Move to Jagran APP

विश्वविद्यालयों-कालेजों के होनहार शिक्षकों को सरकार देगी वैज्ञानिक बनने का मौका

स्कीम के तहत ऐसे शिक्षकों का ही चयन होगा, जिनके पास विज्ञान में पीएचडी के अलावा मेडिकल के क्षेत्र में एमएस, एमडी और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में एमई और एमटेक जैसी डिग्रियां है।

By Tilak RajEdited By: Published: Wed, 24 Jan 2018 09:28 PM (IST)Updated: Wed, 24 Jan 2018 09:28 PM (IST)
विश्वविद्यालयों-कालेजों के होनहार शिक्षकों को सरकार देगी वैज्ञानिक बनने का मौका
विश्वविद्यालयों-कालेजों के होनहार शिक्षकों को सरकार देगी वैज्ञानिक बनने का मौका

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। देश भर के विश्वविद्यालयों और कालेजों में पढ़ा रहे होनहार शिक्षकों को सरकार अब वैज्ञानिक बनने का मौका देगी। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय इसके लिए एक विशेष स्कीम शुरु करने जा रही है। जिसे टीचर्स एसोशिएटशिप फार रिसर्च एक्सलेंस (तारे) नाम दिया गया है। इसके तहत हर साल देश भर के 500 शिक्षकों को शोध का मौका दिया जाएगा। सरकार का मकसद ऐसे शिक्षकों को प्रोत्साहित करना है, जो वैज्ञानिक अभिरुचि रखते है, लेकिन पढ़ाई के बाद शोध के लिए माहौल न मिल पाने के चलते वह आगे काम नहीं कर पाए।

loksabha election banner

केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ हर्षव‌र्द्धन ने स्कीम की जानकारी देते हुए बताया कि इसका उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा नए वैज्ञानिकों को तैयार करना है। उन्होंने बताया कि उच्च शिक्षण संस्थानों में (आईआईटी, एनआईटी व विश्वविद्यालय आदि) मौजूदा समय में हजारों ऐसे शिक्षक काम कर रहे है, जिन्हें यदि शोध के लिए बेहतर माहौल दिया जाए, तो वह रातों-रात वैज्ञानिक बन सकते है। यह स्कीम देश भर में एक फरवरी से शुरु होगी।

स्कीम के तहत ऐसे शिक्षकों का ही चयन होगा, जिनके पास विज्ञान में पीएचडी के अलावा मेडिकल के क्षेत्र में एमएस, एमडी और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में एमई और एमटेक जैसी डिग्रियां है। चयनित शिक्षकों को शोध के लिए सालाना पांच लाख रुपए दिए जाएंगे। शिक्षकों की उम्र इस दौरान 45 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए। एक सवाल के जबाव में केंद्रीय मंत्री ने बताया कि शोध का विषय शिक्षकों को ही देना होगा। लेकिन यह ऐसा होना चाहिए, जिससे समाज को कुछ फायदा मिल सकें।

मंत्रालय ने इसके अलावा तीन और नई योजनाओं को शुरू करने की घोषणा की है। इनमें एक ओवरशीज विजिटिंग डाक्टोरल फेलोशिप और दूसरी एसईआरबी अवार्ड और तीसरी विज्ञान और शोध के लेखन पुरस्कार से जुडी है। ओवरशीज विजिटिंग डाक्टोरल फेलोशिप के तहत सरकार हर साल पीएचडी धारी सौ भारतीय छात्रों को विदेशों में शोध करने का मौका देगी। इस दौरान सरकार उन्हें हर तरह की वित्तीय मदद मुहैया कराएगी। इसके अलावा दो अन्य योजनाओं के तहत विज्ञान और शोध में रुचि रखने वालों को बढ़ावा देना है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.