सरकारी निगरानी का बड़े पैमाने पर लोग करते हैं समर्थन, मात्र एक चौथाई ही CCTV को लेकर चिंतित: सर्वे
सर्वेक्षण के नतीजे 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 9779 लोगों की राय पर आधारित हैं जिसे शुक्रवार को राष्ट्रीय राजधानी में भारत में पुलिसिंग की स्थिति रिपोर्ट 2023 निगरानी और निजता के सवाल शीर्षक के साथ जारी किया गया।
नई दिल्ली, पीटीआई। एक सर्वेक्षण में जानकारी सामने आई है कि सीसीटीवी कैमरों के जरिए तथा कुछ अन्य तरह की सरकारी निगरानी का बड़े पैमाने पर लोग समर्थन करते हैं। वहीं, सर्वेक्षण के मुताबिक गरीब, दलित व मुस्लिम जैसे समूहों का पुलिस के प्रति भरोसा न्यूनतम है।
गैर सरकारी संगठन कॉमन कॉज और लोकनीति प्रोग्राम ऑफ द सेंटर फॉर स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज ने मिलकर यह सर्वेक्षण किया है।
इस सर्वेक्षण के नतीजे 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 9,779 लोगों की राय पर आधारित हैं, जिसे शुक्रवार को राष्ट्रीय राजधानी में 'भारत में पुलिसिंग की स्थिति रिपोर्ट 2023: निगरानी और निजता के सवाल' शीर्षक के साथ जारी किया गया।
एक बयान में कहा गया कि अध्ययन के दौरान संबंधित मामलों के विशेषज्ञों से चर्चा की गई, सेवारत पुलिस अधिकारियों का विस्तृत इंटरव्यू लिया गया और निगरानी संबंधी मुद्दों पर मीडिया के कवरेज का विश्लेषण किया गया।
बयान के मुताबिक, सर्वेक्षण में संकेत मिले की सरकारी निगरानी के कुछ स्वरूपों को जनता का ''बड़े पैमाने'' पर समर्थन प्राप्त है, लेकिन पेगासस जासूसी कांड और पुट्टुस्वामी मामले जैसे अहम मुद्दों को लेकर जागरूकता की कमी है।
गौरतलब है कि पेगासस मामला सैन्य श्रेणी के जासूसी ऐप से जुड़ा है जबकि पुट्टुस्वामी मामले में अदालत ने निजता के अधिकार को मूल अधिकार माना है।
इन लोगों ने पुलिस के प्रति जताया सबसे कम भरोसा
सर्वेक्षण के मुताबिक, निगरानी के किसी स्वरूप का समर्थन प्रतिभागियों के सामाजिक आर्थिक स्थिति के सीधे अनुपातिक है, उदाहरण के लिए अमीर प्रतिभागियों ने निगरानी का समर्थन किया, जबकि गरीबों, आदिवासियों, दलितों और मुस्लिमों ने पुलिस के प्रति सबसे कम भरोसा जताया।
सर्वेक्षण में शामिल चार प्रतिभागियों में से केवल एक ही ने माना कि सीसीटीवी कैमरे से बड़े पैमाने पर निगरानी का खतरा है, जबकि चार में से तीन का मानना है कि सीसीटीवी कैमरों से निगरानी करने और अपराधों में कमी लाने में मदद मिलेगी।
सर्वेक्षण में शामिल आधे प्रतिभागियों ने संदिग्ध की बायोमेट्रिक जानकारी एकत्रित करने का समर्थन किया, जबकि आदिवासी और मुस्लिम समुदाय के लोगों ने पुलिस द्वारा संदिग्ध की बायोमेट्रिक जानकारी एकत्रित करने की सबसे अधिक आलोचना की।
सर्वेक्षण के मुताबिक, दो में एक प्रतिभागी ने सैन्य बलों, पुलिस और सरकार द्वारा ड्रोन के इस्तेमाल का समर्थन किया। अध्ययन में शामिल दो में से एक प्रतिभागी ने चेहरा पहचान करने संबंधी प्रौद्योगिकी का सरकार और पुलिस द्वारा इस्तेमाल का समर्थन किया।