Move to Jagran APP

लॉकडाउन के चलते 'काम नहीं, वेतन नहीं' का सिद्धांत लागू नहीं किया जा सकता: बांबे हाई कोर्ट

अदालत ने ट्रस्ट के अध्यक्ष के तौर पर उस्मानाबाद के जिलाधिकारी को मार्च अप्रैल और मई तक ठेका मजदूरों को पूरी मजदूरी देने का निर्देश दिया है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Wed, 13 May 2020 07:51 PM (IST)Updated: Wed, 13 May 2020 07:51 PM (IST)
लॉकडाउन के चलते 'काम नहीं, वेतन नहीं' का सिद्धांत लागू नहीं किया जा सकता: बांबे हाई कोर्ट

मुंबई, प्रेट्र। बांबे हाई कोर्ट की औरंगाबाद पीठ ने कहा है कि देशव्यापी लॉकडाउन के कारण बनी अप्रत्याशित स्थिति में 'काम नहीं, वेतन नहीं' का सिद्धांत लागू नहीं किया जा सकता है। जस्टिस आरवी घुगे ने औरंगाबाद के तुलजाभवानी मंदिर संस्थान ट्रस्ट को निर्देश दिया कि वह महामारी के चलते पूजा स्थलों के बंद होने और वहां काम करने में असमर्थ अपने ठेका मजदूरों के लिए मई तक की पूरी मजदूरी का भुगतान सुनिश्चित करे।

loksabha election banner

मंदिर ट्रस्ट ने लॉकडाउन के कारण काम करने की अनुमति नहीं दी

अदालत ठेका मजदूर संघ 'राष्ट्रीय श्रमिक आघाड़ी' द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इसमें कहा गया है कि लॉकडाउन के बावजूद मजदूर संघ के सदस्यों ने तुलजाभवानी मंदिर संस्थान में सुरक्षा गार्ड के तौर पर तथा अन्य काम करने की इच्छा व्यक्त की थी। हालांकि मंदिर ट्रस्ट ने लॉकडाउन के कारण उन्हें काम करने की अनुमति नहीं दी। साथ ही मार्च और अप्रैल में ठेकेदारों द्वारा मजदूरों को किया गया भुगतान जनवरी और फरवरी में किए गए भुगतान से कम था। उस्मानाबाद के जिलाधिकारी तुलजाभवानी मंदिर संस्थान ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं और तहसीलदार इसके प्रबंधक हैं।

जस्टिस घुगे ने कहा- कोर्ट श्रमिकों की दुर्दशा के प्रति संवेदनहीन नहीं हो सकती

जस्टिस घुगे ने कहा, 'प्रथम दृष्टया, मुझे लगता है कि इस तरह की असाधारण परिस्थितियों में 'काम नहीं, वेतन नहीं' का सिद्धांत लागू नहीं किया जा सकता है। अदालत ऐसे श्रमिकों की दुर्दशा के प्रति संवेदनहीन नहीं हो सकती है, जो दुर्भाग्य से महामारी के कारण बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं।'

कोर्ट ने ट्रस्ट को दिया मार्च, अप्रैल और मई तक की मजदूरों को पूरी मजदूरी देने का निर्देश

अदालत ने ट्रस्ट के अध्यक्ष के तौर पर उस्मानाबाद के जिलाधिकारी को मार्च, अप्रैल और मई तक ठेका मजदूरों को पूरी मजदूरी देने का निर्देश दिया है। अदालत ने यह भी कहा कि अगले आदेश तक 'काम नहीं, वेतन नहीं' का सिद्धांत लागू नहीं किया जाएगा। मामले की अगली सुनवाई नौ जून को निर्धारित की गई है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.