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महुआ बीनने वाली दो किशोरियां बनीं मिसाल, छत्तीसगढ़ दौरे के समय पीएम भी करेंगे मुलाकात

14 अप्रैल को बीजापुर आगमन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन दोनों बेटियों से मुलाकात कर उनकी हौसलाअफजाई करेंगे।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Wed, 11 Apr 2018 09:13 AM (IST)Updated: Wed, 11 Apr 2018 01:41 PM (IST)
महुआ बीनने वाली दो किशोरियां बनीं मिसाल, छत्तीसगढ़ दौरे के समय पीएम भी करेंगे मुलाकात

बीजापुर (गणेश मिश्रा)। एक बार फिर साबित हो गया कि मंजिलें उन्हीं को मिलती हैं, जो खुली आंखों से सपने देखते हैं। अरुणा पूनेम और सुनीता हेमला, बस्तर की ये दो बेटियां इसका जीवंत उदाहरण हैं। नक्सल हिंसा से प्रभावित बीजापुर के 'अति संवेदनशील' और सुविधाहीन गांव गंगालुर की यह दो बेटियां कभी जंगलों में तेंदू पत्ता और महुआ बीना करती थीं। अब देश का प्रतिनिधित्व करने जा रही हैं। मई माह में फिलीपींस में होने जा रही एशियन सॉफ्टबॉल चैंपियनशिप में दोनों भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी। 14 अप्रैल को बीजापुर आगमन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन दोनों बेटियों से मुलाकात कर उनकी हौसलाअफजाई करेंगे।

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गंगालुर को नक्सल आतंक के लिए जाना जाता है, लेकिन अब इसे अरुणा और सुनीता के कारण भी जाना जाता है। आर्थिक और सामाजिक रूप से बेहद पिछड़े छत्तीसगढ़ के इस इलाके में वनवासियों के लिए वनोपज ही जीवन यापन का सहारा है। तेंदू पत्ता और महुआ का संग्रहण कर जीवन यापन करने वाली कक्षा नौ की छात्रा अरुणा पूनेम और सुनीता हेमला बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखती हैं।

अरुणा की कहानी..

वनोपज के साथ ही थोड़ी सी खेती के भरोसे अरुणा का छह सदस्यीय परिवार गुजर-बसर करता है। अरुणा बचपन से ही पढ़ने और खेलकूद में रुचि लेती थी। साल भर पहले उसने बीजापुर में स्पोटर्स अकादमी में दाखिला लिया और सॉफ्टबॉल को चुना। साल भर में ही राष्ट्रीय स्तर की दो और राज्य स्तरीय पांच प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेकर शानदार खेल दिखाया। राज्य स्तर पर कांस्य पदक हासिल किया और फिर राष्ट्रीय टीम में भी जगह बना ली।

सुनीता का सफरनामा..

सुनीता हेमला भी संघर्षों से भरे रास्ते से आगे बढ़ीं। उनका परिवार भी महुआ और तेंदू पत्ता जैसे वनोपज संग्रह के सहारे गुजर करता है। सुनीता ने संघर्ष को चुनौती के रूप में लिया। बीजापुर खेल अकादमी वरदान के रूप में सामने आई। खेल में अपना भविष्य देख रही सुनीता ने सॉफ्टबॉल को मुख्य खेल चुना। प्रतिभा के बूते राज्य स्तर पर दो पदक जीतकर राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई और राष्ट्रीय टीम में पहुंचीं।

श्रेय बीजापुर खेल अकादमी को भी..

बीजापुर खेल अकादमी को अस्तित्व में आए साल भार भी नहीं हुआ है, लेकिन देश में इस अकादमी का डंका बज रहा है। तीरंदाजी, जूडो, कराटे, तैराकी, सॉफ्टबॉल, वालीबॉल, बास्केटबॉल, एथलेटिक्स, फुटबॉल और बैडमिंटन समेत दस खेलों में फिलहाल 270 बच्चे प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। 46 खिलाडि़यों ने राज्य स्तर पर और 24 ने राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में 48 पदक बटोरे हैं, जिनमें 10 गोल्ड मैडल हैं। अपने बीजापुर दौरे के दौरान प्रधानमंत्री इस अकादमी की शानदार उपलब्धियों पर बनी प्रोमो फिल्म का भी अवलोकन करेंगे।

प्रधानमंत्री से मुलाकात का बेसब्री से इंतजार:

हम दोनों को प्रधानमंत्री जी से मुलाकात का बेसब्री से इंतजार है। संभवत: यह पहला अवसर है जब बीजापुर की चर्चा नक्सल हिंसा के लिए नहीं बल्कि बीजापुर की बेटियों की उपलब्धि के लिए, खेलों के लिए हो रही है। इसका श्रेय बीजापुर खेल अकादमी और कोच सोपान करणेवार को जाता है। अगर इनका साथ न मिलता तो हमें शायद ही यह उपलब्धि हासिल होती।

- अरुणा पूनेम और सुनीता हेमला,

इंडियन सॉफ्ट बॉल टीम की सदस्य।


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