जागरण पड़ताल : ‘ऑक्सीजन’ पर सरकार के दावे की पोल खोल रहे निजी अस्पताल
Oxygen Shortage महाराष्ट्र इस समय कोविड-19 के आंकड़ों में देश में शीर्ष पर है पर यहां के निजी अस्पतालों में ऑक्सीजन का टोटा है।
ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। Oxygen Shortage कोविड-19 के आंकड़ों में देश में शीर्ष पर चल रहे महाराष्ट्र की हालत यह है कि यहां के निजी अस्पतालों में मरीज ऑक्सीजन के लिए जूझ रहे हैं। ऑक्सीजन के दाम चार गुना बढ़ गए हैं। उप्र में भी हालत यही है। दूसरी ओर, सरकार कह रही है कि ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है। पढ़ें देशव्यापी पड़ताल। सभी शहरों से रिपोर्ट ‘जागरण.कॉम’ पर भी।
देश मेडिकल ऑक्सीजन की कमी का सामना कर रहा है। सरकार कह रही है कि कमी नहीं है। स्थिति का आकलन करने पर सरकार का दावा महज सरकारी अस्पतालों तक सीमित लगता है। महाराष्ट्र इस समय कोविड-19 के आंकड़ों में देश में शीर्ष पर है, पर यहां के निजी अस्पतालों में ऑक्सीजन का टोटा है। सरकारी अस्पतालों में समुचित व्यवस्था नहीं है। अंतत: निजी अस्पतालों पर निर्भरता बढ़ती गई है। ऐसे में ऑक्सीजन की किल्लत चरम पर है। दाम चार गुना तक बढ़ गए हैं।
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ ने बुधवार को महाराष्ट्र सरकार के उस फैसले पर रोक लगा दी, जिसमें महाराष्ट्र सरकार ने यह कहते हुए मध्य प्रदेश को मेडिकल ऑक्सीजन देने से मना कर दिया था कि महाराष्ट्र में कोरोना मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए ऑक्सीजन मध्य प्रदेश को नहीं दी जा सकती। जबकि गुरुवार को महाराष्ट्र के प्रमुख सचिव स्वास्थ्य डॉ. प्रदीप व्यास ने कहा कि महाराष्ट्र में ऑक्सीजन की कोई कमी है ही नहीं। राज्य के स्वास्थ्य शिक्षा निदेशालय के निदेशक डॉ. टीपी लहाने का भी कहना है कि महाराष्ट्र में ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है। बहरहाल, बदलते हुए बयानों से इतना तो स्पष्ट हो ही रहा है कि ऑक्सीजन का सच क्या है। सरकार दरअसल यह कह रही है कि सरकारी व्यवस्था में चल रहे अस्पतालों में ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है। लेकिन वह यह नहीं बता रही है कि निजी अस्पतालों में ऑक्सीजन को लेकर इतनी मारा-मारी क्यों है। देश में मेडिकल ऑक्सीजन के खुदरा दाम तीन-चार गुना तक क्यों बढ़ गए हैं।
एसोसिएशन ऑफ मेडिकल कंसलटेट्स, मुंबई के अध्यक्ष डॉ. दीपक बैद की मानें तो राज्य के निजी अस्पताल न सिर्फ ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहे हैं, बल्कि ऑक्सीजन के दाम बढ़ने से मरीजों को बड़ी परेशानी से भी गुजरना पड़ रहा है। डॉ. बैद के अनुसार सरकार सिर्फ सरकारी कोविड अस्पतालों की बात कर रही है, जहां ऑक्सीजन कंपनियों से सीधे ऑक्सीजन की आर्पूति की जा रही है। जबकि महाराष्ट्र के मुंबई, ठाणे, पुणे और विदर्भ जैसे क्षेत्रों में निजी अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी के कारण मरीजों को वापस करना पड़ रहा है।
ऑक्सीजन के बढ़े हुए दाम का उदाहरण देते हुए डॉ. दीपक बैद ने बताया कि मेडिकल ऑक्सीजन के दाम तीन से चार गुना तक बढ़ गए हैं। खपत में भी अब चार गुना बढ़ोतरी हो चुकी है। पहले जहां एक सामान्य अस्पताल का काम 40 से 50 जंबो सिलिंडर में चल जाता था, वहीं अब उसी अस्पताल में ऑक्सीजन की खपत प्रतिदिन 150 से 200 जंबो सिलिंडर तक जा पहुंची है। ऑक्सीजन की उपलब्धता को लेकर सरकार के दावों और निजी अस्पतालों की समस्याओं की सच्चाई देश की सबसे बड़ी ऑक्सीजन उत्पादक कंपनी आइनॉक्स एयर प्रोडक्ट्स प्रा. लि. से हुई बातचीत में भी खुलकर सामने आ जाती है।
आइनॉक्स के देशभर में 35 उत्पादन केंद्र हैं। इस कंपनी के प्रवक्ता कहते हैं कि ऑक्सीजन की एक फैक्ट्री स्थापित करने में कम से कम दो साल लग जाते हैं। इसलिए मार्चअप्रैल के बाद से अब तक नई फैक्ट्री लगाना तो संभव नहीं था, लेकिन हमने कोविड शुरू होने के बाद भारत के विभिन्न शहरों के सरकारी कोविड अस्पतालों में 50 से अधिक जंबो टैंक लगाए हैं। वहीं, निजी अस्पतालों में आपूर्ति को लेकर इस तरह की कोई व्यवस्था नहीं बनाई जा सकी। वे डीलरों पर निर्भर हैं। कालाबाजारी की संभावना भी है।