पति की शहादत पर गर्व, बच्चों को भी सेना में भेजने की चाह
देश की 19 यूनिटों कों दक्षिणी सेना कमांडर्स यूनिट प्रशस्ति पत्र प्रदान किए जाएंगे। कार्यक्रम 14 सितंबर को द्रोणांचल पहाड़ी पर सेना की दक्षिणी कमान की ओर से आयोजित किया गया है।
भोपाल (नईदुनिया)। इन वीर नारियों को पति की शहादत पर गर्व है। मातृभूति की रक्षा के लिए इन शहीदों ने अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। फिर भी वीर नारियां अपने बच्चों को भी सेना में भेजने की चाह रखती हैं, क्योंकि देश और देशभक्ति से ब़़ढकर कुछ भी नहीं है। भारतीय सेना की गौरवशाली परंपरा का निवर्हन करते हुए अपने अदम्य साहस के साथ विघटनकारी और अलगाववादी ताकतों को परास्त करने वाले 24 जाबांज वीरों को पहली बार भोपाल में वीरता पदक प्रदान किए जाएंगे। इनमें से सात जांबाजों को वीरता के लिए मरणोपरांत सेना मेडल प्रदान किया जाएगा।
देश की 19 यूनिटों कों दक्षिणी सेना कमांडर्स यूनिट प्रशस्ति पत्र प्रदान किए जाएंगे। कार्यक्रम 14 सितंबर को द्रोणांचल पहाड़ी पर सेना की दक्षिणी कमान की ओर से आयोजित किया गया है। जनरल आफिसर इन चीफ दक्षिणी कमान लेफ्टिनेंट जनरल पीएम हैरिज देशभर के कुल 63 सैन्य कर्मियों को उनकी वीरता और विशिष्ट सेवा के लिए अलंकृत करेंगे। बुधवार को अवार्ड सेरेमनी की रिहर्सल की गई। अवार्ड लेने से पहले ही आंखें हुई नम मरणोपरांत वीरता अवार्ड लेने के भोपाल पहुंची शहीदों की वीर नारियां रिसर्हल के दौरान भावुक हो उठीं। नम आंखों से मेडल लेने की पूर्वाभ्यास किया। इस दौरान नईदुनिया ने वीर नारियों से बात की। सभी ने कहा कि पति की शहादत और भारतीय सेना पर उन्हें गर्व है। समय आने पर वे अपने बच्चों को भी सेना में शामिल करने से पीछे नहीं हटेंगी।
शादी के 7 माह बाद ही साथ छूटा
हम लोग श्रीनगर में साथ में ही थे। शादी को सात माह ही हुए थे। 11 फरवरी 2015 को पति मेजर ताहिर हुसैन दर्दसुन इलाके में सैन्य खोजी अभियान पर गए थे, लेकिन वापस नहीं लौटे। अपने उ़़डान अनुभव का बेहतरीन इस्तेमाल करते हुए खराब मौसम के बावजूद दस से अधिक टीमों को अभियान तक पहुंचाया। खुद शहीद हो गए। मुझे उनकी शहादत पर गर्व है। भारतीय सेना का पूरा सपोर्ट है। आर्मी स्कूल हैदराबाद में रहते हुए मैं भी देश सेवा कर रही हूं। - नसीमा सुल्ताना खान, (पत्नी शहीद मेजर ताहिर हुसैन खान)
सेवा, साहस, शहादत पर गर्व
पति ले. कर्नल रणजीतसिंह पंवार सेंट्रल आयुध डिपो पुलगांव में पदस्थ थे। 31 मई 2016 को भीषण आग को बुझाने के लिए जवानों की हौसला अफजाई करते हुए खुद भी पाइप लेकर आग बुझाने में लग गए। दूसरों की जान बचाते खुद शहीद हो गए। पति की सेवा, अदम्य साहस और शहादत पर मुझे गर्व है। वे हमेशा लीड करते रहे। निडर और साहसी थे। मौका मिला तो पुत्र रणवीर को भी सेना में शामिल करना चाहूंगी।- मेजर रितु ओहलान, (ले. कर्नल रणजीतसिंह पंवार की पत्नी)
घुसपैठ की कोशिश नाकाम की
मैं उस समय जम्मू में एलओसी पर तैनात था। आतंकवादी लाइन ऑफ कंट्रोल क्रास कर घुसपैठ की कोशिश में थे। हमने लांच पैड तबाह कर उनकी कोशिशें नाकाम कर दीं। सेना में रहकर देश सेवा करना हमारा कर्तव्य है। युद्ध सेवा मेडल के लिए चयन होना गर्व की बात है। युवाओं को भी सेना में शामिल होकर सेवा करना चाहिए। - कर्नल सुभंजन चटर्जी, बिहार रेजीमेंट,
युद्ध सेवा मेडल के लिए चयनित
कुपवाड़ा में विशेष अभियान के दौरान हमने आतंकवादियों का मार गिराया था। अभियान काफी रोमांचक था। हमारी रेजीमेंट ने जान पर खेलकर अभियान चलाया। वीरता मेडल मिलना गौरव की बात है। सेना में रहकर देश के लिए मर मिटने का भाव हर युवा में होना चाहिए। साहस और कर्तव्य परायणता का भाव होना सबसे जरूरी है। - मेजर अर्जुन गेहलोत, पैराशूट रेजीमेंट
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