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Prophet Row: नुपुर शर्मा को 'सुप्रीम' राहत, दिल्ली ट्रांसफर होंगे सभी केस; गिरफ्तारी पर भी रोक

भाजपा की पूर्व नेता नुपुर शर्मा के मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। नुपुर ने अलग-अलग राज्यों में दायर सभी मामलों को दिल्ली ट्रांसफर करने की मांग की है। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने नुपुर को 10 अगस्त तक राहत दी थी।

By Manish NegiEdited By: Published: Wed, 10 Aug 2022 07:59 AM (IST)Updated: Wed, 10 Aug 2022 07:59 AM (IST)
Prophet Row: नुपुर शर्मा को 'सुप्रीम' राहत, दिल्ली ट्रांसफर होंगे सभी केस; गिरफ्तारी पर भी रोक
नुपुर शर्मा के मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई (फाइल फोटो)

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। पैगंबर मोहम्मद पर टिप्पणी के मामले में भाजपा की पूर्व नेता नुपुर शर्मा को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने भाजपा की पूर्व प्रवक्ता नुपुर शर्मा के खिलाफ देश के विभिन्न राज्यों में दर्ज सभी एफआइआर को एक साथ संलग्न करके दिल्ली स्थानांतरित कर दिया है। दिल्ली पुलिस सभी मामलों की जांच करेगी और जब तक जांच पूरी नहीं होती नुपुर शर्मा को गिरफ्तारी से मिला संरक्षण जारी रहेगा। इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने एफआइआर रद कराने के लिए नुपुर शर्मा को दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दाखिल करने की छूट भी दी है। कोर्ट ने ये आदेश नुपुर शर्मा की जान को खतरे के मद्देनजर दिए हैं।

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दिल्ली पुलिस को ट्रांसफर होगी प्राथमिकी

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेबी पार्डीवाला की पीठ ने नुपुर शर्मा की याचिका पर सुनवाई के दौरान बुधवार को ये आदेश दिए। शीर्ष कोर्ट ने कहा कि नुपुर के खिलाफ इस मामले में भविष्य में दर्ज होने वाली प्राथमिकयों की जांच भी दिल्ली पुलिस को ट्रांसफर हो जाएगी। कोर्ट ने बंगाल की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मेनका गुरुस्वामी की सभी प्राथमिकियों की जांच के लिए राज्यों की संयुक्त एसआइटी गठित करने की मांग ठुकरा दी। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में दिल्ली में दर्ज हुई एफआइआर की जांच दिल्ली पुलिस की इंटेलीजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक आपरेशंस (आइएफएसओ) कर रही है जो विशेषज्ञ एजेंसी है।

कोर्ट ने कहा कि वह जांच एजेंसी पर किसी तरह की शर्त नहीं लगाना चाहते। आइएफएसओ को जांच के लिए अन्य राज्यों से जानकारी एकत्र करने की छूट होगी। कोर्ट ने कहा कि मामले की विशेष परिस्थितियों और तथ्यों को देखते हुए यह आदेश दिया जा रहा है।

नुपुर के वकील की दलील

बुधवार को मामले की सुनवाई के दौरान नुपुर की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह ने कोर्ट से आग्रह किया कि नुपुर की जान को खतरा है और उनके लिए जगह जगह जाना और पेश होना बहुत मुश्किल होगा। शीर्ष कोर्ट वैसा ही आदेश दे, जैसा मोहम्मद जुबैर के मामले में दिया है। मनिंदर सिंह ने कहा कि पिछली सुनवाई के बाद तीन नई प्राथमिकियों की जानकारी उन्हें हुई है। इसका विरोध करते हुए गुरुस्वामी ने कहा कि आदेश में पहली एफआइआर दर्ज होने के सिद्धांत का पालन होना चाहिए। नुपुर शर्मा के खिलाफ पहली एफआइआर दिल्ली में नहीं, बल्कि मुंबई में दाखिल हुई थी। दिल्ली की जो पहली एफआइआर बताई जा रही है, उसमें नुपुर शिकायतकर्ता हैं और दिल्ली में दर्ज दूसरी एफआइआर को नुपुर के खिलाफ दर्ज पहली एफआइआर नहीं कहा जा सकता क्योंकि वह महाराष्ट्र के बाद दर्ज हुई है।

एसआइटी गठन की मांग खारिज

गुरुस्वामी ने कहा कि नुपुर के खिलाफ सबसे ज्यादा मामले बंगाल में दर्ज हैं। पीठ ने गुरुस्वामी की दलीलों पर कहा कि कोर्ट ने 19 जुलाई का अभियुक्त को संरक्षण देने वाला आदेश मामले की विशिष्ट परिस्थितियों और उनकी जान पर खतरे को देखते हुए दिया था। गुरुस्वामी ने मामलों की जांच के लिए कोर्ट की निगरानी में एसआइटी गठित करने की मांग की, लेकिन कोर्ट ने इन्कार कर दिया। पीठ ने कहा कि वे कोर्ट की निगरानी में एसआइटी के पक्ष में नहीं हैं क्योंकि इससे जांच एजेंसी दवाब में रहती है।

क्या है मामला?

बता दें कि नुपुर शर्मा ने एक टीवी चैनल पर बहस के दौरान पैगंबर मोहम्मद के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी की थी जिसके बाद देश के विभिन्न हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हुए थे। भाजपा ने नुपुर शर्मा को पार्टी से निलंबित कर दिया था। इसके बाद शीर्ष अदालत की इसी पीठ ने एक जुलाई को नुपुर की उनकी टिप्पणी के लिए कड़ी आलोचना की थी।


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