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भौतिकी पढ़ाकर देश और हिंदी की भी सेवा कर रहे प्रोफेसर साहब, जानें- इनके बारे में

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) कानपुर से सेवानिवृत्त प्रोफेसर वर्मा ने भौतिक विज्ञान को नए आयाम दिए हैैं। सेवानिवृत्ति के बाद भी शिक्षा की मशाल जलाए हैं। शिक्षादान के लिए अपनी जेब खाली करने से भी नहीं हिचके लेकिन प्रचार के आडंबर से बिल्कुल दूर रहे।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Mon, 19 Jul 2021 06:16 PM (IST)Updated: Mon, 19 Jul 2021 06:16 PM (IST)
आइआइटी कानपुर से सेवानिवृत्त प्रोफेसर एचसी वर्मा (फाइल फोटो)

समीर दीक्षित, कानपुर। रचनात्मक अभिव्यक्ति और ज्ञान में प्रसन्नता जगाना शिक्षक की सर्वोत्तम कला है...अल्बर्ट आइंसटीन का यह सूत्र वाक्य जेहन में तब साकार स्वरूप ले लेता है जब आप संत रूपी शिक्षक पद्मश्री एचसी वर्मा से रूबरू होते हैं। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) कानपुर से सेवानिवृत्त प्रोफेसर वर्मा ने भौतिक विज्ञान को नए आयाम दिए हैैं। सेवानिवृत्ति के बाद भी शिक्षा की मशाल जलाए हैं। शिक्षादान के लिए अपनी जेब खाली करने से भी नहीं हिचके लेकिन प्रचार के आडंबर से बिल्कुल दूर रहे। खास बात यह है कि देश-विदेश में मशहूर प्रो. वर्मा की आनलाइन क्लास में हिंदी और देश के विकास को अहमियत दी जाती है।

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70-80 देेशों में जलाई ज्ञान की ज्योति:

प्रो. वर्मा के जो आनलाइन क्लास प्रोग्राम संचालित हैं, उनसे भारत ही नहीं, अमेरिका, कनाडा, फ्रांस, जापान आदि 70-80 अन्य देशों के छात्र भी जुड़कर भौतिक विज्ञान सीखते हैं। इनमें आठवीं से लेकर स्नातक स्तर तक भौतिकी के कोर्स शामिल हैैं। इनमें हिंदी भाषा के पाठ्यक्रम की संख्या अधिक है। इस बारे में प्रो. वर्मा कहते हैं कि भारत के विकास के लिए वह हिंदी में अपने लेक्चर करते हैं।

भौतिकी के गूढ़ रहस्यों को बनाया आसान:

छात्र-छात्राओं को गूढ़ भौतिक विज्ञान से ऐसे जोड़ा कि उन्होंने ज्ञान के सागर में गोते लगाकर अपने लिए कामयाबी के मोती चुन लिए। संत सा जीवन जीने वाले प्रो. वर्मा ने वर्ष 1975 से 1980 तक आइआइटी कानपुर से भौतिक विज्ञान से स्नातकोत्तर (एमएससी) व डाक्टर आफ फिलासफी (पीएचडी) की उपाधि हासिल की। साल 1994 में फैकल्टी के रूप में यहां नई पारी शुरू की। सेवानिवृत्त होने के बाद उन्होंने आइआइटी कानपुर से कुछ दूर सोपान आश्रम बनाया। यहां वह छात्रों को भौतिक विज्ञान में पारंगत करने के लिए दिन-रात काम करते हैैैं। उनका सादगी भरा जीवन यह बताने को काफी है कि उन्हेंं सिर्फ और सिर्फ शिक्षा से लगाव है।

'कांसेप्ट आफ फिजिक्स' खोलती दिमाग के ताले:

उन्होंने 29 साल पहले भौतिक विज्ञान को सहजता से समझाने वाली पुस्तक 'कांसेप्ट आफ फिजिक्सÓ लिखी थी। आज भी विद्यालयों में भौतिक विज्ञान की चर्चा होते ही प्रो. वर्मा का नाम खुद ब खुद छात्रों की जुबान पर आ जाता है। छात्रों को इस पुस्तक के अगले संस्करण का बेसब्री से इंतजार है। प्रो. वर्मा कहते हैं कि पहले भाग में ही पूरी भौतिक विज्ञान समाहित है। छात्र, अगर इसे ठीक से पढ़ लें तो पूरी भौतिक विज्ञान आसानी से समझ लेंगे।

लिखीं कई किताबें:

वह बताते हैं कि कांसेप्ट आफ फिजिक्स के बाद दो-तीन किताबें और लिखी हैं। इसी साल कहानियों की शक्ल में वह छात्रों के सामने आएंगी। इसमें रामायण, महाभारत व कुछ जातक कथाओं समेत 28 कहानियों का वर्णन है। छात्र कहानियों से बेहतर तरीके से भौतिक विज्ञान जान, समझ और सीख सकेंगे। इसके साथ ही स्नातक (बीएससी) पाठ्यक्रम के लिए इलेक्ट्रोडायनामिक्स पर किताब लाने की तैयारी है।

शिक्षा से ही राष्ट्र और समाज का विकास संभव:

प्रो. एचसी वर्मा कहते हैं कि राष्ट्र व समाज का विकास शिक्षा से संभव है। शिक्षा तभी मिलेगी, जब जानकारी होगी। जानकारी के लिए पढऩा जरूरी है, जितना अधिक पढ़ेंगे उतनी जल्दी शिक्षित होंगे।

प्रो. वर्मा चलती-फिरती पाठशाला

प्रो. वर्मा चलती-फिरती पाठशाला हैैं। वह हम सभी के लिए आदर्श और प्रेरणास्रोत हैैं। भौतिकी के अध्यापन में उनका अमूल्य योगदान है। आइआइटी कानपुर को गर्व है कि उनकी देखरेख में मेधावियों की पौध दुनिया में फैली और यश कमा रही है।

- अभय करंदीकर, निदेशक आइआइटी कानपुर


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