Move to Jagran APP

देश की 333 कंपनियों को रक्षा उपकरण बनाने के लाइसेंस, आयात पर रोक वाले सामानों का होगा उत्पादन

भारत में रक्षा उत्पादों को बनाने में निजी क्षेत्र ने भारी रुचि दिखाई है। देश की 333 प्राइवेट कंपनियों को रक्षा उत्पाद बनाने के लिए 539 लाइसेंस जारी किए गए हैं। इनमें से 110 कंपनियों ने उत्पादन भी शुरू कर दिया है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Mon, 26 Jul 2021 09:13 PM (IST)Updated: Mon, 26 Jul 2021 09:13 PM (IST)
देश की 333 कंपनियों को रक्षा उपकरण बनाने के लाइसेंस, आयात पर रोक वाले सामानों का होगा उत्पादन
देश की 333 प्राइवेट कंपनियों को रक्षा उत्पाद बनाने के लिए 539 लाइसेंस जारी किए गए हैं।

नई दिल्ली, आइएएनएस। भारत में रक्षा उत्पादों को बनाने में निजी क्षेत्र ने भारी रुचि दिखाई है। देश की 333 प्राइवेट कंपनियों को रक्षा उत्पाद बनाने के लिए 539 लाइसेंस जारी किए गए हैं। इनमें से 110 कंपनियों ने उत्पादन भी शुरू कर दिया है। यह जानकारी रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने राज्यसभा में लिखित जवाब में दी है। मंत्री ने बताया कि ये लाइसेंस उन्हीं वस्तुओं के उत्पादन के लिए जारी किए गए हैं जो सरकार ने निजी क्षेत्र के लिए निर्धारित किए हैं।

loksabha election banner

मार्च 2001 में सरकार ने इन वस्तुओं का 100 प्रतिशत उत्पादन निजी क्षेत्र के लिए निर्धारित कर दिया था। 2020 में रक्षा मंत्रालय ने आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत तमाम रक्षा उत्पादों के आयात पर रोक लगा दी और उनकी खरीद स्वदेशी कंपनियों से करने का फैसला किया। रक्षा उपकरणों के स्वदेशी डिजाइन विकसित कर उनकी आपूर्ति करनी है।

रक्षा मंत्रालय ने कुल 209 रक्षा उपकरणों-वस्तुओं की सूची बनाकर उनके आयात पर रोक लगाई है। इन उत्पादों की खरीद स्वदेशी कंपनियों से की जाएगी। जारी किए गए लाइसेंस इन्हीं वस्तुओं के उत्पादन से संबंधित हैं। इसे भारतीय रक्षा उत्पादन उद्योग के लिए बड़ा मौका माना जा रहा है।

इससे सेनाओं को अपेक्षाकृत कम मूल्य पर समय से उत्पाद मिल सकेंगे। साथ ही स्वदेशी बाजार विकसित होने से देश का धन देश में रहेगा, विदेशी मुद्रा की बचत होगी और रोजगारों की संख्या बढ़ेगी। इन स्वदेशी कंपनियों को कुछ खास उपकरण विकसित करने में 70 प्रतिशत तक की आर्थिक मदद भारत सरकार द्वारा दी जाएगी। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.