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नेशनल मेडिकल कमीशन बिल के विरोध में हड़ताल का आह्वान

दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन ने आइएमए द्वारा आहूत इस हड़ताल का समर्थन किया है। आइएमए अध्यक्ष डॉ. वानखेडकर के अनुसार, एमसीआइ एक प्रतिनिधि संस्था है।

By Tilak RajEdited By: Published: Mon, 01 Jan 2018 07:40 PM (IST)Updated: Mon, 01 Jan 2018 07:40 PM (IST)
नेशनल मेडिकल कमीशन बिल के विरोध में हड़ताल का आह्वान
नेशनल मेडिकल कमीशन बिल के विरोध में हड़ताल का आह्वान

नई दिल्ली, पीटीआइ। देश भर के निजी अस्पतालों में मंगलवार को स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं। डॉक्टरों की शीर्ष संस्था आइएमए ने सरकार द्वारा संसद में पेश नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) बिल के खिलाफ हड़ताल का आह्वान किया है। उसने निजी अस्पतालों से कहा है कि वे मंगलवार को सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक 12 घंटे के लिए अपनी नियमित सेवाएं बंद रख मेडिकल कौंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआइ) का स्थान लेने वाले प्रस्तावित आयोग का विरोध करें। आइएमए के अध्यक्ष डॉ रवि वानखेडकर ने सोमवार को यह घोषणा की।

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इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) के इस आह्वान से देश भर के निजी अस्पतालों में ओपीडी सहित अन्य स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा सकती हैं। हालांकि इमरजेंसी एवं सघन चिकित्सा सेवाओं को हड़ताल से अलग रखा गया है। ध्यान रहे कि सरकार ने नेशनल मेडिकल कमीशन बिल को शुक्रवार को संसद में पेश किया। इसके तहत एमसीआइ की जगह एनएमसी के गठन का प्रस्ताव किया गया है। बिल में इस बात का भी प्रावधान किया गया है कि होम्योपैथी एवं आयुर्वेद जैसे वैकल्पिक चिकित्सा प्रणाली के डॉक्टर भी एक ब्रिज कोर्स करने के बाद एलोपैथी के जरिये इलाज कर सकते हैं। इस बिल पर मंगलवार को चर्चा होने की उम्मीद है।

यही कारण है कि आइएमए ने मंगलवार को काला दिवस के रूप में मनाने का आह्वान किया है। उसका कहना है कि संसद की मंजूरी के बाद विधेयक अगर कानून बन गया तो इससे देश में मेडिकल प्रोफेशन बर्बाद हो जाएगा। डॉक्टर पूरी तरह से नौकरशाही एवं गैर चिकित्सक प्रशासकों के प्रति जवाबदेह हो जाएंगे। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने बयान जारी कर कहा है कि मौजूदा स्वरूप में एनएमसी बिल कत्तई स्वीकार्य नहीं है। यह गरीब विरोधी, जनविरोधी, लोकतंत्र विरोधी है।

दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन ने आइएमए द्वारा आहूत इस हड़ताल का समर्थन किया है। आइएमए अध्यक्ष डॉ. वानखेडकर के अनुसार, एमसीआइ एक प्रतिनिधि संस्था है। कोई भी पंजीकृत डॉक्टर इसका चुनाव लड़ सकता है और प्रत्येक डॉक्टर को इसमें वोट देने का अधिकार है। इसको खत्म करने का निर्णय सरकार के लोकतंत्र विरोधी मानसिकता को दर्शाता है।

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