पंजाब डुबो रहा मनमोहन की नाव
जिस मनमोहन सिंह को सिख होने के नाते अकाली दल के संरक्षक और मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल विपक्ष में होने के बावजूद बेहद सम्मान देते हों, उन्हीं मनमोहन की नाव डुबोने पर पंजाब तुला हुआ है। केंद्र सरकार इस सत्र में जिन मुद्दों के कारण विपक्ष के निशाने पर है, उसके लिए विपक्ष को कोई मेहनत नहीं
चंडीगढ़ [हरिश्चंद्र]। जिस मनमोहन सिंह को सिख होने के नाते अकाली दल के संरक्षक और मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल विपक्ष में होने के बावजूद बेहद सम्मान देते हों, उन्हीं मनमोहन की नाव डुबोने पर पंजाब तुला हुआ है। केंद्र सरकार इस सत्र में जिन मुद्दों के कारण विपक्ष के निशाने पर है, उसके लिए विपक्ष को कोई मेहनत नहीं करनी पड़ी बल्कि यह अचानक ही उभरकर हाथ लगे हैं। सबसे खास बात यह कि ये सभी पंजाब से जुड़े हुए हैं।
अभी केंद्रीय कानून मंत्री अश्विनी कुमार द्वारा सीबीआइ की फाइलें मंगवाने का मामला ठंडा भी नहीं पड़ा था कि रेल मंत्री पवन बंसल का भांजा 90 लाख रुपये रिश्वत के मामले में पकड़ा गया।
अश्विनी कुमार व पवन बंसल मनमोहन सिंह के सबसे करीबी मंत्रियों में शुमार होते हैं। मनमोहन के कारण ही बंसल को पिछले फेरबदल में रेल मंत्री बनाया गया था।
अश्विनी कुमार के मुद्दे पर पहले ही विपक्षी दल, खासकर भाजपा संसद में हंगामा किए हुए थे और अब बंसल का रिश्वत कांड में नाम उछलने के बाद विपक्ष को एक और मुद्दा बैठे-बिठाए हाथ लग गया है। इन दोनों मंत्रियों के अलावा सरबजीत के मसले पर भी मनमोहन सरकार की छवि खासी धूमिल हो चुकी है। मनमोहन पर सरबजीत प्रकरण में ढिलाई बरतने का आरोप लगाया जा रहा है। विपक्ष का आरोप है कि यदि समय रहते इस मुद्दे को पाकिस्तान के समक्ष उठाया जाता तो आज वह रिहा होता और जिंदा होता। इसी तरह दिल्ली की अदालत द्वारा साक्ष्यों के अभाव में सज्जन कुमार को बरी करने के कारण भी सिख वर्ग में रोष है। विपक्ष भी इस मुद्दे को भुनाने में लगा है। 1984 के सिख विरोधी दंगे भी सीधे तौर पर पंजाब से ही जुड़े हैं।
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