कर्मचारियों को पांच फीसद महंगाई भत्ता बढ़ाकर देने पर रोक, शिवराज सरकार ने लिया फैसला
सरकार कोई भी अतिरिक्त खर्च उठाने की स्थिति में नहीं है। इसके मद्देनजर शिवराज सरकार ने पांच प्रतिशत महंगाई भत्ता ब़़ढाकर देने के फैसले पर रोक लगा दी है।
भोपाल, स्टेट ब्यूरो। कोरोना वायरस की वजह से प्रदेश की अर्थव्यवस्था पर पड़े असर को देखते हुए सरकार कोई भी अतिरिक्त खर्च उठाने की स्थिति में नहीं है। इसके मद्देनजर शिवराज सरकार ने पांच प्रतिशत महंगाई भत्ता देने के फैसले पर रोक लगा दी है। मार्च के वेतन से महंगाई भत्ता देने का फैसला कमल नाथ सरकार ने 16 मार्च को लिया था। विभागों ने इसकी तैयारी भी कर ली थी, लेकिन शुक्रवार को वित्त विभाग ने आदेश के क्रियान्वयन को रोकने के निर्देश दे दिए। कमल नाथ सरकार ने एक जुलाई 2019 से प्रदेश के कर्मचारियों को केंद्र के समान 17 प्रतिशत महंगाई भत्ता देने का निर्णय लिया था। इसके लिए पांच प्रतिशत महंगाई भत्ता सातवां वेतनमान प्राप्त कर रहे कर्मचारियों को स्वीकृत किया गया था।
वहीं, छठवां वेतनमान ले रहे कर्मचारियों का महंगाई भत्ता 154 प्रतिशत से 164 प्रतिशत किया गया था। ब़़ढे हुए महंगाई भत्ते का भुगतान मार्च के वेतन ([अप्रैल में देय)] में जुड़कर होना था। लेखानुदान में इसके लिए वित्त विभाग ने प्रावधान भी रखा है, लेकिन कोरोना संकट की वजह से प्रदेश की अर्थव्यवस्था पर प़ रहे असर को देखते हुए सरकार ने फिलहाल महंगाई भत्ता बढ़ाकर देने के आदेश को स्थगित कर दिया है।
उधर, एक जुलाई 2019 से लेकर फरवरी 2020 के बीच का बढ़ा हुआ महंगाई भत्ता देने को लेकर कोई निर्णय नहीं लिया गया है। बताया जा रहा है कि महंगाई भत्ता यथावत रहने से कर्मचारियों को प्रतिमाह एक हजार से लेकर दस हजार रपये तक जो अतिरिक्त लाभ होता, वह फिलहाल नहीं होगा। वेतन कटौती पर भी हुआ था विचार सूत्रों का कहना है कि वित्त विभाग में कोरोना संकट और राजस्व आय की स्थिति को देखते हुए कर्मचारियों के वेतन में कटौती पर भी विचार किया गया था।
दरअसल, महाराष्ट्र और तेलंगाना सरकार अधिकारियों--कर्मचारियों के वेतन में कटौती के आदेश जारी कर चुकी है। इसके मद्देनजर विचार किया गया तो यह बात निकलकर आई कि इससे गलत संदेश जाएगा। इसे देखते हुए दूसरे विकल्प के तौर पर ब़़ढा हुआ महंगाई भत्ता का भुगतान करने पर रोक लगाने को ज्यादा उचित माना गया। 50 करो़ रपये का अतिरिक्त भार वित्त विभाग के अधिकारियों का कहना है कि ब़़ढा हुआ महंगाई भत्ता का भुगतान करने से खजाने पर लगभग 50 करो़ रपये प्रतिमाह का अतिरिक्त भार आता। फिलहाल नियमित, स्थायी कर्मी और पंचायत सचिवों को पांच प्रतिशत महंगाई भत्ता देने का फैसला हुआ है। सार्वजनिक निगम व मंडल के लिए पृथक से आदेश निकाले जाने थे, जो अभी जारी नहीं हुए हैं। इसी तरह पौने पांच लाख पेंशनर्स की महंगाई राहत ([डीआर)] ब़़ढाने का औपचारिक निर्णय नहीं हुआ है।