में राज्य में एक स्कील लागू की गई थी। इसके तहत ऊटों के बच्चा होने पर इसके मालिक को दस हजार रुपये दिए जाने का प्रावधान था, लेकिन बाद में इसको बंद कर दिया गया।
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