पूर्वी राज्यों पर दलहन व तिलहन खेती का दांव, पैदावार को दोगुना करने का लक्ष्य
प्रायोगिक योजना की सफलता के बाद सरकार इसे सभी पूर्वी राज्यों में समान रूप से लागू करेगी।
सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली। दलहन व तिलहन के मामले में आयात निर्भरता घटाने के लिए केंद्र सरकार ने दूसरी हरितक्रांति वाले पूर्वी राज्यों पर दांव लगाया है। इन राज्यों में पिछले साल के मुकाबले पैदावार को दोगुना करने का लक्ष्य रखा गया है।
प्रायोगिक योजना की सफलता के बाद सरकार इसे सभी पूर्वी राज्यों में समान रूप से लागू करेगी। इन राज्यों में धान की खेती के बाद उस जमीन को परती छोड़ दिया जाता है। अक्तूबर से चालू होने वाली रबी सीजन से इन परती छोड़ी गई भूमि का उपयोग किया जाएगा।
रबी सीजन की तैयारी को लेकर केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को पूरी मुस्तैदी से जुट जाने का निर्देश दिया है। दलहन खेती का 80 फीसद हिस्सा असिंचित क्षेत्रों में होता है। मांग और आपूर्ति में बढ़ते अंतर के चलते पिछले दो दशक से दलहन की आयात निर्भरता लगातार बढ़ रही थी।
इस समस्या से निपटने के लिए सरकार ने दूसरी हरितक्रांति में शामिल राज्यों को अतिरिक्त दायित्व सौंपा है। उनके यहां पर्याप्त संभावनाएं दिखी हैं।
केंद्रीय कृषि आयुक्त डाक्टर सुरेश मल्होत्रा के मुताबिक पूर्वी व पूर्वोत्तर के राज्यों में दलहन की खेती फसलों के बीच (इंटर क्राप) ही की जाती है। लेकिन इन राज्यों में धान के बाद ज्यादातर जमीनों को परती छोड़ दिया जाता है। इसका उपयोग अगले साल फिर धान के लिए ही किया जाता है।
परती छोड़ी जाने वाली ऐसी जमीनों का रकबा लगभग 20 लाख हेक्टेयर से भी ज्यादा है, जिसका उपयोग दलहन व तिलहन की खेती के लिए किया जा सकता है। आगामी रबी सीजन में अकेले दलहनी फसलों के लिए अतिरिक्त 18.50 लाख हेक्टेयर भूमि का लक्ष्य रखा गया है। जबकि पिछले साल यह केवल दस लाख हेक्टेयर में दलहन व तिलहन की खेती की गई थी। इसमें तकरीबन 13.50 टन दलहनी फसलों की पैदावार का अनुमान लगाया गया है। जबकि दो से ढाई लाख हेक्टेयर रकबा में तिलहन की फसल बोई जाएगी।
इन छह पूर्वी राज्यों असम, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, उड़ीसा और पश्चिम बंगाल में 80 हजार से अधिक दलहन और 40 हजार से अधिक मिनी किट मुफ्त सीधे किसानों को केंद्रीय एजेंसियां भेज रही हैं। दलहन व तिलहन खेती को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने इन दोनों फसलों को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसएम) के तहत शामिल कर लिया है। इन राज्यों को हर तरह की तकनीकी और अन्य सुविधाएं भी मुहैया कराई जाएंगी।
सरकार की पूरी कोशिश गैर परंपरागत क्षेत्रों में भी तिलहन की खेती को प्रोत्साहित करना है। विभिन्न प्रमुख फसलों के साथ तिलहन की खेती करने की विधि को प्रचलित किया जा रहा है। खासतौर पर सिंचित क्षेत्रों में इनकी खेती को बढ़ावा दिया जाएगा।